संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में भारत की साख दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जहां एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा था कि सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वहीं, अब संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने भी भारत को संयुक्त राष्ट्र में लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक मूलभूत स्तंभ बताया है। गुटरेस का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच सहयोग अनुकरणीय है। संयुक्त राष्ट्र में सोमवार को भारत के नए दूत पार्वथनेनी हरीश का यूएन महासचिव गुटरेस ने स्वागत किया। वहीं, हरीश ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र महासचिव को अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया।
गुटेरेस ने हरीश से कहा, ‘आपका अत्यंत स्वागत है। भारत संयुक्त राष्ट्र में लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक मूलभूत स्तंभ है और भारत और संयुक्त राष्ट्र के बीच सहयोग अनुकरणीय है। हमारा मानना है कि आपकी उपस्थिति में यह और भी मजबूत हो जाएगा।’ हरीश ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को बताया कि वह उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर का ‘अभिवादन’ लेकर आए हैं, जिस पर गुटेरेस ने जवाब दिया, ‘कृपया उन्हें मेरा हार्दिक अभिनंदन बताएं।’हरीश संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत के रूप में कार्यभार संभालने के लिए पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क पहुंचे थे। उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया और संयुक्त राष्ट्र के कई शीर्ष नेताओं और अपने वैश्विक समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र नेताओं में से उनकी मुलाकात संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस से हुई। अपनी मुलाकात के बाद, हरीश ने एक्स पर पोस्ट किया कि वह फ्रांसिस से मिलकर खुश थे और आपसी हित के विभिन्न मुद्दों पर उनकी अंतर्दृष्टि से लाभान्वित हुए। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत को महासभा के समर्थन की सराहना की। इस साल जनवरी में फ्रांसिस की भारत यात्रा का संदर्भ देते हुए, उनकी भारत यात्रा के अनुभवों को सुनना खुशी की बात है। हरीश ने प्रौद्योगिकी पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दूत अमनदीप सिंह गिल, संयुक्त राष्ट्र में मिस्र के स्थायी प्रतिनिधि ओसामा अब्देल खालेक, संयुक्त राष्ट्र में भूटान के स्थायी प्रतिनिधि पेमा लेक्टुप दोरजी, पुर्तगाल के राजदूत रुई विन्हास और जापानी दूत राजदूत यामाजाकी काजुयुकी से भी मुलाकात की।