
सुशासन संस्थान की रिपोर्ट सरकार के मुंह पर तमाचा: भूपेन्द्र गुप्ता
नर्मदा नदी के घाटों की दुरावस्था पर केंद्रित अटल बिहारी वाजपेई सुशासन संस्थान की ताजा रिपोर्ट भाजपा के 20 साल के कुशासन और जल प्रबंधन पर तमाचा है। नर्मदा सेवा सेना के प्रांतीय अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने सरकार से रिपोर्ट का अध्ययन कर तत्काल कदम उठाने की मांग की है। गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में 32 में से 27 पेरेनियल नदियों के सूख जाने का दावा स्वयं मंत्री प्रहलाद पटेल ने किया है, इसके बावजूद यह सरकार बेखबर बनी हुई है। यह सर्व विदित है कि बेतवा नदी का उद्गम सूख चुका है और सरकार हजारों करोड़ की केन-बेतवा योजना बना चुकने के बाद सोते-सोते अब जाकर उसके उद्ग्म को जिंदा करने की कोशिश कर रही है। नर्मदा सेवा सेना के अध्यक्ष ने कहा कि मप्र की सरकार नदियों के नियमित-अनियमित दोहन से खजाना तो भर रही है, लेकिन उन्हें बचाने का कोई काम नहीं कर रही है। नर्मदा मैया को जीवंत नदी का दर्जा देने का झूठा संकल्प पारित करने वाली यह सरकार नर्मदापुरम के कोरी घाट तक पर मिलने वाले नालों का प्रदूषण 20 साल में नहीं रोक पाई है। हमारी नदियां जर्जर हो रही हैं, जलीय जीवन बर्बाद हो गया है और मेगा डाइवर्सिटी दांव पर लग चुकी है।
सोशल मीडिया के कई रूप बदले, लेकिन अध्यात्म में कहीं कोई बदलाव नहीं : श्रीवास्तव
आज देश में 25 साल से कम उम्र के लोग 50 प्रतिशत है और 35 साल से कम उम्र के लोग 65 प्रतिशत है। हमारे देश की युवा आयु 29 वर्षीय है। जबकि चीन की 37 वर्ष और जापान की 48 वर्ष औसत आयु है। देखा जाए तो भारत सबसे युवा देश है, इसलिए आज के समय में युवाओं पर सबसे अधिक चर्चा होती है। यह बातें मप्र राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने संस्कार भारती के आयोजित कार्यक्रम में कहीं। वे संस्कार भारती के मीडिया प्रभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में युवा, अध्यात्म और सोशल मीडिया विषय पर बोल रहे थे।
जीएमसी की अवैध भर्तियों पर एक हफ्ते में दें रिपोर्ट: हाई कोर्ट
गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल (जीएमसी), में 2021 में हुई लैब असिस्टेंट और तकनीशियन पदों पर अवैध नियुक्तियों के मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। जनहित याचिका भोपाल निवासी वीर सिंह लोधी ने दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इन भर्तियों में नियमों का पालन नहीं हुआ और शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। सरकार ने मई और सितंबर 2024 में जांच समिति बनाई, जिसने जांच तो पूरी कर ली पर रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने आदेश दिया कि छह हफ्तों में रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर जरूरी कार्रवाई करें। याचिकाकर्ता चाहे तो उच्च स्तर पर अपील कर सकता है।
यहां-वहां जमे सरकारी शिक्षक अब स्कूलों में भेजे जाएंगे, मंत्री ने की घोषणा
मप्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए सरकार ने गैर-शैक्षणिक कामों में लगे शिक्षकों को उनके मूल पद यानी स्कूलों में भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह निर्देश दिए। मंत्री ने कहा- कई शिक्षक लोक शिक्षण संचालनालय, राज्य शिक्षा केंद्र, बोर्ड ऑफिस, जिला शिक्षा कार्यालय, बीआरसीसी व जनशिक्षक कार्यालयों में वर्षों से अटके हुए हैं। इन्हें कार्यमुक्त कर स्कूलों में भेजा जाएगा। बैठक में निर्देश दिए गए कि ऐसे शिक्षकों की सूची भी बनाई जाए, जिनका पहले ट्रांसफर हो चुका है या जो अतिशेष में थे, लेकिन उन्होंने स्कूल ज्वाइन नहीं किया। मंत्री ने साफ कहा कि इन मामलों में अब और लापरवाही नहीं चलेगी। शिक्षकों के लिए यह भी अनिवार्य कर दिया गया है कि वे अपनी पूरी उपस्थिति शिक्षा पोर्टल 3.0 पर दर्ज करें। बिना उपस्थिति फीड किए वेतन नहीं मिलेगा।