अंतरिक्ष में आर्थिक फायदे लेने की मजबूत स्थिति में भारत: क्रिस हेडफील्ड

क्रिस हेडफील्ड

न्यूयॉर्क सिटी । अंतरिक्ष और इससे जुड़ी तकनीकों पर काम करते हुए भारत ने खुद को एक मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया है। इन्हें वह आर्थिक रास्तों पर ले जाकर जमकर कारोबारी फायदे कमा सकता है। इसका फायदा भारत में कारोबारों व लोगों को होगा। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के पूर्व कमांडर व अपोलो मर्डर्स के लेखक क्रिस हेडफील्ड ने यह दावा किया।

आदित्य एल1 मिशन पर हेडफील्ड ने कहा कि एक जीवनकाल से भी कम समय में हमने जीपीएस उपग्रह, मौसम उपग्रह, दूरसंचार, चंद्र अभियान, सूर्य अभियान देख लिए हैं। अब दौड़ अंतरिक्ष के लिए नहीं है, बल्कि अब इस बात की दौड़ है कि इन सभी तकनीकों को अंतरिक्ष आधारित फायदेमंद कारोबारों में कौन बदल पाता है? यह फायदे इस दौड़ में शामिल सभी देशों और कंपनियों को मिलेंगे। भारत ने इस सब में अपनी एक अहम और मजबूत स्थिति बना ली है।

हेडफील्ड ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि पीएम मोदी के मन में यह बात कई वर्षों से थी। वे भारत के अंतरिक्ष और शोध संस्थानों के साथ सीधे शामिल होते हैं। इस समय यह सही और स्मार्ट कदम नजर आता है। वे इस क्षेत्र को विकसित कर रहे हैं और निजीकरण भी करते जा रहे हैं। इससे कारोबारों को फायदा पहुंचेगा और इस तरह भारतीय लोगों को लाभ होगा।’

आदित्य एल1, चंद्रयान 3 के मुकाबले करीब चार गुना दूरी तय करेगा, लेकिन यह पिघलेगा नहीं। न सूर्य की गर्मी इसे नुकसान पहुंचाएगी। इसरो के अनुसार आदित्य एल1 को सूर्य के ताप से बचाने के लिए कई परतों की ढाल (मल्टी लेयर इंसुलेशन-एमएलआई) लगाई गई है। यह यान को अनुकूल तापमान बनाने में मदद करेगी। सूर्य की ऊपरी सतह कोरोना करीब 5 लाख डिग्री सेल्सियस तक गर्म मानी जाती है। आदित्य भले ही इससे करीब 14.85 करोड़ किमी दूर एल1 बिंदु पर होगा, लेकिन इसे सूर्य से आई गर्मी और विकिरणों का खतरा बना रहेगा।

एमएलआई के साथ यान में एक महीन और अच्छी परावर्तन शक्ति वाले पदार्थ एल्युमिनाइज्ड माइलर की कोटिंग है। माइलर एक तरह की प्लास्टिक है, जिसमें एल्युमिनियम की भाप से परत लगाई जाती है। आदित्य में अन्य सुरक्षा परतें भी हैं। मिशन के उपकरणों को भी एमएलआई किया गया है। एमएलआई से यान के विभिन्न हिस्से सुनहरे नजर आ रहे हैं। यह सुनहरी परत सूर्य की किरणों को परावर्तित करके आदित्य की रक्षा करेंगी।

आदित्य एल1 मिशन के शुरुआती चरण को आकार देने वाले इसरो के पूर्व प्रमुख यूआर राव को भी शनिवार को याद किया गया। भारत के उपग्रह कार्यक्रम के पितामह राव ने आदित्य एल1 मिशन को बेहद गहनता से तैयार किया। इसके उद्देश्यों, मानकों को उन्होंने तय किया ताकि इसके उद्देश्यों को अर्थपूर्ण व आधुनिक समय के अनुकूल बना सकें। सूर्य के लिए देश का  पहला मिशन उन्हीं की वजह से संभव हो सका।

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