खबरें असरदारों की/बिना करे-धरे निशाने पर

  • विनोद उपाध्याय
राजनीतिक पार्टियों

बिना करे-धरे निशाने पर
चुनाव के इस दौर में अधिकारी-कर्मचारी राजनीतिक पार्टियों के निशाने पर आ जाते हैं। चुनाव आयोग में कई अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें की गई हैं। इन्हीं में से एक हैं 2013 बैच के आईएएस अधिकारी। साहब वर्तमान में राजधानी में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और अपनी स्वच्छ छवि और प्रशासनिक निष्ठा के लिए जाने जाते हैं। लेकिन साहब के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत कर दी गई कि वे भेदभाव पूर्ण व्यवहार करते हुए कार्यकर्ताओं के घर और वाहन से पार्टी के झंडे निकलवा रहे हैं। आयोग ने इस मामले कलेक्टर से प्रतिवेदन मांगा। जांच में पाया गया कि साहब ने ऐसा कुछ नहीं किया है। ऐसे में चुनाव आयोग ने उन्हें क्लीनचिट दे दी है। लेकिन इस घटनाक्रम के बाद साहब की चिंता बढ़ गई है कि बिना कुछ करे-धरे वे प्रदेश की सबसे मजबूत राजनीतिक पार्टी के निशाने पर आ गए हैं।

छापामार कलेक्टर
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका ने इन दिनों 2014 बैच के एक आईएएस अधिकारी देवास कलेक्टर ऋषभ गुप्ता छापामार कलेक्टर के रूप में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। यह जिला औद्योगिकीकरण के साथ ही खेती-किसानी के लिए जाना जाता है। इस समय रबी फसलों की बुवाई हो रही है। ऐसे में खाद की किल्लत बनी हुई है। यह खबर जैसे ही साहब के पास पहुंची, उन्होंने सहकारी संस्थाओं की सूची और खाद की उपलब्धता की जानकारी मंगाई और छापा मारना शुरू कर दिया। साहब बिना सूचना के खाद वितरण केंद्रों पर धावा बोल रहे हैं। इससे जिलेभर में हडक़ंप मच गया है। इसके बाद भी कुछ जगह भर्राशाही की खबरे आने के बाद साहब ने एक केंद्र पर छापा मारा और यूरिया खाद वितरण में कार्य में लापरवाही के मामले में दो सहायक समिति प्रबंधक एवं एक संस्था प्रबंधक को सस्पेंड कर दिया।

दाग मिटाने सडक़ पर
ग्वालियर-चंबल अंचल का एक जिला सूखा और प्रदूषण के कारण प्रदेश में दाग की तरह देखा जाता है। इस बार तो वायु गुणवत्ता सूचकांक में वेरीपुअर’ का तमगा मिलते ही जिले के प्रशासनिक मुखिया यानी कलेक्टर साहब का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। साहब ने वेरीपुअर’ का दाग धोने की कार्ययोजना बनाई और सभी विभागों के अधिकारियों को तलब कर टारगेट थमा दिया। साहब का निर्देश मिलते हीं जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, आरटीओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सडक़ों पर दौड़ते नजर आए। जानकारों का कहना है कि वायु प्रदूषण को लेकर तीन साल बाद परिवहन विभाग, प्रदूषण नियंत्रक विभाग, नगर निगम व ट्रैफिक पुलिस अमला वाहनों की जांच के लिए सडक़ों पर उतरा। अब रोजाना प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों, निर्माणधीन भवनों की जांच कर जुर्माना ठोका जा रहा है। इसके बाद भी प्रदूषण कम होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है, जिससे की जा रही कार्रवाई पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।

पहली परीक्षा में अव्वल
एमपीपीएससी की परीक्षा देकर अफसर बनने वाली महिला अधिकारी निशा बांगरे ने राजनीति में हाथ आजमाने के लिए अपनी पकी-पकाई नौकरी से इस्तीफा दे दिया। काफी भागदौड़ और अदालती चक्कर के बाद मैडम का इस्तीफा मंजूर भी हो गया, लेकिन वे जिस जगह और जिस पार्टी से चुनाव लड़ना चाहती थीं, वहां बात नहीं बन पाई। फिर भी मैडम उक्त पार्टी में चली गई हैं। पार्टी ने भी मैडम को चुनावी परीक्षा में उतार दिया है। परीक्षा के तहत मैडम ने विगत दिनों ग्वालियर-चंबल अंचल में पहली सभा की तो उन्होंने जिस तरह से तथ्यों को परोसकर विपक्षी पार्टी पर हमला बोला, उसको देखकर हर कोई कहने लगा है कि मैडम पहली परीक्षा में ही अव्वल आ गई हैं। यानी राजनीति में मैडम का भविष्य उज्ज्वल है।

विवादों में कार्यवाही
प्रदेश में इन दिनों विधानसभा चुनाव के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर जारी किए जाने वाले कुछ कलेक्टरों के आदेश चर्चा में हैं। ताजा आदेश विंध्य क्षेत्र के एक जिले की जिला दंडाधिकारी का है। उन्होंने नामांकन वापसी के पांच दिन बाद एक प्रत्याशी को जिला बदर कर दिया। जानकारी के अनुसार कलेक्टर ने विधानसभा चुनाव नामांकन अवधि के दौरान जिला बदर मामले में सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन उक्त प्रत्याशी अपना पक्ष रखने के लिए कलेक्टर कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। इसी आधार पर कलेक्टर ने उन्हें एक साल के लिए जिला बदर कर, 48 घंटे के अंदर जिला छोड़ने का आदेश दे दिया। इसके बाद उक्त प्रत्याशी ने हाईकोर्ट में अपील की, जिस पर 20 नवंबर तक उन्हें छूट मिली है। इसी तरह के दो अन्य मामले मालवा और निमाड़ के दो जिलों में भी सामने आए हैं।

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