फिर खुलेगा सोलोमन द्वीप पर अमेरिका का दूतावास

अमेरिका का दूतावास

बिच्छू डॉट कॉम। अमेरिका ने सोलोमन द्वीप पर अपना दूतावास खोलने की बात कही है. दक्षिण प्रशांत देशों के बीच चीन के बढ़ते प्रभाव का जवाब देने की दिशा में इसे अहम कदम बताया जा रहा है.ऑस्ट्रेलिया से प्रशांत क्षेत्र की यात्रा शुरू कर फिजी पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने दूतावास खोलने की योजना की पु्ष्टि की है. शनिवार शाम ब्लिंकेन फिजी से हवाई के लिए रवाना हो गए. अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि सोलोमन द्वीप के लोगों ने दूसरे विश्वयुद्ध के मैदानों में अमेरिका के साथ अपने संबंधों के इतिहास को संजो कर रखा है. हालांकि अमेरिका को जो संबंधों में वरीयता मिलती है उस पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि चीन सोलोमन द्वीप के राजनेताओं और कारोबारियों को “अपने साथ लाने की कोशिशों में आक्रामक तरीके से” जुटा है।

सोलोमन पर भड़के दंगे अमेरिकी सरकार ने सोलोमन द्वीप पर हाल में हुए व्यापक दंगों के बाद यह कदम उठाने का फैसला किया है. करीब 7 लाख की आबादी वाला यह द्वीप नवंबर महीने में बुरी तरह दंगों में घिर गया था. शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से शुरू हुए इन दंगों ने लंबे समय से सुलग रहे क्षेत्रीय विरोध, आर्थिक समस्याओं और चीन से बढ़ती निकटता के कारण होने वाली समस्याओं को उजागर कर दिया. तीन साल पहले सोलोमन द्वीप ने ताइवान को छोड़कर चीन से रिश्ता कायम कर लिए. दंगाइयों ने इमारतों को आग लगा दी और दुकानों को लूट लिया।

सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मानसेह सोगावारे इसके अगले महीने अविश्वास प्रस्ताव में किसी तरह अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे. इस दौरान करीब 90 मिनट के जोशीले भाषण में सोगावारे ने सांसदों से कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और वो “दुष्ट ताकतों” या “ताइवान के एजेंटों” के आगे नहीं झुकेंगे. पहले भी रहा है दूतावास अमेरिका ने सोलोमन द्वीप पर दूतावास पांच साल तक चलाने के बाद 1993 में बंद कर दिया. पड़ोसी पापुआ न्यू गिनी के अमेरिकी दूतावास को ही सोलोमन द्वीप की भी जिम्मेदारी दे दी गई. फिर दूतावास खोलने का फैसला बाइडेन प्रशासन की हिंद प्रशांत योजना की रणनीति के साथ फिट बैठ रहा है जिसका एलान शुक्रवार को किया गया. हिंद प्रशांत योजना के तहत इस इलाके में नई साझेदारी और गठजोड़ बनाने पर ध्यान रहेगा ताकि चीन के बढ़ते असर और महत्वाकांक्षा को जवाब दिया जा सके।

संसद को दी गई अधिसूचना में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सोलोमन द्वीप के नेताओं और कोराबारियों को साथ लाने के लिए चीन अपने जाने पहचाने “बेहद खर्चीले वादों, महंगे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कर्ज और खतरनाक स्तर तक कर्ज को बढ़ाने” के तरीके इस्तेमाल कर रहा है. विदेश मंत्रालय ने लिखा है, “प्रशांत क्षेत्र में बिना अमेरिकी दूतावास वाले द्वीप सोलोमन के साथ हमारे राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी संबंधों को बढ़ाने में अमेरिका की रणनीतिक दिलचस्पी है” विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह तुरंत नया दूतावास बनाने की उम्मीद नहीं कर रहा है बल्कि लीज पर जगह लेकर शुरुआती सेट अप तैयार करेगा जिस पर करीब 1.24 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा. दूतावास द्वीप की राजधानी होनियारा में बनेगा और फिलहाल छोटे दफ्तर से ही शुरुआत होगी जिसमें दो अमेरिकी और पांच स्थानीय कर्मचारी होंगे।  

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