बिच्छू डॉट कॉम। यूक्रेन पर रूस की पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है। ऐसे में रूसी सेना की ओर से यूक्रेनी सीमा में परमाणु हमले का खतरा बना हुआ है। इस बीच चेचन रिपब्लिक के नेता रमजान कादिरोव ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन में ‘कम क्षमता वाले’ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की मांग की है। कादिरोव ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि सुप्रीम कमांडर-इन-चीफ को डिफेंस मिनिस्ट्री क्या रिपोर्ट करती है, लेकिन मेरी निजी राय है कि यह कड़े फैसले लेने का वक्त है। बॉर्डर से लगे इलाकों में मार्शल लॉ घोषित कर देना चाहिए और कम क्षमता वाले परमाणु हथियार इस्तेमाल किए जाने चाहिए। वेस्टर्न अमेरिकन कम्युनिटी को ध्यान में रखकर हर फैसला लेने की जरूरत नहीं है।’ वहीं, यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा प्रदाता विभाग ने रूस पर यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र के प्रमुख का अपहरण करने का आरोप लगाया है। यूक्रेन की परमाणु कंपनी एनर्गोटम ने कहा कि रूसी सेना ने जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के महानिदेशक इहोर मुराशोव को अगवा कर लिया। जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर रूस के सैनिकों का कब्जा है। एनर्गोटम ने कहा कि रूसी सैनिकों ने मुराशोव की कार को रोका, उनकी आंखों पर पट्टी बांधी और फिर उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले गए।
गौरतलब है कि यूक्रेनी सैनिकों की ओर से घेरे जाने के बाद रूस ने अपने कब्जे में रहे पूर्वी शहर लाइमैन से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया, जिसका इस्तेमाल मॉस्को ठिकाने के रूप में कर रहा था। जवाबी हमलों की कड़ी में यह यूक्रेन के लिए एक और जीत व रूसी बलों के लिए शर्मिंदगी वाली बात है। इसके साथ ही इससे रूस का गुस्सा और बढ़ गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने लाइमैन से रूसी सैनिकों के वापस हटने की घोषणा की लेकिन कहा कि अतिरिक्त संख्या में तैनात सैनिकों को और जगहों पर तैनात किया जाएगा। लाइमैन यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव से 160 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है। यूक्रेन की सेना ने जवाबी हमलों में रूस के कब्जे से विशाल क्षेत्र छुड़ा लिया है। प्रमुख परिवहन केंद्र लाइमैन जमीनी संचार और रसद दोनों के हिसाब से रूस के लिए महत्वपूर्ण स्थल रहा था। अब रूस के हाथ से इसके निकल जाने से यूक्रेनी सैनिक लुहांस्क क्षेत्र में आगे तक बढ़ने की कोशिश कर सकते हैं, जो रूस की ओर से जनमत संग्रह के जरिए अपनी भूमि में मिलाए गए चार क्षेत्रों में से एक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस के जनमत संग्रह की काफी निंदा की जा रही है।