बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/गोशाला से जिसे बदबू आए, उसे देश में रहने का हक नहीं: सीएम

 मोहन यादव

गोशाला से जिसे बदबू आए, उसे देश में रहने का हक नहीं: सीएम
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि गोशाला में जिसे बदबू आए उसे भारत में रहने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि उप्र जैसे बड़े राज्य में पशुपालन से जुड़े परिवार का एक व्यक्ति वोटों की राजनीति के लिए यह बात कहता है। उसे इत्र की खुशबू पसंद है और गोशाला बदबूदार लगती है।  यह बात उनके द्वारा इंदौर के पास आशापुरा गांव में गोशाला के भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान कही गई। मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार द्वारा गोवंश के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों को बताते हुए कहा कि सरकार गोपालन पर अनुदान दे रही है। गोवंश के साथ मप्र का दुग्ध उत्पादन में योगदान बढ़ाने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। गाय को दूसरी मां कहते हुए मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमारी मां के अलावा गाय ही है, जिनसे अमृत की बूंदें मिलती हैं। ब्राजील को उन्होंने सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश बताते हुए कहा कि भारतीय देसी  गायों से ही वहां दूध उत्पादन बढ़ा। बीते समय में हमारी कुछ गलतियां रहीं, जो गोवंश का महत्व नहीं समझा लेकिन अब इनकी सेवा के लिए पूरा वर्ष ही समर्पित किया जा रहा है।

योजना की राशि नहीं पहुंची खातों में, बहनों में नाराजगी : नायक
मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने लाड़ली बहना योजना की राशि वितरण में देरी और इसे बढ़ाने के वादे पर अमल न करने को लेकर मप्र सरकार पर निशाना साधा है। पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनावों में इस योजना की मासिक राशि 1,250 रुपए से बढ़ाकर 3,000 रुपए करने का वादा किया था, लेकिन डेढ़ साल बाद भी इस दिशा  में कोई प्रगति नहीं हुई। इसके साथ ही अप्रैल की 23वीं किश्त भी समय पर नहीं पहुंची, जिससे लाभार्थी महिलाओं में भारी निराशा और आक्रोश है। उन्होंने कहा कि लाड़ली बहना योजना की राशि नहीं बढ़ाया जाना बहनों के साथ विश्वासघात है। नायक ने कहा कि यह राशि महिलाओं की दैनिक जरूरतों, बच्चों की पढ़ाई और परिवार के पोषण के लिए जरूरी है, लेकिन सरकार न तो समय पर राशि दे पा रही है, न ही राशि बढ़ाने का वादा पूरा कर रही है।

नदी बचाने भाजपा विधायक को लेनी पड़  रही है एनजीटी की शरण
सतना जिले की बरुआ नदी को बचाने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक नागेंद्र सिंह को एनजीटी की सेंट्रल बेंच में गुहार लगाना पड़ी है। नदी किनारे पेड़ों की कटाई और अवैध कटाई को लेकर उन्होंने ट्रिब्यूनल में याचिका लगाई है। इस पर बेंच ने सतना कलेक्टर समेत चार जिम्मेदार अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए छह हफ्ते में जवाब तलब किया है।  नागोद के मौजूदा विधायक व खजुराहो से पूर्व सांसद नागेंद्र सिंह ने याचिका के जरिए बताया है कि प्राधिकृत अधिकारी की  अनुमति के बिना नदी किनारे पेड़ काटे जा रहे हैं। नगर परिषद उन्छेरा में नदी तट के खसरा नंबर 203 व 604 पर अतिक्रमण कर लिया गया है। इससे नदी का आकार और प्रवाह बदल गया है। यह वॉटर एक्ट, 1974 और पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन है। इसके आधार पर एनजीटी ने सतना कलेक्टर, वन मंडलाधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी और उन्छेरा नगर परिषद के मुख्य नगरपालिका अधिकारी को मामले में पार्टी बनाया है। उनसे जवाब मांगा है।

ओबीसी महासभा को प्रर्दशन की अनुमति न देना हिटलरशाही: यादव  
प्रशासन की ओर से ओबीसी महासभा को नीलम पार्क में प्रर्दशन करने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है। इसको लेकर कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि हिटलरशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। धरना-प्रर्दशन के लिए ओबीसी महासभा के अध्यक्ष कमलेंद्र सिंह ने आवेदन दिया था। महासभा की ओर से 11 अप्रैल 2025 को नीलम पार्क में धरना दिया जाना था। उनकी ओर से यह मांग रखी जानी थी कि प्रदेश शासन द्वारा राज्य में 27 प्रतिशत आरक्षण देने तथा समस्त सरकारी भर्ती परीक्षाओं के 13 प्रतिशत होल्ड रिजल्ट को खोला जाए। उन पदों पर ओबीसी समाज के विधार्थियों का चयन कर अविलंब नियुक्ति दी जाए। शासकीय महाधिवक्ता द्वारा ओबीसी समाज के आरक्षण विरोधी कार्य करने के कारण पद से हटाया जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री यादव ने आरोप लगाया कि ओबीसी विरोधी सरकार 27 फीसदी आरक्षण लागू करने में रोड़े अटकाने का काम कर रही है, जबकि 27 फीसदी आरक्षण के कानून पर कहीं भी रोक नहीं लगी है।

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