बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/राजनीति में आने के बाद आने लगी बेहतर व्यवस्था की याद

वरदमूर्ति मिश्रा

राजनीति में आने के बाद आने लगी बेहतर व्यवस्था की याद
शासन चलाने के दौरान जनता के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं बना पाने पाने वाले पूर्व आईएएस अफसर वरदमूर्ति मिश्रा  को अब राजनीति में आने के बाद जनता के लिए बेहतर व्यवस्था बनाने की याद आने लगी है। नौकरी में रहते प्रशासनिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग रहने के दौरान वे कभी सरकार के खिलाफ मुखर नजर नहीं आए , लेकिन अब बेहद मुखराता दिखा रहे हैं। अब वे कह रहे हैं कि उनका लक्ष्य एक बेहतर व्यवस्था का निर्माण है। मिश्रा का कहना है कि अधिकारी के तौर पर आप सिर्फ सडक़ें और नाली की सफाई ही करा सकते हैं, नीतिगत काम नहीं कर सकते। प्रदेश में ज्यादातर कलेक्टर डरे रहते हैं कि पता नहीं कब हटा दिए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि मिश्रा ने अपना एक राजनैतिक दल बनाया हुआ है।

पोस्टर बन रहे मुसीबत
भले ही विधानसभा चुनाव में अभी सात माह का समय है, लेकिन अभी से कांग्रेस व भाजपा के बीच आरोप- प्रत्यारोपों की तलवारें जमकर चलती दिखना शुरु हो गई हैं। इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पोस्टर वार शुरू कर दिया है। इन पोस्टरों में कांग्रेस अपने चुनावी वादों का उल्लेख करना नहीं भूल रही है। अब यह पोस्टर बेहद चर्चाओं में आ गए हैं। इन पोस्टरों से भाजपा की मुसीबत बढ़ने लगी है। दरअसल पोस्टरों में गैस सिलेंडर पांच सौ रुपए में, लाडली बहना योजना में 15 सौ रुपए , तीन सौ रुपए में तीन सौ यूनिट बिजली देने और पुरानी पेंशन योजना लागू करने जैसे वादों का उल्लेख किया गया है। यह वे वादे हैं, जिनका प्रभाव चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। ऐसा ही एक पोस्टर पीसीसी के सामने भी नुमाया हो रहा है।

आया ऊंट पहाड़ के नीचे  
जिस भैरवगढ़ केंद्रीय जेल में उषा राज का राज चलता था , अब उसी जेल में जाने से उन्हें डर लग रहा है। बीते रोज जब न्यायालय ने उन्हें भैरवगढ़ जेल भेजने के आदेश दिए तो वे जज के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहने लगी कि मुझे भैरवगढ़ जेल न भेजे, वहां मेरी जान को खतरा है, मेरी चोटी पकडक़र मारेंगे। इसके बाद उन्हें इंदौर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। दरअसल भैरवगढ़ जेल में पदस्थ रहते उनके द्वारा 15 करोड़ के जीपीएफ घोटाले को ही नहीं आंजाम दिया गया , बल्कि कैदियों  से भी हर रोज ठेके पर एक लाख रुपए की वसूली कराई जाती थी। इस वसूली के पैसे न देने पर कैदियों पर जमकर अत्याचार कराए जाते थे। यही वजह है कि अब उन्हें भैरवगढ़ जेल से डर लगने लगा है। इसे कहते हैं ऊंट का पहाड़ के नीचे आना।

भाजपा विधायक को करनी पड़ी तालाबंदी  
सरकार के दावों व वादों का क्या। यह तो जनता को भ्रमित करने के लिए किए जाते रहते हैं। फिर मामला अगर शराब से जुड़ा हुआ हो तो फिर तो वादे व दावे हवाहवाई ही साबित होते हैं। प्रदेश भर में शराब के नए ठेके होने के बाद उन दुकानों के विरोध में महिलाएं उतर हुई हैं, जिन्हें हटाया जाने की घोषणा की गई थीं, लेकिन शराब ठेेकदारों व अफसरों के गठजोड़ से ऐसा नहीं किया जा रहा है, लिहाजा महिलाओं को लगातार सडक़ों पर उतरना पड़ रहा है। ऐसे में स्थानीय भाजपा विधायक को अपने चुनाव की चिंता सताने लगी तो वे मौके पर गए और महिलाओं के समर्थन में शराब दुकान पर तालाबंदी कर डाली। उनके द्वारा अधिकारियों को कह दिया गया है कि दुकान दो दिन में शिफ्ट हो जाए, लेकिन तब तक दुकान नहीं खुलनी चाहिए। महिलाओं का आरोप है कि शराब दुकान हटाने के लिए कई दिनों से मांग की जा रही है। हर दिन आश्वासन मिल रहा है, लेकिन दुकान को नहीं हटाया जा रहा है। 

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