यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का दावा नजरअंदाज नहीं कर सकते: डेनिस फ्रांसिस

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि वह सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता की उसकी महत्वाकांक्षा से अवगत हैं। यूएनएससी में बदलाव व उसमें नए सदस्यों को शामिल करने का फैसला तो सदस्य ही लेंगे, लेकिन 1.4 अरब की आबादी वाले लोकतंत्र की दावेदारी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

फ्रांसिस ने खास बातचीत में कहा, इसमें कोई शक नहीं कि संयुक्त राष्ट्र में अग्रणी देश है। भारत बहुपक्षवाद का उत्साही व प्रतिबद्ध समर्थक रहा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र काफी महत्व देता है। फ्रांसिस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 78वें सत्र के प्रमुख के तौर पर अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ये टिप्पणियां कीं। फ्रांसिस ने कहा, भारत ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग के संदर्भ में विकासशील देशों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने में एक उन्नत विकासशील देश के तौर पर बड़ी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। इसके लिए भारत सरकार की सराहना की जानी चाहिए।

फ्रांसिस ने कहा, डिजिटलीकरण व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की बहुत गहरी दिलचस्पी है और यह समझ में भी आता है, क्योंकि डिजिटलीकरण देश की मौजूद संभावनाओं को अनलॉक करने की कुंजी है। यह देश के आर्थिक विकास में भी योगदान दे रहा है। फ्रांसिस इससे पहले भी कई मौकों पर गरीबी को कम करने व लाखों लोगों को औपचारिक तौर पर आर्थिक प्रणाली में शामिल करने के लिए भारत के डिजिटलीकरण अभियान की सराहना कर चुके हैं।

यूएनजीए प्रमुख ने कहा, हम जानते हैं कि भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की महत्वाकांक्षा रखता है। सदस्य देश इस पर फैसला लेंगे कि उन्हें परिषद में कैसे सुधार करना है, उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए कौन-से देश सबसे उपयुक्त होंगे तथा शक्तियों का विभाजन किस तरह से किया जाएगा। लेकिन, मुझे विश्वास है कि कोई भी इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि भारत वैश्विक मामलों में निरंतर मजबूत योगदान दे रहा है और उसका भविष्य उज्ज्वल है। बता दें कि भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र के इस ताकतवर निकाय में स्थायी सदस्यता की दावेदारी कर रहा है। उसका कहना है कि यूएनएससी के मौजूदा स्वरूप में वर्तमान भूराजनीति की वास्तविकता प्रतिबिंबित नहीं होती।

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