खबरें असरदारों की/नेताओं की सिफारिश पर भी काम नहीं

नेता

– विनोद उपाध्याय

नेताओं की सिफारिश पर भी काम नहीं
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले के कलेक्टोरेट में चस्पा एक पोस्टर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इसमें लिखा हुआ है कि शस्त्र संबंधी समस्त कार्य निर्वाचन 2023 होने से आगामी आदेश तक नहीं होंगे। इसके बाद आलम यह है कि नेताओं की सिफारिश लेकर लोग कलेक्टोरेट पहुंचने लगे हैं। जब यह बात कलेक्टर को पता चली तो उन्होंने अफसरों को स्पष्ट निर्देश दे दिया कि नेताओं की सिफारिश पर भी काम नहीं होगा। दरअसल, चुनाव आचार संहिता के डर से हथियार लाइसेंस के आवेदकों की भीड़ कलेक्ट्रेट में बढ़ गई है। ये न तो स्टाफ को चुनाव संबंधी दूसरे काम करने दे रहे हैं न अफसरों को। इसी कारण कलेक्ट्रेट में लाइसेंस बनना बंद होने की सूचना के पोस्टर चस्पा कर दिए गए हैं। लेकिन आलम यह है कि कलेक्टर के पास रोजाना नेताओं के फोन पहुंच रहे हैं, जिससे वे परेशान हैं।

कलेक्टर को हटाओ नहीं तो…
चुनावी साल में जहां एक तरफ सरकार हर किसी को खुश करने की कोशिश में लगी हुई है, वहीं महाकौशल क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर को हटाने के लिए सरपंचों ने मोर्चा खोल दिया है। दरअसल इसकी वजह है, कलेक्टर का सरपंचों से न मिलना। सरपंचो नेे सरकार से मांग की है कि कलेक्टर हो हटाओ नहीं तो हम सरकारी योजनाओं का बहिष्कार करेंगे। दरअसल, विगत दिनों जिले के आधा सैकड़ा से अधिक सरपंच अपनी सत्रह सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्टर से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। उस दिन कलेक्टर की कोर्ट भी लगी थी। लेकिन सरपंच कलेक्टर से मुलाकात कर उनको ही ज्ञापन देने पर अड़ गए। बात कलेक्टर तक पहुंची तो उन्होंने सरपंच संघ के पांच प्रतिनिधियों को चैम्बर में आने के लिए भी कह दिया। लेकिन सरपंच इस बात पर अड़ गए कि कलेक्टर खुद कलेक्ट्रेट के गेट तक आएं, उनकी बात सुनें और ज्ञापन लें। कलेक्टर की ओर से असहमति दी गई, तो सरपंच संघ ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

आखिर कौन खराब कर रहा छवि
करीब पांच महीने में ही प्रदेश के एक आदिवासी बहुल जिले में अपने नवाचारों के कारण मिसाल बनी एक आईएएस अधिकारी जो जिले में कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं, की छवि खराब करने के लिए ऐसे काम किए जा रहे हैं जो चर्चा का विषय बने हुए हैं। ऐसा ही एक वाक्या गतदिनों जिला योजना भवन में आयोजित जनसुनवाई में सामने आया। जिला प्रशासन के अधिकारी जब आवेदकों के आवेदनों का निपटारा कर रहे थे, उसी दौरान वहां समूह में पहुंचे लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। महिलाएं जोर-जोर से अपनी समस्या बताने लगी। जब वहां मौजूद भृत्य व अधिकारियों से मामला नहीं संभला ,तो कोतवाली को फोन करके टीम बुलानी पड़ी। वहीं आवेदकों का कहना है कि कलेक्टर के जनसुनवाई में नहीं रहने पर उपस्थित अधिकारी गुमराह करते हैं। उधर अधिकारियों का कहना है की हम पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं। कोई हंगामा करके कलेक्टर की छवि खराब करवाना चाहता है।

करे कोई…भरे कोई
एक प्रमुख कहावत है करे कोई, भरे कोई। इस कहावत से 2014 बैच के एक युवा आईएएस परेशान हैं। ये इन दिनों विंध्य क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर हैं। साहब को जिले का कलेक्टर बने अभी तकरीबन 9 महीने हुए हैं। लेकिन एक पुराने मामले में हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए ना सिर्फ कलेक्टर के फैसले को निरस्त किया, बल्कि कलेक्टर पर 25000 रुपए की कॉस्ट भी लगाई है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने मुआवजे पर लगी रोक भी हटा दी है। दरअसल, वर्ष 2013-14 में एसईसीएल ने भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही की थी। इस मामले में कलेक्टर ने 15 मार्च 2019 को मुआवजा भुगतान पर रोक लगा दी। कलेक्टर के आदेश को शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया जिस पर की सुनवाई करते हुए कलेक्टर के आदेश को निरस्त कर दिया। लेकिन इस मामले में वर्तमान कलेक्टर लोगों के निशाने पर आ गए हैं। उधर, साहब को समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसी स्थिति में मैं क्या सफाई दूं।

पीड़ा सुन पसीज गए कलेक्टर
सोशल मीडिया पर कलेक्टर किशोर कान्याल की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें वे एक बुजुर्ग को गलबहियां किए हुए हैं। दरअसल, ये मामला निमाड़ क्षेत्र के एक जिले का है। बताया जाता है कि निरीक्षण के दौरान साहब को एक बुजुर्ग ने अपनी पीड़ा सुनाई तो साहब इस कदर पसीज गए कि उन्होंने उक्त बुजुर्ग को गले लगा लिया। उसके बाद उन्होंने बुजुर्ग की समस्या दूर करने की कार्यवाही तत्काल शुरू कर दी। दरअसल, बुजुर्ग ने उन्हें बताया कि वह अत्यंत गरीब है तथा उसे वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही है। इस पर कलेक्टर ने उसे गले लगाते हुए उसके आंसू पोंछे तथा तत्काल 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान करने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने संबंधित अधिकारी को मोबाइल पर निर्देश दिए कि वृद्धावस्था पेंशन चालू करें। उसे शासन की अन्य योजनाओं के तहत सुविधाएं प्रदान करे।

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