- नगीन बारकिया

जनसंख्या नियंत्रण का क्या है योगी फार्मूला
उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर चर्चाएं ब़ड़ी गर्म है। इस कानून में क्या होगा और क्या न होगा इस पर लगातार बहस चल रही है। कारण साफ है कि इस कानून में ही केंद्र सरकार द्वारा लाए जाने वाले कानून की नियति छिपी हुई है। बताया जाता है कि योगी सरकार ने इसको पारित करने के लिए पूरी रणनीति बना ली है तथा कानून का फार्मूला भी तैयार है। इसके तहत जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने सिफारिश की है कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं, वहीं दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए। इतना ही नहीं, उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश इस प्रस्ताव में की गई है। मसौदे में इस तरह के कई प्रस्ताव रखे हैं। आयोग ने इस मसौदे पर लोगों के आपत्तियां व सुझाव भी मांगे हैं, जो 19 जुलाई तक आयोग को भेजे जा सकते हैं। अगर योगी सरकार इस फॉर्मूले को हरी झंडी दे देती है तो फिर यूपी में जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम माना जाएगा। यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा।
आखिर कहां गायब हो गए सुशील मोदी..।
मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के समय जिन तीन चार नामों को लगभग तय माना जा रहा था उनमें एक नाम बिहार के वरिष्ठ भाजपा नेता तथा उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी का भी था। उनका नाम हर कोई बड़े विश्वास के साथ लेता था लेकिन अचानक यह नाम कहां गायब हो गया यह किसी ने उल्लेख भी नहीं किया। जानकारी हासिल करने पर जो कारण सामने आए हैं उनमें एक यह भी है कि सूची में तो सुशील मोदी का नाम था भी और उन्हें फोन भी गया लेकिन सुशील मोदी ने इसलिए जानबूझकर समारोह में आना उचित नहीं समझा क्योंकि उन्हें राज्यमंत्री बनाया जा रहा था जबकि उनकी अपेक्षा कैबिनेट बनने की थी। कुछ लोगों का मजाक में यह भी कहना रहा कि उनका मोदी सरनेम उनके आड़े आ गया। यह सही है कि नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में लगभग पूरे समय उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी जब इस बार बिहार में उपमुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो उनका केंद्रीय कैबिनेट में स्थान पक्का माना जा रहा था और उसके बाद उनका राज्यसभा का सदस्य बनना इस बात पर मुहर लगा रहा था। आखिर ऐसा क्या हुआ, इस बात का जवाब जानने की बहुत कोशिश की गई लेकिन सुशील मोदी ने अपने आवास पर होते हुए भी मीडिया से दूरी बनाए रखी। अब स्थिति यह है कि मोदी कैबिनेट में नियमानुसार 81 लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है और 77 लोग शपथ ले चुके है। केवल 4 स्थान रिक्त हैं और माना जा रहा है कि इनमें से 2 पद जेडीयू और 2 पद भविष्य में होने वाले गठबंधन के मद्देनजर शिवसेना के लिए आरक्षित रखे गए हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि मोदी कब तक मोदी मंत्रिमंडल से बाहर रहते हैं।
तमिलनाडु में पांव पसारने भाजपा की तैयारी
भाजपा के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से सूखा माने जाने वाले तमिलनाडु में पार्टी कुछ कोपल तलाशने का प्रयास कर रही है। अपने प्रदेश अध्यक्ष एल मुरुगन को केंद्रीय मंत्री बनाकर सबका ध्यान इस ओर खींचा है। मुरुगन के मंत्री बनने के अगले ही दिन वहां भाजपा ने अपना नया अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया। हाल ही में राजनीति का दामन थामने वाले आईपीएस अधिकारी के. अन्नामलाई को पार्टी ने यह जिम्मेदारी देकर भविष्य का संकेत दिया है। मात्र 37 साल के अन्नामलाई को भाजपा में अभी एक साल की अवधि भी नहीं हुई है। वे सबसे कम उम्र के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
अच्छी खबर- कोवैक्सीन को मिलने वाली है मंजूरी
भारत की इकलौती देसी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर अच्छी खबर है, क्योंकि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को जल्द ही डब्ल्यूएचओ की मंजूरी मिलने वाली है। डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत में अब तक उपयोग में आने वाली एकमात्र देसी वैक्सीन कोवैक्सिन को अगले चार से छह सप्ताह में इमरजेंसी यूज लिस्टिंग के लिए मंजूरी देने की संभावना है। दुनियाभर में वैक्सीन की पहुंच को लेकर एक वेबिनार के दौरान सौम्यानाथन ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की मंजूरी के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है। कंपनियों को अप्रूवल के लिए अपना सुरक्षा डेटा, पूरा ट्रायल डेटा और यहां तक कि निर्माण गुणवत्ता डेटा भी जमा करना होता है। भारत बायोटेक ने पहले ही डेटा जमा करना शुरू कर दिया है और उसके डोजियर का आकलन किया जा रहा है। यह हमारी समिति द्वारा समीक्षा की जाने वाली अगली वैक्सीन है। अगले चार से छह सप्ताह में इसे अप्रूव करने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।