ऑफ द रिकॉर्ड/क्या कोरोना की उत्पत्ति में चीन का हाथ है…

  • नगीन बारकिया
 कोरोना

क्या कोरोना की उत्पत्ति में चीन का हाथ है…
यह चर्चा फिलहाल आम लोगों में काफी तेजी से फैली हुई है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति का मुख्य अभियुक्त चीन ही है लेकिन किसी के भी पास इस संबंध में कोई पुख्ता सबूत नहीं है जिसके कारण यह बात केवल अफवाह मात्र बनकर रह जाती है। लेकिन अब इसका पता लगाने के लिए अमेरिका ने अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को खुफिया एजेंसियों से कहा कि वह कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच को लेकर प्रयास और तेज करें। बाइडेन ने एजेंसियों को कहा है कि 90 दिन के भीतर वायरस की उत्पत्ति स्थल का पता करके रिपोर्ट दें। उन्होंने कहा कि कोरोना किसी संक्रमित पशु से संपर्क में आने से इंसानों में फैला या इसे किसी प्रयोगशाला में बनाया गया, इस सवाल पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अभी पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। राष्ट्रपति ने चीन से अपील की कि वह अंतरराष्ट्रीय जांच में सहयोग करे। उन्होंने अमेरिकी प्रयोगशालाओं को भी जांच में सहयोग करने को कहा।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की चर्चाएं तेज
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से फुर्सत पाने और उसके साथ ही कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में कुछ हद तक सफलता पाने के बाद लगता है अब प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान अपने मंत्रिमंडल के विस्तार या पुनर्गठन की ओर गया है। सूत्रों का कहना है कि मोदी अब जून के पहले या दूसरे सप्ताह में अपना यह बहुप्रतीक्षित कदम उठा लेना चाहते हैं। सभी सांसदों के साथ ही देश के सभी लोगों की नजरें इस भावी विस्तार पर लगी हुई है। एक ओर जहां देशव्यापी गठबंधन का ध्यान रखा जाए तो संभव है कि जदयू तथा अन्ना द्रमुक कैबिनेट में स्थान पा लें वहीं दूसरी ओर मप्र वालों को ज्योतिरादित्य सिंधिया की चिंता है कि उनको आखिर क्या दर्जा हासिल होता है। देखना यह है कि इस बार की सरगर्मियां क्या कुछ मैदानी स्वरूप ले पाती है या लंबे समय से चला आ रहा इंतजार एक और इंतजार का आकार लेकर रह जाएगा।

उप्र के लिए लगने लगे हैं अगली विधानसभा के गणित
देखते ही देखते उप्र में भाजपा की ऐतिहासिक और चमत्कारिक विधानसभा जीत को पांच साल पूरे होने जा रहे हैं और अगले साल की शुरूआत में वहां भी चुनावों का बिगुल बज उठेगा। इसी के साथ योगी आदित्यनाथ की परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाएगा। आम लोगों के बीच तो चर्चाएं चल भी पड़ी है और अगली विधानसभा के गणित समझाए जाने लगे हैं। चर्चाओं का आधार उप्र में हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव है जो वास्तव में सपा के लिए उत्साहवर्धक कहे जा सकते हैं लेकिन फिर भी प्रेक्षकों की नजरों में विधानसभा में भाजपा को हराना अभी उतना आसान नहीं दिखाई दे रहा है। उल्लेखनीय है कि सपा समर्थकों ने करीब 3500 जिला पंचायत सीटों में से 800 पर अपनी जीत का परचम लहराया है जिसमें उसने बनारस, अयोध्या, गोरखपुर और लखनऊ जैसे भाजपा के गढ़ों में भी सेंध लगाई है। इसके बावजूद अभी कोई भी भाजपा के विधानसभा में खराब प्रदर्शन करने की बात को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि 2012 में 29 प्रतिशत वोट पाने वाली सपा 2017 में 21 फीसदी पर जा गिरी थी। अपने पुराने रिकॉर्ड पर पहुंचने के लिए सपा को काफी मेहनत करना होगी। देखने वाली बात है कि सपा क्या रणनीति अपनाती है कि वह जीत के लिए जरूरी 12 से 15 फीसदी अतिरिक्त वोट हासिल कर सके।

भाजपा सांसद ने बाबा रामदेव को निशाना बनाया
बाबा रामदेव को विवादों का दूसरा नाम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। अब वे एक ओर जहां एलोपैथी को लेकर दिए अपने बयान के कारण विवादों में हैं तो दूसरी ओर बिहार से भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने इसी मुद्दे पर बाबा पर निशाना साधकर एक और विवाद को जन्म दे दिया है। आईएमए ने बाबा रामदेव को कानूनी नोटिस भेजकर 1000 करोड़ रुपये का दावा ठोका है। इसी के साथ उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए योगगुरु पर देशद्रोह का मामल दर्ज करने की मांग की है। संस्था का कहना है कि उन्होंने कोरोना टीके को लेकर भ्रामक और गलत बयान दिए है। इसी बीच सांसद जायसवाल ने कहा कि रामदेव योग गुरु हैं, योगी नहीं क्योंकि योगी अपने मस्तिष्क सहित सभी इंद्रियों पर काबू पा लेता है। हमें निरर्थक बातों में प्रतियोगिता कर अपने वर्षों की साधना को बर्बाद नहीं करना चाहिए।

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