- विनोद उपाध्याय
बाग-बाग हुए लोग
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक छोटे जिले श्योपुर कलेक्टर संजय कुमार इन दिनों बड़े-बड़े अफसरों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, साहब ने ऐसा कुछ काम ही किया है। साहब जिस जिले में कलेक्टर हैं, वहां एक वृद्ध व्यक्ति उनके पास पहुंचा और अपनी दुख भरी कहानी सुनाते हुए बताया कि उसकी जमीन को एक व्यक्ति ने कब्जा लिया है। वह इस मामले को लेकर हर जगह गुहार लगा चुका है, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। फिर क्या था, 2011 बैच के आईएएस अधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और बंटाई के नाम पर जमीन लेकर उसे कब्जाने वाले व्यक्ति को जेल भिजवा दिया। फिर क्या था, जिले के लोग साहब के इस कदम से बाग-बाग हो गए हैं। कहीं -कहीं तो बड़े अफसर भी उनकी पीठ थपथपा रहे हैं।
शिक्षक का जवाब… साहब हैरान
विंध्य क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर साहब का दिमाग उस दिन चक्करघिन्नी बन गया, जब उन्होंने चुनाव ड्यूटी से गायब एक शिक्षक का जवाब सुना। गौरतलब है कि अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षकों की भी चुनावी ड्यूटी लगाई जा रही है। वोटिंग से पहले चुनाव के प्रशिक्षण से गायब रहने वालों को शो कॉज नोटिस भेजा गया तो एक शिक्षक ने लिखा कि उनका जीवन पत्नी के बिना बीत रहा है, पहले शादी करवाई जाए। इसके लिए उसके द्वारा दहेज में 35 लाख रुपए लेने का भी जिक्र किया गया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी मांग की रीवा जिले के समदरिया अथवा सिंगरौली परिसर में उन्हें एक फ्लैट दिया जाए। वह यही नहीं रुका और उसके द्वारा अपने हाथ टूटने और बैकबोन में दिक्कत होने का भी जिक्र कर डाला। फिर क्या था, साहब ने उसे निलंबित कर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच कर दिया।
20-50 फॉर्मूले से हडक़ंप
2014 बैच के एक आईएएस अधिकारी इन दिनों महाकौशल क्षेत्र के खनिज संपदा से भरे एक जिले के कलेक्टर हैं। साहब ने जिले के अधिकारियों-कर्मचारियों और जनता के लिए कई नवाचार किए हैं। लेकिन गत दिनों साहब इस कदर आगबबूला हुए कि उन्होंने विधानसभा निर्वाचन कार्य के प्रशिक्षण के दौरान अनुमति के बिना अनुपस्थित रहने वाले दस कर्मचारियों के विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर इनके विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित कर सात दिवस के भीतर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। इसके बाद इन सभी कर्मियों का प्रकरण 20 वर्ष की सेवा और 50 वर्ष की उम्र के आधार पर कार्यवाही हेतु छानबीन समिति को भेजा जाएगा। साहब के इस कदम से जिला ही नहीं बल्कि प्रदेशभर में हडक़ंप मच गया है।
आयोग की फटकार, बदला राग
विधानसभा चुनाव के इस दौर में चुनाव आयोग ने जिलों को गाइडलाइन जारी की है कि वे इसी के अनुसार काम करें, लेकिन प्रदेश के कुछ जिलों के कलेक्टर कई मामलों में मनमानी कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ कलेक्टरों ने आयोग की अनुमति के बिना शराब कारोबारियों को कैश परिवहन की अनुमित दे डाली। इस मामले का खुलासा एक शिकायत के बाद हुआ। इस पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टरों को फटकार लगाई। आयोग की फटकार के बाद आनन-फानन में कलेक्टरों ने आदेश निरस्त करने के निर्देश जारी किए। हालांकि, तब तक करोड़ों रुपए इधर से उधर हो चुके थे। उधर, आयोग की सख्ती और फटकार के बाद अब कलेक्टरों के राग बदल गए हैं। वे इस मामले में सफाई देते फिर रहे हैं।
कहानी बनाना बंद करो…
ग्वालियर-चंबल अंचल के दो जिलों के कलेक्टर को खाद्य पदार्थों खासकर दूध और दुग्ध पदार्थों में मिलावट की रोकथाम को लेकर हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। दरअसल, मिलावट के मामले में कोर्ट ने दोनों जिलों के कलेक्टर को तलब किया था। इस दौरान अफसर कोर्ट में पेश हुए और वे सवालों का जवाब नहीं दे पाए। इस पर मामले की सुनवाई कर रहे जजों ने कहा- अब थोड़ा सुधर जाओ, कहानी बनाना बंद करो। जो काम कहा गया है, उसे निष्ठापूर्वक करिये नहीं तो आप सब खतरे में आ जाएंगे। कलेक्टर को बोल देना कि चुनाव का बहाना बनाकर, हमारे आदेश की अहमियत को नजरअंदाज न करें। समझ में आया। चुनाव प्रक्रिया अपनी जगह है। इसका मतलब यह नहीं कि आप आम जनता के लिए काम करना ही बंद कर दें?