बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/शिवराज के घर का नामकरण, लिखा गया मामा का घर

शिवराज सिंह चौहान

शिवराज के घर का नामकरण, लिखा गया मामा का घर
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिंक रोड क्रमांक एक पर स्थित बी-8, 74 बंगला का नामकरण कर दिया गया है। उस पर लिख दिया गया है मामा का घर। नए आवास में आने के बाद भी शिवराज की सक्रियता लगातार बरकरार है। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेशवासियों के मन में अपनी मामा की जो छवि बनाई है, उसे वह बरकरार रखना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने नए आवास को नाम दिया है-मामा का घर। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी छोडऩे के बाद शिवराज जनता और खासकर लाड़ली बहनों व भांजी-भांजियों के बीच जाकर कह रहे हैं कि पद तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन आप लोगों ने जो मुझे भैया और मामा का पद दिया है, उसे कोई नहीं छीन सकता। मैं हमेशा आपके बीच रहूंगा। मेरी जिंदगी आपके लिए है, जनता-जनार्दन के लिए है, बेटा-बेटियों के लिए है, मेरी बहनों के लिए है।

दिग्विजय बोले,भाजपा को पहले पता चल जाता है कितनी सीटें मिलेंगी
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव पर फिर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ईवीएम से वोटिंग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि मतदान की गणना वीवीपैट की पर्ची से ही होना चाहिए। भाजपा को पहले से कैसे पता चल जाता है कि कितनी सीटें मिलेंगी। गुजरात चुनाव 2012 में कहा था कि बहुमत मिलेगा और 2014 में सरकार बन गई। 2019 में कहा कि 300 पार सीटें लाएंगे, 303 मिल गई। वोटिंग ईवीएम से ही होना चाहिए, लेकिन वोटिंग के बाद जो पर्ची वीवीपैट में डलती है, उसे लोगों के हाथ में ही देना चाहिए। सिंह ने ईवीएम हटाओ देश बचाओ, लोकतंत्र बचाओ लिखते हुए ट्वीट भी किया। इसमें उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं।

कन्याल कई बार सादगी की कर चुके हैं मिसाल पेश
कहा जाता है कि किसी के भी एक रिएक्शन से उसके व्यवहार के बारे में कभी निर्णय नहीं लेना चाहिए, कुछ ऐसा ही पूर्व कलेक्टर किशोर कन्याल का मामला है। शाजापुर के पूर्व कलेक्टर कन्याल इससे पहले कई बार सादगी की मिसाल पेश कर चुके हैं। यहां तक कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी में बेसहारा लोगों को होटल में खाना तक खिलाया था, इतना ही नहीं कलेक्टर खुद इन बेसहारा लोगों को खाना परोसते नजर आए थे। दरअसल, फरवरी 2023 में किशोर कन्याल की बेटी की शादी थी। शादी समारोह एक होटल में आयोजित किया। जिसमें कन्याल ने सादगी की मिसाल पेश करते हुए बेसहारा लोगों को आमंत्रित किया था और उन्हें खुद खाना खिलाया था, यहां तक कि किशोर कन्याल की बेटी भी खाना परोसते हुए नजर आई थीं। तब वे ग्वालियर नगर निगम में कमिश्नर थे। यह  वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए था और सभी ने कन्याल की इस सादगी की तारीफ की थी।

न माया मिली न राम, दांव हुआ बेअसर
एक मंत्री स्टाफ में बतौर सहायक रह चुके कर्मचारी को जैसे ही पता चला कि उनके साहब को इस बार मंत्री पद की शपथ नहीं दिलाई जा रही है। वे मंत्री स्टाफ में जाने के लिए बेहद सक्रिय हो गए। उन्होंने अपने मंसूबे पूरे करने के लिए पहली बार मंत्री बनी एक मंत्री की पसंद बनने के लिए बड़ा दांव चल दिया। उन्होंने पुराने संपर्कों को जीवित करते हुए महिला मंत्री के दरबार में हाजिरी लगानी शुरु कर दी। यही नहीं बगैर कुछ कहे सारा कामकाज भी संभाल लिया। इस दौरान उन्होंने मंत्री के परिवार तक का पूरा ध्यान रखा, जिसमें  खाने-पीने से लेकर भोपाल व उसके आसपास घुमाने के लिए गाड़ी का भी इंतजाम करना शामिल हैं। इस दौरान वे लगातार दो दिन तक मंत्री जी की सेवा में लगे रहे। इसके बाद जब मंत्री महोदया अपने क्षेत्र के लिए जाने लगी तब विशेष सहायक का सपना देख रहे साहेब से बोलीं धन्यवाद। आप जाइए जब जरूरत होगी तब हम आपको बुला लेंगे। इसके बाद से महोदय मायूस होकर घूम रहे हैं। दरअसल पैसा भी खर्च हो गया और मंसूबा भी पूरा नहीं हो पाया है।

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