नए संघर्ष विराम के लिए बंधक समझौते पर बन सकती है सहमति: जेक सुलिवन

जेक सुलिवन

वॉशिंगटन। इस्राइल और हमास के बीच पांच महीने से अधिक समय से जारी युद्ध थोड़े समय के लिए थम सकता है। सात अक्टूबर को आतंकियों ने इस्राइल पर हमला कर कई सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया था। इसके बाद, इस्राइल ने कड़ी जवाबी कार्रवाई और समझौता कर अपने कुछ लोगों को रिहा करा लिया था। अब एक बार फिर पेरिस में बहुराष्ट्रीय वार्ता में हमास के बंधकों को रिहा करने और पश्चिम एशिया में नए संघर्ष विराम के लिए संभावित समझौते पर सहमति बनती दिख रही है। यह अमेरिका का कहना है। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने रविवार को बताया, ‘इस्राइल, अमेरिका, मिस्र और कतर के प्रतिनिधियों ने पेरिस में मुलाकात की। इस दौरान अस्थायी संघर्षविराम के बदले हमास द्वारा बनाए गए बंधकों को रिहा करने पर चारों के बीच सहमति बनी।’

मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया सहित एक इस्राइली प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को पेरिस में सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के निदेशक बिल बर्न्स, मिस्र और कतर के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहा है। कथित तौर पर, हमास और इस्राइल एक दूसरे से सीधे बात नहीं करते हैं, इन दोनों के बीच कतर और मिस्र मध्यस्थता निभाते हैं।

सुलिवन ने बताया, ‘इस्राइल, संयुक्त राज्य अमेरिका, मिस्र और कतर के प्रतिनिधियों ने पेरिस में मुलाकात की और उनमें से चार के बीच एक अस्थायी युद्धविराम के लिए बंधक समझौते की मूल रूपरेखा कैसी दिखेगी इस पर बात बनती दिखी। मैं इसकी बारीकियों में नहीं जा रहा हूं क्योंकि इसके विवरण को सामने लाने के मामले में अभी भी बातचीत चल रही है। ‘ बताया जा रहा है कि पेरिस में हुई बातचीत के बारे में हमास को रविवार शाम को जानकारी दी गई है। हालांकि, अंदाजा लगाया जा रहा है कि किसी भी अंतिम सौदे में अभी भी कुछ दिन लगे हैं।

गौरतलब है, हमास ने बीते साल सात अक्तूबर को दक्षिण इस्राइल पर हमला किया था। एक साथ सैकड़ों मिसाइलों को दागा गया था। साथ ही जमीनी हमला भी किया गया था। आतंकवादियों ने 1200 इस्राइली नागरिकों की हत्या कर थी। इसके अलावा, 250 लोगों को बंधक बना लिया था। जिनमें से आधे अभी भी हमास के कब्जे में हैं। वहीं, युद्ध में इस्राइली सेना ने गाजा के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया है। करीब 24 हजार फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस्राइल के आक्रमण के बाद से गाजा की 23 लाख की आबादी में 85 फीसदी लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं। एक चौथाई आबादी भुखमरी का सामना कर रही है।

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