मॉस्को। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को मॉस्को में ब्रिक्स बिजनेस फोरम में कहा कि ब्रिक्स समूह के देशों की साझा जीडीपी 60 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो कि जी-7 देशों की जीडीपी से ज्यादा है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों की भूमिका वैश्विक अर्थव्यवस्था में भविष्य में और बढ़ेगी। पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देश वास्तव में वैश्विक आर्थिक विकास के मुख्य चालक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में वैश्विक जीडीपी में बढ़ोतरी खासतौर पर ब्रिक्स समूह की वजह से ही होगी। उनका यह बयान ब्रिक्स के आगामी शिखर सम्मेलन से पहले आया है, जो 22-24 अक्तूबर को कजान में आयोजित होगा।
पुतिन ने यह भी कहा कि 1992 में जी-7 देशों की हिस्सेदारी 45.5 फीसदी थी, जबकि ब्रिक्स देशों की देशों की हिस्सेदारी 16.7 फीसदी थी। लेकिन 2023 में ब्रिक्स की हिस्सेदारी बढ़कर 37.4 फीसदी हो गई है, जबकि जी-7 देशों की हिस्सेदारी 29.3 फीसदी रह गई है। पुतिन ने कहा कि इसमें बढ़ती हुई खाई दिखाई दे रही है और यह बढ़ती ही रहेगी, यह जरूरी भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ब्रिक्स का केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान ही नहीं है। बल्कि समूह की ओर से किए कामों से सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने और सतत विकास सुनिश्चित करने के ठोस नतीजे मिलते हैं, जो वास्तव में देशों के आम नागरिकों की भलाई और जीवन में स्तर में सुधार करता है। पुतिन ने आगे कहा कि पिछले कुछ दशकों में वैश्विक जीडीपी का 40 फीसदी से अधिक ब्रिक्स देशों से आया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष ब्रिक्स का औसत वार्षिक विकास दर चार फीसदी रहने की उम्मीद है, जो जी-7 देशों की केवल 1.7 फीसदी है।
रूसी राष्ट्रपति ने यह भी याद दिलाया कि ब्रिक्स का वैश्विक उत्पादों के निर्यात में लगभग एक चौथाई हिस्सा है। इसके अलावा, ब्रिक्स देशों की कंपनियां उर्जा संसाधनों, धातुओं और खाद्य पदार्थों जैसे कई महत्वपूर्ण बाजारों में प्रमुखता रखती हैं। ये वे बाजार हैं, जिनके बगैर आर्थिक विकास संभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 अक्तूबर को रूस की यात्रा करेंगे, जहां वे कजान में 16वें ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सम्मेलन रूस की अध्यक्षता में हो रहा है। ब्रिक्स समूह के शिखर सम्मेलन से पहले पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, अमेरिका ने लगातार प्रतिबंध लगाकर रूस के साथ अपने रिश्ते खराब कर लिए हैं और इसका उन पर ही नकारात्मक असर पड़ा है। पूरी दुनिया सोच रही है कि क्या डॉलर इस्तेमाल करने लायक है.. यहां तक कि अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों ने भी अपना डॉलर भंडार कम कर दिया है। अमेरिका करीब पंद्रह साल पीछे है। वह चीन को विकास से नहीं रोक पाएगा। उन्होंने कहा, चीन के साथ हमारे रिश्ते एक-दूसरे के हितों को ध्यान में रखकर बने हैं।