बीजिंग/वाशिंगटन। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन से मंगलवार को फोन पर बात की थी, जो पिछले नंबर में सैन फ्रांसिस्को में उनके ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बातचीत थी। बाइडन को बातचीत के दौरान जिनपिंग ने कहा कि ताइवान पहली लाल रेखा है, जिसे अमेरिका द्वारा पार नहीं किया जाना चाहिए, साथ ही टो टूक शब्दों में चेतावनी दी कि चीन हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेगा।
हालांकि व्हाइट हाउस ने 1 घंटे 45 मिनट की बातचीत को कई मुद्दों पर स्पष्ट और रचनात्मक बताया है। जारी बयान के मुताबिक, बाइडन ने ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। साथ ही रूस के रक्षा उद्योग के लिए चीन के समर्थन पर भी चिंता जताई है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने दक्षिण चीन सागर में कानून के शासन और नेविगेशन की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया।
चीन के विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि दोनों नेताओं के बीच स्पष्ट और गहन बातचीत हुई। मंत्रालय ने कहा कि शी जिनपिंग ने अमेरिका-चीन संबंधों को स्थिर होने की शुरुआत बताया। दोनों पक्षों से ध्यान देने की आवश्यकता है। हालांकि, ताइवान पर चीन का बयान सामने आया है।
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी स्व-शासित लोकतंत्र को अपने क्षेत्र के रूप में दावा करती है और यदि आवश्यक हो तो बलपूर्वक इसके साथ पुन: एकजुट होने की कसम खाई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने राष्ट्रपति शी द्वारा बाइडन को दिए गए बयान के हवाले से कहा, ताइवान की स्वतंत्रता अलगाववादी गतिविधियों और उनके लिए बाहरी प्रोत्साहन और समर्थन के सामने, चीन हाथ पर हाथ धरे बैठने वाला नहीं है।
जिनपिंग ने अमेरिकी पक्ष से ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करने की राष्ट्रपति बाइडन की प्रतिबद्धता को ठोस कार्यों में बदलने का अपील की है। दोनों राष्ट्रपतियों ने अपनी टेलीफोन वार्ता के दौरान व्यापार और प्रौद्योगिकी मुद्दों पर भी चर्चा की। अमेरिकी पक्ष ने चीन के व्यापार और प्रौद्योगिकी विकास को दबाने के लिए कई उपाय अपनाए हैं और अधिक से अधिक चीनी संस्थाओं को अपनी प्रतिबंध सूची में शामिल कर रहा है।