हथियारों से कहीं ज्यादा बड़ी ताकत अहिंसा: एंटोनियो गुटेरेस

एंटोनियो गुटेरेस

वॉशिंगटन। दो अक्तूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती थी। इस मौके पर दुनियाभर के अधिकारियों और नेताओं ने बापू को याद किया। इसी क्रम में, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने यूक्रेन से लेकर पश्चिम एशिया तक जारी संघर्ष और हिंसा से भरी दुनिया पर गहरी चिंता जताते हुए महात्मा गांधी के अहिंसा, शांति एवं समानता के संदेश पर प्रकाश डाला। गुटरेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर हम महात्मा गांधी की जयंती मनाते हैं और उन मूल्यों की पुष्टि करते हैं जिनके लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया। वो हैं- समानता, सम्मान, शांति और न्याय। उन्होंने चिंता जताते हुए यह भी कहा कि दुनिया भर में संघर्ष बढ़ रहा है।

एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ‘यूक्रेन से सूडान, मध्य पूर्व और उससे कहीं आगे तक युद्ध विनाश, गरीबी और भय पैदा कर रहा है। असमानता और जलवायु अराजकता शांति की नींव को कमजोर कर रही है। सोशल मीडिया पर फैलाई गई नफरत सड़कों पर दिख रही है।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बापू का मानना था कि अहिंसा मानवता के लिए उपलब्ध सबसे बड़ी ताकत है, जो किसी भी हथियार से अधिक शक्तिशाली है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया कि वे मिलकर “उस महान दृष्टिकोण का समर्थन करने’ के लिए संस्थाएं बनाएं।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बुधवार को ‘गांधीवादी मूल्य और संयुक्त राष्ट्र चार्टर’ शीर्षक से एक विशेष कार्यक्रम हुआ। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष फिलेमोन यांग के कैबिनेट प्रमुख इवोर फंग ने कहा कि गांधीजी का जीवन शांतिपूर्ण विरोध की प्रभावशीलता का एक शक्तिशाली प्रमाण है, जो दुनिया भर में, विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका के लोगों को प्रेरित करता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा, ‘महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करके अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस की शुरुआत की। संयुक्त राष्ट्र भवन में उनकी उपस्थिति सत्य और अहिंसा के उनके मार्ग पर चलने और ‘शांति ही मार्ग है’ की निरंतर याद दिलाती है। आज गांधीवादी मूल्यों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हमारी चर्चाओं की प्रतीक्षा है।’

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