शी जिनपिंग-किम जोंग का अहम एलान

शी जिनपिंग-किम जोंग

बीजिंग। चीन और उत्तर कोरिया करीबी सहयोगी हैं। दोनों देशों ने सोमवार को संयुक्त रूप से 2024 को ‘चीन-डीपीआरके मैत्री वर्ष’ घोषित किया। कोरिया और रूस की कथित करीबी को लेकर बीजिंग की चिंता बढ़ने की अटकलों के बीच शी जिनपिंग और किम जोंग उन ने गतिविधियों की श्रृंखला शुरू करने का एलान किया। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कोरिया चीन का सबसे करीबी रणनीतिक सहयोगी माना जाता है। उत्तर कोरिया के साथ चीन का करीबी सुरक्षा और आर्थिक सहयोग है।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने एक जनवरी को नए साल का उत्सव मनाने के साथ-साथ शुभकामना संदेश जारी किए। दोनों का बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों अपने-अपने देश में सबसे शीर्ष नेता हैं। जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) सेंट्रल कमेटी के महासचिव हैं। दूसरी तरफ किम जोंग उन वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया के महासचिव हैं। किम डीपीआरके (डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया) के राज्य मामलों के अध्यक्ष भी हैं।

किम को भेजे अपने संदेश में राष्ट्रपति जिनपिंग ने चीन और उत्तर कोरिया (DPRK) के करीबी द्विपक्षीय संबंधों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चीन और डीपीआरके के बीच पारंपरिक मैत्रीपूर्ण सहयोग, दोनों देशों के संयुक्त प्रयासों के कारण ऐतिहासिक कालखंड में हैं। दोनों पक्षों के बीच घनिष्ठ रणनीतिक संचार हो रहे हैं। व्यावहारिक सहयोग गहरा होने के अलावा, बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय मामलों में समन्वय और सहयोग भी मजबूत हुआ है। चीन-डीपीआरके ने सामान्य हितों की रक्षा की है। इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बरकरार रखने में मदद मिली है।

जिनपिंग से मिले संदेश के बाद किम जोंग उन ने कहा कि 2024 दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों में समाजवादी ढांचा नए चरण में प्रवेश कर चुका है। अंतरराष्ट्रीय परिवर्तन भी जटिल दौर में है। उन्होंने कहा, ‘समाजवाद के संघर्ष में मजबूत हुई डीपीआरके-चीन की अटूट दोस्ती इस साल पूरी तरह से प्रदर्शित होगी। किम जोंग उन ने कहा, डीपीआरके और चीन के संबंधों में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मैत्री वर्ष के दौरान दोनों देशों की सरकारें राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति सहित सभी क्षेत्रों में आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगी। इससे मित्रता मजूबत होगी। क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के संयुक्त प्रयासों में सहयोग भी बढ़ेगा।

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