बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/भार्गव बता रहे हैं दिग्विजय को फ्यूज बल्ब

गोपाल भार्गव

भार्गव बता रहे हैं दिग्विजय को फ्यूज बल्ब
भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बुंदेलखंड दौरे को लेकर तंज कसते हुए उन्हें फ्यूज बल्ब बताते हुए यहां तक कह दिया है कि उसमें  फिलामेंट नहीं डल सकता। दिग्विजय बुंदेलखंड के चाहे कितने भी ..दौरे कर लें, इससे कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है। मंत्री भार्गव ने कहा कि 1984 में उनके पहले विधानसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मेरे खिलाफ चुनाव प्रचार किया था, लेकिन तब भी रहली सीट से हमने जीत हासिल की थी। जब राजीव गांधी बुंदेलखंड में भाजपा को नहीं हरा पाए, तो दिग्विजय सिंह के दौरों से क्या फर्क पड़ेगा। भार्गव ने कहा कि प्रदेश में ऐसी पार्टियां भी चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं, जिनके प्रदेश में एक पार्षद भी नहीं हैं।
अब कार्रवाई करना मजबूरी  
लगता है प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों में शासन ने कार्रवाई न करने की कसम खा रखी है। ऐसे अनेकों मामले हैं , जिनमें तमाम सबूत होने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसा ही मामला है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन घोटाले का। इस मामले में कार्रवाई न होने पर अब मप्र हाईकोर्ट की युगलपीठ के न्यायाधीश शील नागू व न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह द्वारा जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया है। इसके साथ ही शासन को निर्देश दिए कि वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन घोटाले की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई कर प्रतिवेदन पेश करें। इस मामले में भोपाल निवासी भूपेंद्र प्रजापति ने आरोप लगाया कि आजीविका मिशन के अधिकारी व कर्मचारियों ने बीमा, नियुक्ति, अगरबत्ती मशीन खरीदी, स्कूल यूनिफॉर्म सहित कई तरह की खरीदी में अनियमितता की है। इसका खुलासा होने पर भी कार्रवाई नहीं की वहीं , वरिष्ठ आइएएस दिव्या मराव्या ने घोटाले की जांच कर आजीविका मिशन व नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध करने की अनुशंसा की थी।
दिया जले अंधेरा
मंत्रालय में पदस्थ एक अफसर पर उनके साथ काम करने वाली दो महिलाकर्मियों ने छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार करने की शिकायत की दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होना , दिया जले अंधेरा वाली कहावत सिद्ध करती है। आखिरकार पीड़िताओं ने इस मामले में हार नहीं मानी तो अब अफसरों को मामले की जांच के लिए समिति गठित करनी पड़ी है। दरअसल ऊर्जा विभाग के संयुक्त संचालक अविनाश कुमार मंत्रालय में अटैच हैं। दोनों महिलाएं मंत्रालय में विभाग के बजट शाखा में पदस्थ थीं। इन महिलाओं ने फरवरी में शिकायत की थी कि अविनाश अभद्रता करते हैं और रात में मोबाइल पर अशोभनीय मैसेज करते हैं। उस दौरान अफसर यह कहते हुए शिकायतों को दबाते रहे कि वर्तमान में बजट का काम चल रहा है, बाद में देख लेंगे। बजट का काम होने के बाद भी कार्रवाई न होने पर महिलाओं को एक बार फिर सक्रिय होना पड़ा तब कहीं जाकर जांच समिति का गठन किया जा सका।
और खुल गई पोल
पुलिस महकमा कितना चौकन्ना और सजग रहता है, इसकी पोल एक बार फिर से खुल गई। इसकी वजह है मप्र कॉडर के पुलिस अफसरों की होने वाली मिड टर्म ट्रेनिंग (मिड कैरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम) की सूची में 5 साल पहले बर्खास्त आईपीएस डॉ. मयंक जैन का नाम भी शामिल किया जाना। यह मामला वायरल होने के बाद से पीएचक्यू में हडक़ंप है। दरअसल 100 करोड़ रुपए की काली कमाई उजागर होने के बाद आईजी डॉ. मयंक जैन को पहले सस्पेंड किया गया फिर बर्खास्त हुए। उधर, पुलिस मुख्यालय में यह चर्चा हो, रही कि क्या ऐसे अफसर को भी ट्रेनिंग में भेजा जाएगा, जो बर्खास्त हो चुका है।  वरिष्ठ अफसरों ने तो यह तक कह रहे हैं कि बर्खास्त अफसर को ट्रेनिंग में भेजकर क्या पीएचक्यू नया इतिहास बनाने जा रहा है।
यह कैसा इनाम
अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत प्रदेश शासन पर पूरी तरह से फिट बैठती है। इसके एक नहीं कई उदाहरण हैं। ऐसा ही नया मामला आया है बुरहानपुर के डीएफओ का। अपने दो माह के अल्प कार्यकाल में अनुपम शर्मा ने न केवल सात सौ एकड़ जमीन को वन माफियाओं से मुक्त कराया बल्कि पांच करोड़ की लकड़ी भी जप्त कर डाली। इससे नाराज वन माफिया , अफसरों व नेताओं के गठजोड़ ने उन्हें बतौर इनाम मुख्यालय में पदस्थ करवा दिया। शर्मा ने इस दौरान बुरहानपुर कलेक्टर व एसपी द्वारा वन माफिया के खिलाफ कार्रवाई में सहयोग नहीं करने की भी शिकायत शासन से की थी। फिर क्या था गठजोड़ सक्रिय हुआ और आनन-फानन में शर्मा को तबादला आदेश जारी कर दिया गया। फिलहाल इसे सुशासन बताकर अब लोग तंज कस रहे हैं।

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