बिच्छू राउंडअप/पाकिस्तान में 500 रुपये किलो टमाटर और 400 रुपये में प्याज

प्याज

पाकिस्तान में 500 रुपये किलो टमाटर और 400 रुपये में प्याज
श्रीलंका के बाद एक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भयंकर महंगाई से जूझ रहा है। पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई और अब सब्जियों जैसे जरूरी सामानों में महंगाई की आग पकड़ रही है। लाहौर, इस्लामाबाद सहित कई बड़े शहरों में सब्जियों और फलों की कीमतों में बड़ी वृद्धि के बाद अब पाकिस्तान सरकार भारत से प्याज-टमाटर के आयात की योजना बना रही है। मार्केट डीलर्स का कहना है कि बाढ़ की वजह से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है और खपत के मुकाबले काफी कम आपूर्ति हो पा रही। यही कारण है कि खुदरा बाजार में फल और सब्जियों के दाम बेतहाशा बढ़ते जा रहे हैं। आलम ये है कि रविवार को लाहौर के बाजार में टमाटर का भाव 500 रुपये प्रति किलोग्राम और प्याज का 400 रुपये तक पहुंच गया था। लाहौर के एक थोक कारोबारी का कहना है कि कुछ जगहों पर इसकी थोक कीमतें 100 रुपये के आसपास हैं, लेकिन खुदरा बाजार में जाते-जाते इसके दाम चार-पांच गुना तक बढ़ जाते हैं। उन्होंने बताया की बलूचिस्तान, सिंध और दक्षिणी पंजाब में बाढ़ की स्थिति खराब होने की वजह से सब्यियों के उत्पादन पर बड़ा असर पड़ा है और आने वाले दिनों में इसकी कीमतों में और बढ़ोतरी की पूरी आशंका है।

क्यों बौने हो रहे धान के पौधे ,वैज्ञानिकों ने लगाया इस रहस्यमयी बीमारी का पता
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पुष्टि की है कि मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा से रिपोर्ट किए गए धान के पौधों के बौने होने के पीछे का कारण सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस नाम की रहस्यमयी बीमारी है। सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस एक डबल स्टैंडर्ड आरएनए वायरस है, जिसे पहली बार 2001 में दक्षिणी चीन से रिपोर्ट किया गया था। चावल पर उत्पन्न होने वाले लक्षण और साथ ही इस वायरस की जीनोम संरचना राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस से मिलती-जुलती है। चावल के अलावा एसआरबीएसडीवी विभिन्न खरपतवार प्रजातियों को भी संक्रमित करता है। चूंकि यह वायरस सबसे पहले दक्षिणी चीन में मिला था, इसलिए इसका नाम सदर्न राइस ब्लैक। स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस पड़ा। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक एके सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, संक्रमित पौधों और वेक्टर इन्सेक्ट की बॉडी दोनों में वायरस की उपस्थिति का पता चला, जिसका आरएनए पृथक किया गया था। लेकिन संक्रमित पौधों से एकत्र किए गए बीजों में वायरस नहीं पाया गया। यह वायरस विशेष तौर पर प्लांट के फ्लोएम (पौधे के ऊतक जो शुगर और कार्बनिक पोषक तत्वों को पत्तियों से दूसरे भागों में ले जाते हैं) को प्रभावित करता है और बीज या अनाज द्वारा संप्रेषित नहीं होता है।

छत्तीसगढ़ के मंत्री की गलती से कांग्रेस शर्मिंदा, भाजपा ने सीएम को बताया मिस्टर बंटाधार
छत्तीसगढ़ सरकार के हड़ताली कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा करते हुए राज्य सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि सरकार के पास आपको पांच हजार करोड़ देने की औकात नहीं है। उनका यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते ही विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने इसी बहाने राज्य सरकार पर निशाना साध दिया है। वीडियो ट्वीट कर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री खुद कह रहे हैं कि सरकार की पैसा देने की औकात नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुप्रबंधन ने छत्तीसगढ़ को कर्ज में डूबा कर दिवालिया बना दिया है। सरकार के पास न तो वेतन देने का पैसा है और न ही घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए पैसा। सीएम भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मिस्टर बंटाधार हैं। शब्दों के चयन में मुझसे बड़ी त्रुटि हुई है, जिसपर मैं खेद व्यक्त करता हूं मगर छग सरकार को और अधिक खर्च करने में केंद्र सरकार का आर्थिक असहयोग बाधा बना हुआ है।

यूरोप में महंगाई ने 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ा:मिडिल क्लास सड़कों पर
यूरोप महंगाई से जूझ रहा है। यहां महंगाई की दर पिछले 11 साल के रिकॉर्ड 8.9% के स्तर पर है। यूरोजोन में शामिल इन देशों के आंकड़ों में 19 देशों में ये हालात हैं। बाकी देशों में महंगाई की दर और भी ज्यादा है। पूर्वी यूरोप के देश एस्टोनिया में सबसे ज्यादा 23% महंगाई दर है। मिडिल क्लास में सरकारों के प्रति गुस्सा बना हुआ है। कई जगहों पर लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन भी किया है। इससे सरकारें घबराई हुई हैं। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के चुनावों में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। साथ ही फ्रांस में भी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिमी यूरोप के अपेक्षाकृत धनी देश जैसे जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्पेन और इटली की सरकारों ने महंगाई पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें लोगों को रोजमर्रा की कई चीजों को काफी कम दामों पर उपलब्ध कराने के लिए स्टोर्स खोले गए हैं।

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