- प्रणव बजाज
संघ प्रमुख के बयान के समर्थन में आए नियाज
मप्र कैडर के आईएएस अफसर नियाज खान अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। इसकी वजह से वे कई बार विवादों में भी आ जाते हैं। अब उनके द्वारा संघ प्रमुख के बयान का समर्थन किया गया है। उनके द्वारा किए गए ट्वीट में कहा गया है की वाकई संघ प्रमुख मोहन भागवत के विचार महान हैं, मैं उनके बयानों को सलाम करता हूं। उनके द्वारा लिखा गया है की सभी भारतीयों के जीन और पूर्वज एक जैसे हैं। हर किसी को अपने तरीके से पूजा करने की आजादी है। हम सभी एक हैं। दरअसल संघ प्रमुख ने बीते रोज नागपुर में अपने बयान में कहा गया था कि ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रृदाएं हैं, पंरपरा से चलती आई हैं, परंतु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना। इसके पहले भी अप्रैल माह में वे संघ प्रमुख के बयान को लेकर सहमति जताते हुए तारीफ कर चुके हैं। गौरतलब है की इसके पूर्व वे गौधरा पर फिल्म बनाने को लेकर ट्वीट करने के मामले में बेहद चर्चा में आए थे।
भाजपा विधायक कासडेकर पर दर्ज होगी एफआईआर
दलबदल कर भाजपा के टिकट पर नेपानगर से विधायक बनने वाली सुमित्रा कासडेकर की मुश्किलें बढ़ना तय है। उनके खिलाफ बुरहानपुर की एक अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला उनके खिलाफ फर्जी दस्तावेज लगाकर चुनाव लड़ने से संबधित है। इस मामले में उनके खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था की उनके द्वारा नामांकन के समय फर्जी दस्तावेज पेश किए गए हैं। इसमें कहा गया था की उनके द्वारा नामाकंन भरते और गैस एजेंसी लेते समय अलग-अलग जन्म तिथी और अलग-अलग शैक्षणिक योग्यता बताई गई है। इस मामले में सुनवाई के बाद न्यायालय ने खकनार पुलिस को उनके खिलाफ धारा 420,467,468 और 471 के तहत प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल न्यायालय के इस आदेश को कासडेकर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
आईएएस धनराजू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
कानून के रखवारे अफसर खुद के मामलों में किस तरह से स्वयं को सबसे उच्च स्तर पर मानते हैं, इसका उदाहरण हैं, आईएएस अफसर चंद्रमौली शुक्ला और राज्य शिक्षा केन्द्र के आयुक्त धनराजू एस। इन्हें बुलाने के लिए मानव अधिकार आयोग द्वारा गिरफ्तारी वारंट तक निकालने पड़ रहे हैं। हाल ही में मानव अधिकार आयोग को देवास कलेक्टर शुक्ला को चार मामलों में हाजिर होने के लिए गिरफ्तारी वारंट तक निकालना पड़ गया था। इसके बाद अब दूसरे आईएएस अफसर धनराजू एस के खिलाफ भी आयोग को जमानती गिरफ्तारी वारंट निकलना पड़ गया है। उन्हें 30 जून को स्वयं उपस्थित होकर स्पष्टीकरण व प्रतिवेदन देने का आदेश दिया गया है। उनके द्वारा लगातार आयोग के निर्देशों की अवहेलना की जा रही थी। उन्हें स्कूल से जुड़े एक मामले में तलब किया गया है। यह वे अफसर है जो इस तरह के मामलों में अधीनस्थों पर तो कार्रवाई करते हैं , लेकिन स्वयं ही इस तरह के आदेशों का पालन नहीं करते हैं। दरअसल ऐसे लापरवाह अफसरों पर शासन भी कोई कार्रवाई नहीं करता है।
सिंचाई विभाग के अफसरों ने लगवा दी 27 करोड़ की चपत
मप्र का सिंचाई महकमा जो करे कम ही है। हालत यह है की उसके अफसरों की लापरवाही ने सरकारी खजाने को एक सिचाई परियोजना में पहले 27 करोड़ रुपए की चपत लगवा दी है और फिर उसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर डाली। यह मामला 600 करोड़ रुपए की पवई मध्यम सिंचाई परियोजना से जुड़ा हुआ है। इस मामले में ठेकेदार को पहले लाभ पहुंचाने के लिए पहले उसका भुगतान कर डाला और बाद में याचिका भी लगा दी। दरअसल ठेकेदार ने काम शुरू करने में एक साल की देरी कर दी, जिसके चलते उसका ठेका निरस्त कर दिया गया। इसके खिलाफ ठेकेदार आर्बिटेशन में चला गया। इसका फैसला ठेकेदार के पक्ष में आया। इसके बाद विभाग सुप्रीम कोर्ट में चला गया , जहां पर सरकार पर एक लाख रुपए का जुर्माना अलग से लग गया। अब जाकर इस मामले में सरकार ने जांच कराने का फैसला किया है। इसके लिए वरिष्ठ अफसरों की एक कमेटी बनाई गई है। दरअसल यह ऐसा विभाग है जिसमें संविदा ईएनसी रखकर काम चलाया जा रहा है।