बिहाइंड द कर्टन/प्रदेश में वीवीआईपी की यात्रा पर सरकारी खर्च की कोई सीमा नहीं

– प्रणव बजाज

वीवीआईपी

प्रदेश में वीवीआईपी की यात्रा पर सरकारी खर्च की कोई सीमा नहीं
मध्य प्रदेश के दौरे पर आने वाले वीवीआईपी के स्टेट गेस्ट घोषित होते ही सरकार उन्हें वाहन, हवाई जहाज की यात्रा का टिकट, सर्किट हाउस और होटल में ठहराने के साथ ही खाने पीने की व्यवस्था और सुरक्षा बल भी मुहैया कराती है। प्रदेश में भोपाल ही नहीं बल्कि उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, खजुराहो, जबलपुर, ओरछा आदि सहित अन्य स्थानों की यात्रा पर आने वाले केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस, विभिन्न धर्मगुरुओं, बाबाओं और विभिन्न कापोर्रेट जगत की हस्तियों, फिल्मी हस्तियों को राज्य सरकार प्रदेश में स्टेट गेस्ट का दर्जा देती है। हर साल इस व्यवस्था में करोड़ों रुपए फूंक दिए जाते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर प्रमुख सचिव विनोद कुमार के मुताबिक इस व्यवस्था में सरकारी खर्च की कोई सीमा तय नहीं है। पिछले साल प्रदेश में 508 वीवीआईपी आए और उन पर पांच करोड़ की राशि खर्च की गई।

अब जेल प्रशासन बंदियों में संक्रमण फैलने से परेशान
कोरोना संक्रमण का प्रभाव अब जेलों में भी दिखने लगा है। प्रदेश की 131 जेलों में फिलहाल करीब पचास हजार बंदी है, जबकि इनमें बंदियों को रखने की क्षमता मात्र 28 हजार की ही है। बंदियों की संख्या कम करने के लिए साढ़े चार हजार बंदियों को पैरोल पर छोड़ा गया लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान करीब आठ हजार नए बंदी जेल पहुंचे हैं। इससे बंदियों की संख्या कम नहीं हुई और शारीरिक दूरी रखने जैसे उपाय करने में दिक्कत आ रही है। इस बीच जेलों में संक्रमण पहुंच चुका है। यही नहीं दूसरी लहर के दौरान विभिन्न जेलों में 300 बंदी संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे हालात में जेल प्रशासन भी परेशान है। हालांकि जेलों में संक्रमण न फैले इससे बचने के लिए नए बंदियों की आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य की गई है। उन्हें 15 दिन आइसोलेट किया जा रहा है। साथ ही बंदियों को अलग रखने के लिए बैरकों में इंतजाम किए जा रहे हैं।

कोरोना संकट में यूथ कांग्रेस के सेवा कार्यों की हो रही चर्चा
कोरोना काल में अपनों को खोकर दूसरों की जान बचाने में जुटे यूथ कांग्रेस की सब दूर प्रशंसा हो रही है। मप्र में प्रदेशाध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने हर जिले में कमेटी का गठन किया है जो कोरोना से पीड़ित लोगों को सहायता मुहैया करा रहे हैं। यही नहीं सोशल मीडिया पर भी (#SOSMPYC) और (#SOSIYC) के माध्यम से लोगों की समस्याएं सुलझाने का प्रयास युवक कांग्रेस द्वारा किया जा रहा है। हालांकि विक्रांत ने जैसे ही लोगों को मदद की मुहिम शुरू की थी उसी दौरान जोबट से विधायक उनकी बुआ की कोरोना संक्रमण ने जान ले ली। बहरहाल इस सदमे से विक्रांत संभले और फिर लोगों की सेवा में जुट गए। बता दें कि राहुल गांधी के आव्हान पर युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास वी वी ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की जान बचाने की मुहिम शुरू की थी। इससे प्रेरणा लेकर देशभर में युवक कांग्रेस ने इस मुहिम को आंदोलन का स्वरूप दे दिया।

प्रदेश के 2200 तकनीकी प्रोफेसर हैं सातवें वेतनमान से वंचित
प्रदेश के इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक संस्थाओं एवं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तकनीकी शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। जबकि प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं में सातवां वेतनमान काफी समय पहले लागू कर दिया गया था। तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत करीब 22 सौ प्रोफेसर पांच साल से सातवें वेतनमान से वंचित हैं। दरअसल तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कैबिनेट की बैठक में तो इस पर स्वीकृति दिला दी लेकिन अब मामला वित्त विभाग में अटका हुआ है। फाइल को वित्त विभाग में पहुंचे एक महीने से ज्यादा बीत चुका है लेकिन अभी तक स्वीकृति होकर फाइल तकनीकी शिक्षा विभाग तक नहीं पहुंच सकी है।  सूत्रों की मानें तो अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा तकनीकी शिक्षकों को सातवां वेतनमान लागू करने की सिफारिश दो वर्ष पहले की जा चुकी है। इसके अनुसार शिक्षकों को एक जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान दिया जाना है।

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