- नगीन बारकिया
सीरम का आरोप- स्टॉक की स्थिति जाने बिना केंद्र ने बनाया टीकाकरण कार्यक्रम…।
कोरोना के खिलाफ जंग में जो शस्त्र सबसे अधिक मुफीद साबित हुआ है वह है वैक्सीन। इसलिए चारों ओर वैक्सीन की मारामारी चल रही है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सबसे पहले कोरोना वारियर्स के लिए वैक्सीन मुहैया की जाना थी और उसके बाद 60 वर्ष से अधिक आयु के सीनियर सिटीजन तथा गंभीर बीमारियों से संक्रमित 45-60 वर्ष आयु समूह के मरीज शामिल किए गए थे। लेकिन जैसे जैसे वैक्सीन की सफलता की कहानी सामने आई वैसे वैसे वैक्सीन के लिए भीड़ बढ़ने लगी। स्थिति यह आ गई कि वैक्सीन का अभाव सामने आने लगा। इस आपाधापी के बीच सरकार ने 18-45 आयु समूह के लिए भी 1 मई से वैक्सीन लगाने का शेड्यूल जारी कर दिया। इसके बाद तो वैक्सीन गायब ही हो गई। लोग पोर्टल पर स्लाट ढूंडने में लगे हैं, जैसै तैसे वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचते हैं तो वहां वैक्सीन न होने से निराशा हाथ लगती है। आखिर क्या हुआ कि अचानक वैक्सीन निर्यात करने वाले देश को अपने यहां ही वैक्सीन की कमी पड़ गई। सीरम इंस्टीट्यूट एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव के अनुसार भारत सरकार को विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर उसके अनुसार ही वैक्सीनेशन में लोगों को प्राथमकिता देनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, पहले टारगेट के मुताबिक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जानी थी, जिसके लिए 60 करोड़ डोज की आवश्यकता थी, लेकिन हमारे इस टारगेट तक पहुंचने से पहले ही सरकार ने पहले 45 साल से ऊपर के और फिर 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन का ऐलान कर दिया था। यही वजह रही कि वैक्सीनेशन सभी जगह समय पर उपलब्ध नहीं हो सकी। अब उन्होंने उत्पादन बढ़ाने का संकेत दिया है।
ब्लैक फंगस बनाम व्हाइट फंगस- कौन है खतरनाक
हमारे देश में कही जाने वाली यह कहावत फिर अपने आपको सिद्ध कर रही है कि मुसीबत जब भी आती है अकेले नहीं आती। हम देख रहे हैं कि देश कोविड-19 से लड़ाई खत्म भी नहीं कर पाया कि उसकी दूसरी लहर ने कहर मचाना शुरू कर दिया। इसको समझें तब तक ब्लैक फंगस ने एक कोना संभाल लिया। उधर ताऊते तूफान ने जोरदार दस्तक दी तो सामने यास तूफान बर्बादी की कहानी लिखने को तैयार खड़ा है। इस सबके बीत एक व्हाइट फंगस ने भी दरवाजा खटखटा दिया है। पूरा देश इन लड़ाइयों में ही व्यस्त है। देश क्या दुनिया ही अपने बचाव का रास्ता तलाश रही है। अब ध्यान ब्लैक और व्हाइट फंगस पर है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि वहाइट फंगस ब्लैक फंगस के जितना खतरनाक नहीं है। सही समय पर इसे पहचान कर डॉक्टर के पास चले जाएं, इसके लिए शीघ्र इलाज जरूरी है जो एक से डेढ़ महीने चल सकता है। इसलिए शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है। डॉक्टर कहते हैं, “यह फंगस तंग और नम जगहों पर उगता है इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके आस-पास नियमित रूप से सफाई हो।
भारतीय वायुसेना जल्द ही लैस होगी कई अग्निबाणों से
खुशी की बात है कि भारत अपनी सैन्य क्षमता में लगातार इजाफा कर रहा है तथा उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने को प्राथमिकता दे रहा है। इसी के मद्देनजर उसे दिसंबर तक आसमानी कवच मिलने वाला है। उसे हवा में मार करने वाली अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहली खेप रूस से इस साल दिसंबर तक मिल जाएगी। यह 400 किलोमीटर की दूरी से शत्रु विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोन को भी नष्ट कर सकती है। बताया गया है कि भारतीय विशेषज्ञ रूस पहुंच गए हैं और उन्होंने जनवरी 2021 में एस-400 संबंधी प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया है। इस सिस्टम में चार अलग-अलग रेंज में मिसाइल हैं जो 400 किलोमीटर, 250 किमी, 120 किमी और 40 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं। यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है। यह भी बताया गया है कि अमेरिका ने भारत और रूस की इस डील का विरोध किया था। एस-400 को अमेरिका की थाड एंटी मिसाइल सिस्टम की टक्कर का माना जाता है। जानकार यह भी मान रहे हैं कि एस-400 सिस्टम अमेरिका की संवेदनशील सैन्य प्रौद्योगिकी में सेंध लगा सकता है।