चंबल प्रोजेक्ट…पॉलिटिकल पावर के बाद भी अधर में

चंबल प्रोजेक्ट
  • सात साल में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा प्रोजेक्ट

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर-चंबल अंचल के बड़े शहरों की प्यास बुझाने के लिए सात साल पहले तैयार किया गया चंबल प्रोजेक्ट अभी भी अधर में लटका हुआ है। यह स्थिति तक है जब इस प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश का पॉलिटिकल पावर एकजुट नजर आ रहा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में इस प्रोजेक्ट का खाका तैयार हुआ था और उन्होंने भूमिपूजन किया था। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, वीडी शर्मा, हितानंद शर्मा, नरोत्तम मिश्रा का क्षेत्रीय जोर रहा है। लेकिन योजना सात साल में एक कदम आगे नहीं बढ़ पाई है। वहीं अब 16 दिसंबर को वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा जेयू कैंपस में कार्य शुभारंभ के नाम पर भूमिपूजन किया है।
दरअसल चंबल नदी से पानी लाने की योजना 2017-18 में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार के समय बनाई गई। उस समय अधिकारियों पर चुनाव से पहले टेण्डर कराने का दबाव था और आनन-फानन में टेण्डर अपलोड़ कर दिया गया। लेकिन टेण्डर खुले नहीं। आचार संहिता के चलते टेण्डर पर रोक लगा दी गई। इसके बाद सरकार बदली और कांग्रेस सत्ता में आई। चूंकि सरकार को श्रेय लेना था इसलिए प्रोजेक्ट में बहुत से बदलाव किए गए। फिर भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही ग्वालियर के साथ मुरैना को भी चंबल का पानी दिलाने को प्राथमिकता दी। वर्तमान में चंबल नदी-कोतवाल बांध से पानी लाने का प्रोजेक्ट देवरी गांव (मुरैना जिला) से ही बाहर नहीं आ सका है। जबकि जलालपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (ग्वालियर) तक का सफर 43 किलोमीटर का तय करना है। काम के नाम पर वहां अभी सिर्फ एक गड्डा ही नजर आया। जबकि प्रोजेक्ट पर काम करने वाली जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन एवं इनविराड प्रोजेक्ट (ज्वाइंट एडवेंचर) ने 12 मार्च 2024 को वर्क ऑर्डर लिया था। उसे 24 महीने में काम पूरा करना है, लेकिन 9 महीने बीतने के बाद भी पाइपलाइन डालने का भी काम शुरू नहीं हो सका है।
संपवेल के जरिए ग्वालियर पहुंचाना है पानी
देवरी गांव से चंबल नदी का पानी संपवेल के जरिए ग्वालियर पहुंचाना है, लेकिन मौके पर केवल चार कर्मचारी काम करते दिखे। संपवेल का बेस तैयार होने में महीनों का समय लगने की संभावना है। कोतवाल बांध से ग्वालियर के लिए इंटेकवेल बनाने की योजना है, लेकिन अभी तक जमीन का चिन्हांकन तक नहीं हो पाया है। वहीं 43 किमी लंबी पाइपलाइन के लिए गड्डा खोदने तक का काम शुरू नहीं। इंविराड कंपनी के प्रोजेक्ट इंजीनियर एफआई खान का कहना है कि कुछ दिन पहले सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा कार्य शुभारंभ करने के बाद चंबल प्रोजेक्ट का काम शुरू कर दिया है। इससे पहले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भूमि पूजन किया था उसके बाद देवरी गांव में गड्डा खोदा था। लेकिन अफसरों के मना करने के बाद काम रोक दिया गया था। वहीं ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट का कहना है किचंबल से ग्वालियर तक पानी लाने के प्रोजेक्ट में किन कारणों से देरी हो रही है इसका पता लगाएंगे। काम समय में पूरा कराने का प्रयास करेंगे।
राजनीतिक रस्साकशी में फंसा
चंबल नदी से पानी लाने के 458.64 करोड़ के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की रफ्तार राजनीतिक रस्साकशी और प्रशासनिक अड़चनों में फंस गई है। 14 महीने में दो मुख्यमंत्रियों से भूमिपूजन कराए गए। पहले 6 अक्टूबर 2023 को महाराज बाड़ा पर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वर्चुअली जुडकऱ और 16 दिसंबर को वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा जेयू कैंपस में कार्य शुभारंभ के नाम पर भूमिपूजन किया। खास बात यह है कि इन दोनों आयोजनों में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट मौजूद रहे।  ग्वालियर नगर निगम को नेशनल हाईवे, रेलवे, जल संसाधन विभाग, और अन्य विभागों से जरूरी एनओसी लेनी है। एनएच-44 पर काम करने के लिए निगम को 16.57 करोड़ की लाइसेंस फीस और पर्सनल गारंटी के रूप में 3.95 लाख की राशि देनी है। निगम ने एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को पत्र लिखकर राशि कम करने को कहा है। कोतवाल बांध पर इंटेकवेल के लिए जमीन आवंटित न होना और सांक नदी का मिट्टी परीक्षण जैसे मुद्दे काम में देरी की वजह बने हुए हैं।

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