इस्लामाबाद। यूएन के एक समूह ने पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तुरंत रिहा करने की मांग की। उन्होंने बताया कि इमरान खान पर लगाए गए कम से कम दो मामले राजनीति से प्ररित थे। इमरान खान को जेल में रखने का मुख्य उद्देश्य उन्हें पाकिस्तान की राजनीति से दूर करना था। संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह ने जिनेवा में 18 से 27 मार्च तक अपने 99 सत्र में 71 वर्षीय इमरान खान की की हिरासत पर अपनी राय दी।
यूएन के इस समूह ने कहा कि तोशाखाना और साइफर मामले में इमरान खान की गिरफ्तारी राजनीति से प्ररित थी, जिसका उद्देश्य उन्हें पाकिस्तान की राजनीति से दूर करना था। समूह ने आगे कहा कि यह बिना किसी कानूनी आधार के था। तोशाखाना मामले में पूर्व पीएम पर आरोप लगाया गया था कि अपने कार्यकाल के दौरान इमरान खान ने सरकारी खजाने का विवरण जानबूझ कर छिपाया था। इमरान पर सरकारी खजाने से कीमती उपहारों को बेचकर आय कमाने का भी आरोप लगाया गया था। पिछले साल पांच अगस्त को इस्लामाबाद में एक ट्रायल कोर्ट ने पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा दायर पहले मामले में इमरान खान को दोषी ठहराया और उन्हें तीन साल की जेल की सजा सुनाई। बाद में उसी दिन उन्हें पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था। चुनाव आयोग ने इमरान खान को दोषी पाए जाने के बाद पांच साल के लिए आयोग्य घोषित कर दिया था।
यूएन के समूह ने कहा, “इमरान खान की हिरासत का कोई कानूनी आधार नहीं था। इसका एकमात्र उद्देश्य उन्हें राजनीति से दूर रखना था।” साइफर मामले में समूह ने कहा, “इसमें कोई कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि उनके कार्यों से आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन नहीं हुआ था।” बता दें कि साइफर मामला राजनयिक दसतावेज से संबंधित है। एक संघीय एजेंसी ने आरोप लगाया कि इन दस्तावेजों को इमरान खान ने कभी वापस नहीं किया। दूसरे तोशाखाना मामला और उद्दत मामले में यूएन समूह ने कहा, “कार्य समूह ने चार अभियोगों के समय के संयोग को देखे बिना काम नहीं कर सकता। इसने इमरान खान को आम चुनाव लड़ने से रोक दिया।” समूह का मानना है कि तोशाखाना मामला और साइफर मामले में इमरान खान की गिरफ्तारी बिना किसी कानूनी आधार के था। समूह ने कहा कि इमरान खान को स्वतंत्रता से वंचित करना मनमाना था। उन्होंने सरकार से तुरंत उनकी स्थिति सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया।