- प्रणव बजाज
रामपाल को सौंपा उमा ने मंदिर खुलवाने का जिम्मा
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने रायसेन किले के सोमेश्वर मंदिर का ताला खुलवाने की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री रामपाल सहित सांसद रमाकांत भार्गव, मंत्री प्रभुराम चौधरी को सौंप दी है। उमा भारती का कहना है कि वैधानिक प्रक्रिया पूरी करना 48 घंटे का काम है। उनका कहना है कि जब ताला खुलेगा,तभी मैं रामपाल सिंह के घर जाकर अन्न ग्रहण करूंगी। यह बात उन्होंने बेगमगंज में विधायक रामपाल सिंह को इंगित करते कही। उनका कहना है कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक शिवलिंग का द्वार खोला जा सकता है और यह केंद्रीय पुरातत्व विभाग के पास बना रहेगा। उनका कहना है कि रायसेन में कोई भी वातावरण खराब नहीं है, रमजान के महीने में भी तोप चल रही है। नमाज भी पढ़ी जा रही है और शिव मंदिर के काफी दूरी पर यह हो रहा है। उनका कहना है कि कांग्रेस की दोमुहीं नीति के कारण ताला लग गया। ताला खुल गया था लेकिन फिर कांग्रेस ने फैसला लिया कि यह सिर्फ शिवरात्रि पर ही खुलेगा। उन्होंने कहा कि जब में केंद्रीय मंत्री थी तब पुरातत्व विभाग भी मेरे पास था ,लेकिन उस समय शिव मंदिर का ताला खुलवाने की बात मेरे संज्ञान में नहीं आई।
रीवा राजघराने में खुशियां
एक शताब्दी बाद रीवा राजघराने में ऐसा मौका आया है जब उनकी किसी बेटी ने बेटे को जन्म दिया हो। यह मौका 116 साल बाद आया है, जब राजपरिवार से जुड़ी बेटी ने बेटे को जन्म दिया है। टीवी कलाकार मोहिना सिंह रीवा राजघराने की बेटी हैं और उन्होंने मुंबई में बेटे को जन्म दिया है। इसके बाद से उत्तराखंड में उनकी ससुराल से लेकर मायके रीवा राजघराने तक में खुशी का माहौल है। सिरमौर भाजपा विधायक एवं रीवा राजघराने के युवराज दिव्यराज सिंह के मुताबिक उनका पूरा परिवार मुंबई में मोहिना सिंह के साथ ही है। उनकी डिलीवरी ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल मुंबई में हुई है। उधर उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के दादा बनने से देवभूमि में हर्ष है। मोहिना की शादी सतपाल महाराज के बेटे सुयश रावत से 2019 में हुई थी। मोहिना रीवा के महाराज पुष्पराज सिंह जूदेव की बेटी हैं।
नहीं आ पा रही रिश्तेदारी काम
प्रदेश के एक आईएएस अफसर इन दिनों बेहद परेशान चल रहे हैं। उनकी परेशानी की वजह है भाजपा के एक कद्दावर नेता के दामाद होने के बाद भी उन्हें तमाम प्रयासों के बाद भी जिले की कमान न मिल पाना। यह बात अलग है कि उन्हें पूर्व में एक जिले की कमान दी गई थी , जहां पर वे अपनी विवादास्पद कार्यशैली की वजह से बेहद चर्चित रहे थे। इसके बाद उन्हें लूप लाइन में भेज दिया गया था, तभी से वे किसी दूसरे जिले की कमान मिलने की जुगत में लगे हुए हैं। इस बीच उनका कुछ ठीक-ठाक जगह तबादला हुआ , वहां पर भी वे लक्ष्मी जी की कृपा पाने में ऐसे उलझे की वे सीनियर अफसरों के निशाने पर आ गए। इसके बाद उनकी पदस्थापना फिर लूप लाइन में कर दी गई । अब इन अफसर को कौन बताए की भोजन में अधिक नमक डालोगे तो खारा तो लगेगा ही।
मप्र वैसे भी अजब गजब है
एक तरफ कई आईएएस अफसर हैं, जिन्हें अब तक जिले की कमान संम्हालने का मौका तक नसीब नहीं हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर सूबे के एक जिले में पदस्थ सीधी भर्ती की महिला आईएएस अफसर का जिले के मुखिया के रुप में मन नहीं लग रहा है। इसकी वजह से वे कई बार सरकार से लेकर शासन तक से हटाने का आग्रह कर चुकी हैं। वे खुद को हटाने के लिए कई सीनियर अफसरों से भी मिली , लेकिन कुछ नहीं हो सका , लिहाजा वे बेहद जरुरी होने पर ही अब आफिस जाती हैं। उधर, उनके हटने की संभावना के चलते कई अफसर अपनी जुगाड़ भिड़ाने में लगे हुए हैं , लेकिन दोनों ही पक्षों को सफलता नहीं मिल पा रही है। इस तरह का अजब गजब सिर्फ मप्र में ही संभव है। शायद इसलिए ही प्रदेश को अजब गजब कहा जाता है। इसमें भी खास बात यह है कि मैडम को हटवाने के लिए इलाके के कई नेता भी लगे हुए हैं, लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लग रही है।