मप्र विधानसभा चुनाव में इस बार नया प्रयोग करेगी भाजपा

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। संघ और भाजपा की प्रयोग भूमि मप्र में इस बार भाजपा आलाकमान विधानसभा चुनाव में एक नया प्रयोग करने जा रहा है। इस प्रयोग के तहत इस बार भाजपा हर जिले में प्रत्याशी के तौर पर एक नया चेहरा उतारेगी। यह चेहरा सामाजिक, धार्मिक, शिक्षा आदि किसी भी क्षेत्र से हो सकता है। इसके पीछे पार्टी की मंशा है कि जिले में सामाजिक या अन्य क्षेत्र में सक्रिय व्यक्ति को चुनाव में टिकट दिया जाए, ताकि इस दिशा में काम करने वाले लोगों को महत्व मिल सके और समाज में एक अच्छा संदेश जाए। भाजपा के इस प्रयोग से इस बार चुनाव में कई चौकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं।
गौरतलब है कि नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भाजपा ने यह प्रयोग इंदौर में महापौर चुनाव के दौरान किया था। पार्टी ने अचानक ही अलग तरह से पार्टी प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव को घोषित किया था। जिसे वहां की जनता ने पसंद भी किया। आज पुष्यमित्र भार्गव अच्छा काम कर रहे हैं और जनता के बीच लगातार सक्रिय है। उसी तर्ज पर अब भाजपा विधानसभा चुनाव में भी गैर राजनीति व्यक्ति को हर जिले में कम से कम एक सीट पर टिकट देने की तैयारी कर रही है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, देवास, उज्जैन जैसे बड़े शहरों में खासकर ऐसे चेहरे तलाशे जा रहे हैं ,जो विवादित न हों और समाज, शहर व उस संबंधित क्षेत्र के लिए सूटेबल हों।
कमजोर कडिय़ों पर फोकस
इस बार पहली सूची में ही भाजपा ने अपनी कमजोर कडिय़ों पर फोकस करते हुए कई नए चेहरों पर पर दांव लगाया है। दरअसल, पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीतने को आतुर भाजपा ने फिर से अपने किले को और मजबूत करने के लिए मुक्कमल प्लान बना लिया है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि सबसे पहले भाजपा करीब 90 से 100 नए विधानसभा उम्मीदवारों पर दांव लगाएगी। करीब 40 फीसदी नए उम्मीदवारों को भाजपा विधानसभा चुनाव में मौका देगी। 2018 विधानसभा चुनाव में हारी हुई  सीटों में से ज्यादातर सीटों पर नए प्रत्याशियों को पार्टी टिकट देगी। जबकि जीती हुई 130 सीटों में से भी 10-15 फीसदी से ज्यादा सीटों पर मौजूदा मंत्रियों और विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। साथ ही उन नेताओं का भी टिकट कटेगा, जिनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी ज्यादा है। इस क्रम में पार्टी के कुछ ऐसे नेता जिनका कद राज्य की राजनीति में बड़ा है, उनके भी टिकट कटेंगे। ऐसी स्थिति में गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के सक्रिय लोगों की तलाश की जा रही है। दरअसल, प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 बेहद संघर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अधिकतम ताकत इन चुनाव को जीतने के लिए लगा रहे हैं। अपने दल की और संभावित प्रत्याशियों की जनता के बीच नब्ज टटोलने का इतना सघन प्रयास शायद ही पहले कभी हुआ हो और बार-बार लिए जा रहे इन सर्वे सैंपल के आधार पर रणनीति बन रही है क्योंकि, मतदाता भी झूलता नजर आ रहा है। कभी-कभी तो बराबरी की स्थिति बनती है तो कभी भाजपा आगे तो कभी कांग्रेस और जिस तरह से दोनों दल प्रयास कर रहे हैं, उससे यह स्थिति मतदान के दिन तक बनी रह सकती है क्योंकि, प्रयास भी ऐसे की जिसकी किसी ने कल्पना ना की हो। बहरहाल, भाजपा और कांग्रेस ने लगभग एक वर्ष पहले से अपने विधायकों को आगाह कर दिया था कि वे क्षेत्र में सक्रिय रहे। कार्यकर्ताओं के काम करें और आम जनता के बीच लोकप्रिय छवि बनाएं लेकिन, बहुत कम विधायक इन प्रयासों में सफल हुए हैं। अधिकांश के खिलाफ तमाम प्रयासों के बावजूद एंटी इनकंबेंसी अभी भी है और यही कारण है कि आप दोनों ही राजनीतिक दल अब ऐसे विधायकों के टिकट काटने जा रहे हैं , जो अब तक अपनी स्थिति क्षेत्र में नहीं सुधर पाए। सूत्रों की माने तो भाजपा में लगभग 55 विधायकों के टिकट कर सकते हैं ,जिनमें 15 के करीब मंत्री है।
 191 सीटों पर प्रत्याशियों के चयन की कवायद
विधानसभा चुनाव के लिए हारी हुई सीटों में से 39 पर अपने प्रत्याशी उतारकर भाजपा चुनावी कवायद में आगे है। दूसरे दौर में भी हारी हुई सीटों पर मंथन जारी है। कुल 230 में से अब 191 सीटें बाकी हैं, जहां प्रत्याशी तय किए जाना हैं। जानकारी के अनुसार भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की दूसरी सूची पर मंथन लगभग पूरा कर लिया है। अब दिल्ली से मुहर लगने के बाद भाजपा वापस सरप्राइज पॉलिटिक्स करेगी। पहली सूची में पार्टी ने 39 में से 30 टिकट अनुभवी नेताओं को दिए, फिर चाहे प्रीतम सिंह लोधी हो या मधु वर्मा या राजकुमार मेव। यही कारण है कि अब कई सीटों पर उन नेताओं की आस जागी है, जो पिछले चुनाव हारे थे। हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि जो सर्वे में आगे रहा, उसका नाम आगे आ गया। बावजूद पिछला चुनाव हारे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है और नई सूची जारी होने के बाद वहां भी बवाल होना तय है। दरअसल, 2018 में 230 सीटों में से भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। उसे 121 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा 40 सीटें ऐसी हैं, जहां जीत का अंतर बहुत कम था। इसलिए पार्टी इन पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
कशमकश वाली सीटों पर तलाश
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी की रणनीति के अनुसार गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के नेताओं को उन विधानसभा सीटों पर टिकट देने की तैयारी है, जहां कशमकश वाली स्थिति है। यानी जहां टिकट के दावेदारों में घमासान है और कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। ऐसी कई सीटें हैं, जहां उतारा जाने वाला प्रत्याशी ही सीट की जीत-हार तय कर देगा। भाजपा सूत्रों की मानें तो जीते हुए विधायकों के साथ ही भाजपा प्रदेश के 40 से 45 जिलों में एक-एक प्रत्याशी ऐसा उतारने की रणनीति पर काम कर रही है, जो नया चेहरा हो। इतना ही नहीं, यह चेहरा मूल पार्टी के नेता, कार्यकर्ता से इतर भी हो सकता है। मोदी-शाह की रणनीति हमेशा चौंकाने वाली रही है। पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक 55 जिलों में से 40 से 45 में एक-एक सीट पर पार्टी कुछ नए नाम लाएगी और टिकट देगी। इनमें कुछ प्रोफेशनल, अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले, लेकिन भाजपा की रीति-नीति को मानने वाले होंगे। इस इंटरनल रणनीति पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की वर्किंग जारी है। इसमें ऐसे नाम देखे जा रहे हैं जो फिलहाल दावेदारी में नहीं हैं।

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