नगीन बारकिया

कांग्रेस संगठन में कई बड़े बदलाव के संकेत…।
कांग्रेस ने शायद गहरे आत्ममंथन के बाद अब अपने संगठन में परिवर्तन के साफ संकेत दिए हैं। लगता है कि कांग्रेस एक नई ऊर्जा के साथ आगामी परिस्थितियों का सामना करने की तैयारी कर रही है। उसमें भी उप्र विधानसभा में अपना कद बढ़ाना तथा पंजाब में अपनी वापसी को तय करना प्रमुख काम है। वह पिछले चुनावों में मिली हार तथा अन्य विपक्षी दलों के कांग्रेस को अलग थलग करने के मंसूबों को कामयाब न होने देने को लेकर अपनी नई रणनीति को अंतिम रूप दे रही है। इन बदलावों का पहला नजारा शायद संसद के मानसून सत्र में नजर आ जाए जहां विपक्ष के नेता के रूप में अधिरंजन चौधरी के स्थान पर नए जोश के साथ स्वयं राहुल गांधी ही नजर आएं। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार दो वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने इसकी पुष्टि की है कि विपक्ष के नेता के लिए पार्टी में राहुल गांधी का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। हालांकि यह भी बताया गया है कि राहुल अभी तक इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं हुए हैं। बताया यह भी गया है कि राहुल को मनाने का कार्य सोनिया एवं प्रियंका दोनों ही संभाले हुए है। देखना है कि उनके प्रयास कितने कारगर साबित होते हैं।
अभी भी गर्म है अमरिंदर और नवजोत सिद्धू का मामला
सारे प्रयासों के बावजूद पंजाब में कांग्रेस की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। इसके विपरीत कैप्टन और सिद्धू का मुद्दा गरमाता ही जा रहा है। सूत्रों का मानना है कि कैप्टन के मुकाबले सिद्धू को तरजीह दिए जाने की बात किसी भी कांग्रेसी को गले नहीं उतर रही है बल्कि इसके साथ ही यह माना जा रहा है कि यदि ज्यादा प्रयास किए गए तो तस्वीर उलट भी सकती है। इसका कारण यह है कि सीएम को पार्टी अध्यक्ष द्वारा बनाई गई कमेटी के समक्ष बार बार पेश होना पड़ रहा है वहीं एक विधायक की नेतृत्व सारी शर्त मानने को तैयार है। बताया जा रहा है कि सिद्धू से नेतृत्व की मुलाकात के बाद कैप्टन ने सख्त रुख अपनाया है और वह पार्टी की मुश्किल बढ़ा सकते हैं।
क्या ममता को पद छोड़ना पड़ेगा…?
भारतीय चुनाव आयोग के द्वारा यह स्पष्ट रूप से कह दिए जाने के बाद कि इस साल अक्टूबर के पहले कोई उपचुनाव नहीं कराए जाएंगे, बंगाल के टीएमसी खेमे में काफी हलचल दिखाई दी। इसका कारण यह है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फिलहाल किसी भी सदन की सदस्य नहीं है और वे नियमानुसार अधिकतम छह माह तक अपने पद पर बनी रह सकती हैं। ममता के लिए यह छह माह की अवधि 5 नवंबर को खत्म होगी। इसलिए उन्हें 5 नवंबर के पहले किसी उपचुनाव के जरिये विधायक बनना आवश्यक होगा लेकिन यदि अक्टूबर तक चुनाव का कोई कार्यक्रम नहीं है तो ममता के लिए पद त्यागने की मजबूरी होगी। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के सीएम के पद से तीरथसिंह रावत की विदाई के कुछ कारणों में एक कारण यह भी था कि वे छह माह में विधायक का पद नहीं हासिल कर पा रहे थे।
वैक्सीन का महत्व अमेरिका से समझें
कोरोना का वैक्सीन न लगाने वालों को अमेरिका से आई इस शोध रिपोर्ट से सबक लेना चाहिए जिसमें बताया गया है कि अमेरिका में कोरोना से जो मौते हुई है उसमें 99.2 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्होंने वैक्सीन लगवाने में लापरवाही की। अमेरिका के बड़े संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने बताया कि यह बेहद दुखद है, इन मौतों को टाला जा सकता था। यह बहुत निराशाजनक है कि आपके पास कोरोना वायरस के रूप में एक भयंकर दुश्मन है, उसकी काट भी आपके पास मौजूद है, जो प्रभावी भी है लेकिन दुखद है कि इसे पूरे देश में लागू नहीं किया जा रहा है। फाउची ने कुछ अमेरिकियों द्वारा टीके के विरोध के कारणों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ वैचारिक हैं तो कुछ केवल वैक्सीन या विज्ञान विरोधी हैं। उनका कहना है कि देश के पास कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए टूल हैं और वह लोगों से सभी मतभेदों को दूर करने के लिए कहेंगे। उन्होंने लोगों से कहा कि वह समझे कि अभी दुश्मन यह वायरस है।
भाजीबीनि चेयरमैन की सेवा अवधि बढ़ी
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय जीवन बीमा निगम के चेयरमैन एमआर कुमार की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। इसके लिए लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया (स्टाफ) रेगुलेशंस 1960 में आवश्यक संशोधन किया गया है।