हिंद महासागर बनेगा अगले 50-60 वर्षों में आर्थिक ताकत का केंद्र : विक्रमसिंघे

कोलंबो। हिंद महासागर क्षेत्र में जबरदस्त विकास हो रहा है और यह अगले पचास से साठ वर्षों में महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र बनने जा रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंह ने शनिवार को द्वीप राष्ट्र और भारत के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों का जिक्र करते हुए यह बात कही। श्रीलंका के 76वें स्वतंत्रता दिवस और भारत के 75वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने के लिए कोलंबो में श्रीलंका-भारत सोसाइटी में एक सभा आयोजित की गई थी। इसको संबोधित करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि भारत, इंडोनेशिया, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों की हिंद महासागर क्षेत्र में बड़ी भूमिका है और वे विभिन्न पहलुओं पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, भारत, इंडोनेशिया, ईरान और सऊदी अरब जैसे देश विभिन्न पहलुओं पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास हो रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र अगले 50-60 वर्षों में एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा, यह जरूरी है कि हम इस प्रयास को अभी शुरू करें। हमारे दोनों देशों के बीच मौजूदा सियासी संबंधों और विभिन्न क्षेत्रों में हमारी निकटता को देखते हुए यह जरूरी है कि हम सहयोग करें और एक साथ प्रगति करें। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत व्यापार और आर्थिक संबंधों की जरूरत है। श्रीलंका और भारत के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। दुर्भाग्य से दोनों देशों ने आपस में व्यापार और आर्थिक संबंधों को नजरअंदाज किया है।

उन्होंने आगे कहा, यह याद रखना जरूरी है कि हमारे संबंध सांस्कृतिक संबंधों से परे भी हैं। ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि मोहनजोदड़ो सभ्यता के समय में भी भारत से श्रीलंका के लिए जहाज रवाना हुए थे। विक्रमसिंघे ने कहा कि अनुराधापुरा के प्राचीन गांवों की खुदाई के दौरान कुछ क्षेत्रों में दक्षिण भारतीय व्यापार संगठनों द्वारा जारी संगठनों के सिक्के मिले हैं। यह पुरातात्विक साक्ष्य इस ओर इशारा करते हैं कि श्रीलंकाई रुपये और भारतीय रुपये के इस्तेमाल पर समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से बहुत पहले से लोगों ने व्यापार लेनदेन ककरने के लिए एक आम मुद्रा का इस्तेमाल किया था।

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