असमानता के नए रूपों से जूझ रहा विश्व, संयुक्त राष्ट्र में सुधार जरूरी: जयशंकर

कंपाला। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर देते हुए एक बहुध्रुवीय दुनिया का आह्वान किया। उन्होंने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के देशों से उनकी आर्थिक सुरक्षा कमजोर करने वाली ताकतों को चुनौती देने की अपील की और कहा, एनएएम की आवाज यहां रहने और बढ़ने के लिए है। जयशंकर ने कहा, दुनिया ‘नए प्रकार की असमानता और वर्चस्व’ से जूझ रही है।

युगांडा की राजधानी कंपाला में 19वें गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ से प्रेरित भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। जयशंकर ने कहा कि 2019 में अजरबैजान की राजधानी बाकू में एनएएम की बैठक के बाद से दुनिया पूरी तरह बदल गई है। उन्होंने कहा, कोविड-19 महामारी ने हम सभी को तबाह कर दिया है, जिसके घाव भरने में पीढ़ियां लग जाएंगी। इसका असर दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है। विशेष रूप से गाजा हमारी चिंता के केंद्र में है। उन्होंने कहा, कर्ज, मुद्रास्फीति और विकास की चुनौतियों ने भी विकास पर भारी असर डाला है। जयशंकर ने कहा, हमने भले ही उपनिवेशवाद को उखाड़ फेंका हो, लेकिन हम असमानता और वर्चस्व के नए रूपों से संघर्ष कर रहे हैं। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर देते हुए बहुध्रुवीय दुनिया का आह्वान करते हुए कहा, हमें सांस्कृतिक पुनर्संतुलन पर भी जोर देना चाहिए।

एनएएम सम्मेलन के दौरान  जयशंकर ने फलस्तीनी समकक्ष रियाद अल-मालिकी से गाजा संघर्ष पर चर्चा की। उन्होंने क्षेत्र में भारत का दो-राष्ट्र समाधान नीति का समर्थन दोहराया। उन्होंने मानवीय और राजनीतिक पहलुओं पर भी विचारों को साझा किया। विदेश मंत्री ने गाजा संघर्ष को लेकर चिंता जताई और बेहतरी की कामना की। जयशंकर ने बोलीविया, अजरबैजान और वेनेजुएला के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं और क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। बोलिविया की विदेश मंत्री सेलिंडा सोसा लुंडा से विकास सहयोग व टिकाऊ जीवन शैली पर, अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव से द्विपक्षीय संबंधों पर व वेनेजुएला के विदेश मंत्री यवन गिल से ऊर्जा-विकास पर बात हुई।

जयशंकर ने एनएएम के 19वें शिखर सम्मेलन से इतर शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा, हमारी द्विपक्षीय पहलों की प्रगति के लिए विक्रमसिंघे के निरंतर मार्गदर्शन की भारत सराहना करता है। उन्होंने कहा, भारत की प्रतिबद्धता पड़ोसी प्रथम और समुद्री नीति में परिलक्षित होती है। एनएएम शिखर सम्मेलन के मौके पर जयशंकर ने युगांडा के नेतृत्व के साथ ही अन्य एनएएम सदस्य देशों के समकक्षों से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की पहल की है।

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