हम समझौते के लिए तैयार: पुतिन

पुतिन

मॉस्को/बिच्छू डॉट कॉम। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को धीरे-धीरे एक साल होने को आ रहा, लेकिन इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा। इस बीच, रूस के राष्ट्रपति ने बड़ा दावा किया है। रायटर के मुताबिक, उन्होंने दावा किया है कि रूस यूक्रेन के साथ चल रही जंग के संबंध में सभी पक्षों के साथ वार्ता के लिए तैयार था, लेकिन पश्चिमी देशों और कीव ने उसके साथ वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। रूसी राष्ट्रपति पुतिन का यह बयान तब आया है जब रूस पर उत्तर कोरिया से हथियार खरीदने के आरोप लग रहे हैं। इतना ही नहीं, जापान और अमेरिका ने यह आरोप भी लगाए हैं कि उत्तर कोरियाई हथियारों का इस्तेमाल रूस यूक्रेन युद्ध में कर रहा है। इस खबर को दक्षिण कोरिया और आसपास के देशों में संशय और आश्चर्य की नजरों से देखा गया है। साथ ही उससे चिंता भी पैदा हुई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति ने रविवार को एक रूसी टीवी चैनल से इंटरव्यू के दौरान कहा कि ‘ हम यूक्रेन सैन्य अभियान के संबंध में उन सभी के साथ वार्ता के लिए तैयार हैं जो एक स्वीकार करने योग्य समाधान चाहते हैं, लेकिन अब सब कुछ उन पर निर्भर है। हम नहीं वे समझौते से इनकार कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि हम अपने राष्ट्रीय और नागरिकों के हितों की रक्षा में लगे हैं। पुतिन ने दावा किया कि के नेतृत्व में पश्चिमी देश रूस को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।  इससे पहले हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के अमेरिका दौरे के बीच युद्ध को लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि रूस अब युक्रेन में युद्ध को खत्म करना चाहता है, लेकिन इसके लिए कूटनीतिक समाधान करना होगा। पुतिन ने कहा कि हमारा लक्ष्य इस संघर्ष को समाप्त करना है। हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं और प्रयास करना जारी रखेंगे। इसलिए हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि यह सब समाप्त हो जाए और जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा है।  

वहीं, अमेरिकी दौरे के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा था कि वे रूस से युद्ध खत्म करने के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने रूसी हमले से मुकाबला करने के लिए अमेरिकी समर्थन पर धन्यवाद अदा करते हुए कहा था कि हम झुकने वाले नहीं हैं।  गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन में चल रही इस जंग की शुरुआत  24 फरवरी को हुई थी। रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए आक्रमण के कारण यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे घातक संघर्ष वाली स्थिति पैदा हो गई है। दुनिया के तमाम मुल्कों की कोशिशों के बाद भी निकट भविष्य में इस युद्ध की समाप्ति के मौके बेहद कम दिखाई दे रहे हैं। 

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