- हेमंत शर्मा
लिखने का कोई ऐसा मन नहीं था, लेकिन जिस अंदाज में कल प्रवासी भारतीय सम्मेलन में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बोले और बोले क्या-मेहमानों को रुला गए, तो न लिखना उस इंसान के साथ ज्यादती होगी जो पिछले कई दिनों से सिर्फ इस कोशिश में लगा था कि दुनिया भर से आए भारतवंशियों को देश के सबसे साफ शहर में और देश के सबसे शांत राज्य में कोई परेशानी न हो। राजधानी नई दिल्ली के बाहर किसी राज्य और उसके भी एक शहर में ऐसे सम्मेलन की कल्पना करना ठीक वैसा ही है जैसे कोई छोटा-मोटा देश, फुटबाल विश्वकप का आयोजन अपने हाथ में ले ले। लेकिन प्रदेश के मुखिया की सोच और उसी गरिमा के अनुरूप क्रियान्वित करने के लिए ‘टीम शिवराज’ को बधाई ना देना भी ज्यादती होगी। मेहमानों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी और उनकी सुविधाओं का ख्याल इस बारीकी तक रखना कि उनके भोजन में इंदौरी स्वाद तो मिल रहा है ना? यह चिंता सिर्फ शिवराज ही कर सकते हैं। और विदाई की बेला में जुबां पर यह अल्फाज आना कि मन यह सोचकर भारी हो रहा है कि आप चले जाओगे। अरे… यहीं रुक जाओ। काश कोई ऐसी मशीन होती जो उस दौरान गले की रुंधी आवाज को माप पाती और यह बता पाती कि इस इंसान ने यह बात कितने भावुक हो कर कही होगी – तो वह मशीन शायद खुद पहले अपने आंसू पोंछती और फिर परिणाम बताती कि इससे ज्यादा भावुकता से यह बात किसी राजनेता ने कभी नहीं कही होगी। और शिवराज इस आयोजन में अकेले नहीं थे। इंदौर नगर-निगम के मुखिया पुष्यमित्र भार्गव- प्रतिभा पाल और इंदौर विकास प्राधिकरण के प्रमुख जयपाल सिंह चावड़ा आयोजन में ऐसे जिम्मेदारी संभाले थे कि मेहमान को कोई छोटी-सी कमी भी महसूस ना हो। दिवाली की तरह शहर सजा और ‘पधारो म्हारे घर’ के बिल्कुल नए विचार को इस शहर ने अपनी जिम्मेदारी मान लिया। इस सबके बीच इंदौर ने आव-भगत अपने-अपने स्तर पर की उसका मोल तो किसी बड़े से बड़े देश की जीडीपी से भी कई गुना बड़ा है। अपने घर के किसी मंगल प्रसंग की तरह, जिम्मेदारी उठाने के बाद और मेहमानों के चेहरों की चमक देखने के बाद भी एक मुख्यमंत्री हाथ जोड़कर रुंधे गले और भीगी आंखों से कह रहा है – इस सबके बीच कल जो आपको असुविधा हुई उसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूं…। शिवराज जी, आप यकीन मानिए हर मेहमान आपके आदर-सत्कार से अभिभूत हो कर गया है। ऐसा अपनत्व, ऐसा प्यार शायद ही उन्हें कभी अपने शहर में भी मिला हो। (और जब यह पंक्तियां लिखी जा रही थीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अगले दो दिन चलने वाली ‘इन्वेस्टर्स समिट’ की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे थे!)
(लेखक प्रजातंत्र के संपादक हैं।)