- रवि खरे
5, 12 और 18 प्रतिशत… पॉपकॉर्न पर देश में लगेंगे ये 3 तरह के टैक्स, फ्लेवर के हिसाब से कटेगी जेब
आप अपने बीबी-बच्चों या दोस्तों के साथ थिएटर में मूवी देखने जाते हैं, तो मील में पॉपकॉर्न के मजे तो लेते होंगे, लेकिन अब ये मजा महंगा होने वाला है। दरअसल, राजस्थान के जैसलमेर में हुई जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर टैक्स को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। काउंसिल ने फ्लेवर के हिसाब से पॉपकॉर्न को जीएसटी के अलग-अलग स्लैब में शामिल किया है। यानी अब इसे खरीदने पर ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक राजस्थान के जैसलमेर में हुई। इन फैसलों में एक पॉपकॉर्न पर नए टैक्स रेट्स भी शामिल है। काउंसिल ने पॉपकॉर्न पर एक नहीं, बल्कि तीन तरह के जीएसटी रेट्स लगाने पर सहमति जताई है, जो बाजार में मौजूद इसके फ्लेवर्स के मुताबिक होंगे। काउंसिल की बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी है और रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर भी टैक्स रेट्स को लेकर पूरी डिटेल सामने आ गई है। इस पर गौर करें, तो अगर आपके द्वारा खरीदा गया पॉपकॉर्न साधारण नमक और मसालों से तैयार किया गया है और ये पैकेज्ड और लेबल्ड नहीं है, तो फिर इस पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लागू होगा। वहीं दूसरी ओर अगर यही यही नमक और मसालों वाला पॉपकॉर्न पैकेज्ड और लेबल्ड होकर बेचा जाता है, जो फिर इस पर टैक्स की दर 5 फीसदी की जगह बढक़र 12 फीसदी हो जाएगी।
हमने तो कई कुर्बानियां दी, अमेरिका ने पाक मिसाइल पर आंख तरेरी तो सफाई देने लगा
पाकिस्तान ने अपनी मिसाइल क्षमताओं और डिलीवरी सिस्टम के बारे में एक अमेरिकी अधिकारी द्वारा जताई गई चिंता को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। पाकिस्तान ने चेतवानी दी कि एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के खिलाफ इस तरह के निराधार आरोप हमारे संबंधों के लिए खराब हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने पाकिस्तान पर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता विकसित करने का आरोप लगाया था। जिसकी रेंज में अमेरिका तक आ सकते हैं। फाइनर की टिप्पणियों पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा, अमेरिकी अधिकारी द्वारा पाकिस्तान की मिसाइल क्षमताओं और डिलीवरी साधनों से कथित खतरे की धारणा दुर्भाग्यपूर्ण है। ये आरोप निराधार हैं, तर्कसंगतता और इतिहास की समझ से अलग हैं। विदेश कार्यालय ने कहा कि 1954 से ही पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सकारात्मक और व्यापक संबंध रहे हैं। कार्यालय ने चेतावनी दी कि किसी सबूत के अभाव में एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के प्रति अमेरिका के हालिया आरोपों से पूरे संबंधों को नुकसान होगा।
भारत ने हमारे लोगों को गायब कराया, यूनुस सरकार के बेबुनियाद आरोपों की एक और कड़ी
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार भारत के खिलाफ बयानबाजियां कर रही है। इसी बीच मोहम्मद यूनुस सरकार का एक और आरोप सामने आया है। अंतरिम सरकार की ओर से गठित एक जांच समिति ने आरोप लगाया है कि हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश से लोगों को जबरन गायब कराने में भारत का हाथ हो सकता है। बांग्लादेश समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों के गायब होने में भारत की संलिप्तता सार्वजनकि रिकॉर्ड का मामला है। इस जांच समिति में 5 सदस्य शामिल थे, जिसका नेतृत्व रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट के जज मैनूल इस्लाम चौधरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कानून प्रवर्तन सर्कल्स में यह लगातार सुझाव था कि कुछ बंदी अभी भी भारतीय जेलों में हो सकते हैं। उन्होंने कहा, हम मंत्रालयों से यह अनुरोध करते हैं कि वे भारतीय जेलों में कैद बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करें।
अल्बानिया में भी टिकटॉक पर प्रतिबंध, पीएम बोले- इस एप पर सिर्फ कीचड़ और कचरा ही है
चाइनजी एप टिकटॉक को अब अल्बानिया में भी बंद किया जा रहा है। अल्बानियाई पीएम एडी रामा ने कहा कि एप पर केवल कीचड़ और कचरा दिखता है। सरकार ने 2025 से कम से कम एक साल के लिए टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। तिराना में शिक्षकों, अभिभावकों और मनोवैज्ञानिकों के साथ पीएम एडी रामा ने बैठक की। उन्होंने कहा कि हम इस एप को एक साल के लिए अपने देश से बाहर निकाल देंगे। इसकी बजाय सरकार अब छात्रों की शिक्षा के लिए कार्यक्रम शुरू करेगी। साथ ही अभिभावकों की मदद के लिए योजना लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि चीन में टिकटॉक का उपयोग पाठ्यक्रम और शिक्षा संबंधी पहलों के लिए किया जाता है। इस पर बताया जाता है कि छात्र किस प्रकार पाठ्यक्रम ले सकते हैं प्रकृति की रक्षा कैसे की जा सकती है परंपराओं को कैसे कायम रखा जा सकता है उन्होंने कहा कि मगर चीन के बाहर टिकटॉक पर हमें केवल गंदगी और कीचड़ नजर आता है। आखिर हमें इसकी जरूरत क्यों है इससे केवल बच्चों नहीं पूरे समाज को समस्या है।