मतदान पर पड़ सकता है जलवायु परिवर्तन का असर: प्रधानमंत्री केपी शर्मा

काठमाण्डु । नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही प्राकृतिक घटनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहीं प्राकृतिक आपदाएं नागरिकों के मतदान करने के अधिकार के इस्तेमाल में एक बड़ा रोड़ा पैदा कर सकती हैं। उन्होंने चुनाव अधिकारियों के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। फोरम ऑफ इलेक्शन मैनेजमेंट बॉडीज ऑफ साउथ एशिया (एफईएमबीओएसए) के 12वें सम्मेलन के उद्घाटन में ओली शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और सोशल मीडिया का उदय तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की भूमिका जैसे मुद्दे हमारे लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।

शर्मा ने आगे कहा जलवायु परिवर्तन के कारण अचानक मौसम में बदलाव आना और प्राकृतिक आपदाएं यह सुनिश्चित करने की हमारी क्षमता को खतरा पैदा करती हैं कि प्रत्येक नागरिक मतदान के अपने अधिकार का उपयोग कर सके। जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा नहीं है, यह हमारे समाज के हर पहलू को छूता है। पीएम ओली ने ‘चुनावों में उभरती प्रवृत्ति: जलवायु परिवर्तन, सोशल मीडिया और पलायन’ विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन में बात की। उन्होंने कहा कि सीमाओं के पार और हमारे देशों के भीतर लोगों की आवाजाही का मतदाता सूची, मतदाता पहचान और मतदान के अधिकार पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस नेताओं के मतदाताओं से जुड़ने और चुनाव कराने के तरीके में क्रांति ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये उपकरण भागीदारी के लिए कई अवसर देते हैं। मगर इसके साथ ही ये गलत सूचना, फर्जी समाचार और हेरफेर जैसे खतरे भी पैदा करते हैं जो हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों में विश्वास को खत्म कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन तकनीकों को अपनाते हुए हमें पारदर्शिता और जवाबदेही के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए सावधानी और दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ ऐसा करना चाहिए।

नेपाल के मुख्य चुनाव आयुक्त दिनेश कुमार थपलिया ने कहा कि राजनीतिक दल चुनाव कराते समय पर्यावरण के मुद्दे की ओर सरकार का ध्यान लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण एशिया की सरकारों को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों का समाधान करना चाहिए क्योंकि इसका प्रभाव लोगों के पलायन और मतदान के बदलते स्वरूप में देखा जा रहा है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव कराने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और सामग्री पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिए। भूटान के मुख्य चुनाव आयुक्त दाशो सोनम तोबगे ने नेपाल सीईसी थपलिया को एफईएमबीओएसए की अध्यक्षता सौंपी। कार्यक्रम में उपस्थित भारत के वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त नितेश कुमार व्यास ने भी चुनाव प्रक्रियाओं और मतदान के अधिकारों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर प्रकाश डाला।

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