प्राण की पुण्यतिथि पर विशेष…बरखुरदार…मेरा नाम किशन सिकंद है….

प्राण

मुंबई/बिच्छू डॉट कॉम। 90 के दशक से पहले जिस अदाकार की भारतीय फिल्मों में तूती बोलती थी……. पर्दे पर अदायगी के साथ निजी जिंदगी में खौफ इतना कि लोग उस नाम को अपने बच्चों का नाम देना भी कतई पसंद नहीं करते थे……. जिनका नाम ही फिल्म हिट के लिए काफी था….. उस अदाकार का नाम था प्राण…….. लेकिन वह कहते थे बरखुरदार…….. मेरा नाम किशन सिकंद है…… आज यानी 12 जुलाई को उन्हीं प्राण की पुण्यतिथि है… इस खासा मौके पर हम प्राण की जिंदगी से जुड़े कुछ खास पहलुओं से आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं. बरखुदार शब्द जैसे ही कोई सुनता था, उसे सबसे पहले प्राण की याद आती थी। प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद सिविल इंजीनियर थे। प्राण के तीन भाई और तीन बहनें थीं। जवानी के दिनों में फोटोग्राफी का शौक रखने वाले प्राण ने बंटवारे से पहले कुछ पंजाबी और हिंदी फिल्मों में बतौर लीड एक्टर काम किया। लाहौर में भी उन्होंने 1942 से 46 तक 22 फिल्मों में काम किया। बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान से अपनी पत्नी और बेटे संग भारत आ गए थे। प्राण का असली नाम किशन सिकंद है। बताया जाता है कि प्राण असल में एक फोटोग्राफर बनना चाहते थे। लेकिन उन्होंने एक्टिंग में अपना करियर बनाया। प्राण ने 1942 में फिल्म खानदान से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 22 फिल्मों में बतौर विलेन की भूमिका निभाई थी। फिल्मों में नेगेटिव रोल्स कर प्राण ने खौफनाक विलेन का टैग अपने नाम किया था। प्राण वो कलाकार हैं, जिन्होंने हीरो बनकर ही लोकप्रियता होने की गलतफहमी को लोगों के दिलों से उतारा था। प्राण दर्शकों के दिलों पर अपनी एक्टिंग का जादू इस कदर चलाते थे कि स्क्रीन से दर्शकों की नजरें नहीं हटती थीं। इसीलिए कहा तो ये भी जाता है कि वह फिल्मों में हीरो से ज्यादा फीस लेते थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म डॉन के लिए अमिताभ बच्चन ने जहां ढाई लाख रुपये लिए थे, वहीं प्राण ने पांच लाख रुपए लिए। प्रोड्यूसर्स भी उनको पैसे देने से पीछे नहीं हटते थे। उन्होंने अपने करियर में मधुमती, देवदास, दिल दिया दर्द लिया, डॉन, जंजीर, मुनीम जी, अमरदीप, मजबूर, दोस्ताना, नसीब, कालिय, अमर अकबर एंथनी जैसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया है। प्राण को तीन बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला। 1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट खिताब से नवाजा गया।  प्राण को हिन्दी सिनेमा में उनके योगदान के लिए 2001 में भारत सरकार के पद्म भूषण मिला, साथ ही उन्हें साल दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। प्राण ने तकरीबन 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। कांपते पैरों की वजह से वह 1997 से व्हीलचेयर पर जीवन गुजार रहे थे। साल 2013 में प्राण साहब ने 93 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। हार्ट अटैक की वजह से प्राण साहब का देहांत हो गया था।

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