नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मानसिक स्वास्थ्य जैसी चुनौतियों से निपटारे को लेकर केंद्र सरकार की तैयारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने और छात्रों की भलाई बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। बता दें कि एक सवाल के लिखित जवाब में पटेल ने कहा कि मेडिकल शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या के मामलों के आंकड़े केंद्रीय स्तर पर एकत्रित नहीं किए जाते हैं। स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने और छात्रों की भलाई को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसमें राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी), मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना, राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनटीएमएचपी), टेली मानस मोबाइल ऐप, और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति शामिल हैं।
अनुप्रिया पटेल ने यह भी बताया कि उच्च शिक्षा विभाग से अनुरोध किया गया है कि वे शिक्षण संस्थानों में एनटीएमएचपी और टेली मानस का प्रचार करें और छात्रों को तनावपूर्ण समय में हेल्पलाइन नंबरों के बारे में जानकारी दें। इसके साथ ही, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भी यह अनुरोध किया गया है कि वे अपने शिक्षण संस्थानों में इन सेवाओं का प्रचार करें। बता दें कि केंद्र सरकार ने इसके अलावा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की एंटी-रैगिंग समिति ने फरवरी 2024 में 15 सदस्यीय एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है। एनएमसी ने अगस्त 2024 में अपनी रिपोर्ट जारी की है।
इसके साथ ही अंतिम में स्वास्थ्य राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि पीड़ित छात्र एनएमसी की वेबसाइट या केंद्रीय लोक शिकायत निवारण प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) जैसी पोर्टलों पर मानसिक स्वास्थ्य और रैगिंग से संबंधित शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल कॉलेजों को रैगिंग की रोकथाम के लिए सालाना रिपोर्ट जमा करनी होती है और दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।