ऑफ द रिकॉर्ड/राहत: मप्र समेत कई राज्यों में आ चुका है पीक…।

  • नगीन बारकिया
कोरोना

राहत: मप्र समेत कई राज्यों में आ चुका है पीक…।
यदि एक आईआईटी शोधकर्ता टीम की रिपोर्ट पर विश्वास किया जाए तो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात व छत्तीसगढ़ में कोरोना का पीक आ चुका है। अब धीरे-धीरे कोरोना संक्रमण उतार की ओर है। संक्रमितों की संख्या घट रही है। मगर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु में अभी कोरोना का पीक आना बाकी है। इसलिए सतर्कता जरूरी है। सबसे अधिक खतरा केरल, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा व तेलंगाना में है, जहां कोरोना संक्रमण में घट-बढ़ हो रही है। शोधकर्ताओं ने दूसरी लहर की रोजाना की गति के आधार पर एक मॉडल तैयार किया है जिसके आधार पर केसों के बढ़ने व घटने की संख्या का आंकलन किया जा सकता है। उन्होंने हर प्रदेश की अलग रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में प्रदेश के अनुसार टीपीआर (नंबर ऑफ पाजिटिव केसेस पर 100 टेस्ट) और सीएफआर (परसेंटेज ऑफ डेथ पर 100 केस) का भी आकलन किया है।

24 घंटे में हुई कुल 3,997 मौतें
देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण तबाही जारी है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में कोरोना के मामलों में थोड़ी से कमी दर्ज की जा रही है। गुरुवार को समाप्त हुए 24 घंटों में देश में 3 लाख 42 हजार नए मामले सामने आए जो बुधवार के 3 लाख 62 हजार के मुकाबले कम हैं। इसी तरह मौतों का आंकड़ा भी 4127 के मुकाबले 3997 रहा। कोरोना का कहर अब बंगाल की ओर अधिक दिखाई दे रहा है जहां एक दिन में एक साथ 20,839 लोगों के संक्रमित होने का नया रिकॉर्ड बना है। हालाकि 19,181 लोग ठीक भी हुए हैं।

आखिर कब तक उपलब्ध हो पाएगी वैक्सीन..।
कोरोना से लड़ने में सबसे मुफीद और कारगर कोई उपाय सामने आया है तो वह है वैक्सीनेशन। लोगों को भरोसा हो चला है कि वैक्सीन लगाने के बाद वे 80 फीसदी सुरक्षित हैं। लेकिन जब यह भरोसा पैदा हुआ तो वैक्सीन हवा हो गई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कोविड-19 रोधी टीके दुनिया में आसानी से कब उपलब्ध होंगे? इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि 2023 या उसके बाद कुछ देशों में टीके आसानी से उपलब्ध होंगे। अमेरिका, इजराइल और ब्रिटेन उन देशों में शामिल हैं, जिसने अपनी आधी या इससे ज्यादा आबादी को कम से कम एक खुराक मुहैया करा दी है। दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और वेनेजुएला जैसे कुछ देशों में एक प्रतिशत से भी कम आबादी का टीकाकरण हुआ है। वहीं, अफ्रीका में 12 देशों को टीके की खुराक नहीं मिली है। फिर भी जहां तक भारत की बात है यहां अब तक 18 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। वैश्विक स्तर पर टीके मुहैया कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र की कोवैक्स पहल पर भी कुछ देशों में निर्यात पर पाबंदी लगाए जाने के कारण गहरा असर पड़ा है। हालाकि अमेरिका ने टीके पर पेटेंट छोड़ने का समर्थन किया है। लेकिन, यह स्पष्ट नहीं है कि इस मुद्दे पर दुनिया के देशों में कब सहमति बन पाएगी और ऐसा होता है तो टीका निर्माण को कब गति मिलेगी।

पंजाब में चुनाव पूर्व कांग्रेस में बढ़ी कलह
पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की छाया पड़ने लगी है। सत्ताधारी कांग्रेस में सबसे पहले अंतर्कलह की शुरूआत हो चुकी है और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और स्टार नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच का टकराव सामने आना ही था जो किसी मुहुर्त का इंतजार कर रहा था। दोनों ही जानते हैं कि इसके लिए चुनावों से अच्छा कोई मौका हो ही नहीं सकता जहां पार्टी को दबाव में लाया जा सकता है। जैसा वे जानते हैं  पार्टी को डर रहेगा कि विवाद को जल्द नहीं सुलझाया गया, तो विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। दोनों का ही झगड़ा पुराना है। सिद्धू किसी न किसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री को घेरते रहे हैं। सिद्धू ने गुरुवार को एक बार फिर से कैप्टन अमरिंदर पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी के सहयोगियों के कंधे पर रखकर बंदूक न चलाए, इसके लिए आप खुद जिम्मेदार हो। सिद्धू ने ट्वीट करते हुए कहा- कल और आज, मेरी आत्मा की मांग गुरु साहिब के लिए न्याय है, कल भी इसे दोहराएंगे! पंजाब की अंतरात्मा पार्टी लाइनों से ऊपर है, पार्टी सहयोगियों के कंधों से फायरिंग बंद करो। आप सीधे जिम्मेदार और जवाबदेह हैं- महान गुरु के दरबार में आपकी रक्षा कौन करेगा? सिद्धू के इस बार के हमले से पार्टी इसलिए चिंतित नजर आ रही है क्योंकि पार्टी के कई दूसरे नेता भी खुलकर सिद्धू की हिमायत कर रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस एकजुट होकर ही विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकती है। माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान जल्द पंजाब कांग्रेस के नेताओं को दिल्ली तलब कर सकता है।

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