नगीन बारकिया//बिच्छू डॉट कॉम।
मुरमुरे पर जीएसटी, भड़कीं ममता बनर्जी इसे खाने से वजन होता है कम
हाल ही में टीएमसी की एक रैली में ममता बनर्जी ने जीएसटी को लेकर भाजपा से नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा अब तो मुरी (मुरमुरे) पर जीएसटी लग गई है। क्या भाजपा के लोग अब मुरी नहीं खाएंगे? मुरमुरे पर जीएसटी शायद बहुतों के लिए हल्की बात होगी, लेकिन पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए यह एक स्टेपल फूड, यानी मुख्य भोजन है। वहां के लोग इसे सब्जी के साथ भी खाते हैं। राजनीति से निकलकर आज जरूरत की खबर में चर्चा मुरमुरे की ही कर लेते हैं। यह कैसे बनता है? यह कितना हेल्दी होता है? पहली बार मुरमुरे कहां खाया गया? ये सब आज जानेंगे। अंजू विश्वकर्मा, डायटिशियन- मुरमुरे चावल से तैयार किए जाने वाला एक फूड आइटम है। इसे तेज आंच पर तैयार किया जाता है। ये हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। मुरमुरे बिहार, झारखंड, असम और नेपाल के निचले हिस्से के लोगों के खाने में भी शामिल है। महाराष्ट्र की भेलपुरी का स्वाद हर किसी की जुबान पर है। मध्य प्रदेश के लोग नमकीन को मुरमुरे के बिना सोच नहीं सकते।
झारखंड के सरकारी स्कूलों में मदरसा राज
धर्म भी अजीब है और शासन व्यवस्था कमजोर पड़ जाए तो कभी कभी इसका पालन भी अजीब तरीकों से होने लगता है। कहा जा सकता है कि कम से कम शिक्षा, खासकर बच्चों की शिक्षा को तो धार्मिक आडम्बरों से दूर रखना ही चाहिए, लेकिन झारखण्ड में शिक्षा के अनेक मंदिरों में बच्चों को धर्म की अजीब घुट्टी पिलाई जा रही है। सब जानते हैं- झारखण्ड से कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि वहां एक स्कूल में नियमित प्रार्थना बंद करवा दी गई है और प्रार्थना के वक्त हाथ जोड़ने की भी मनाही है। अब खबर मिली है कि राज्य के पांच जिलों में ऐसे कम से कम 70 स्कूल हैं जहां हाथ जोड़कर प्रार्थना करना प्रतिबंधित है। बच्चे हाथ जोड़ने की बजाय हाथ बांधकर प्रार्थना करते हैं। यही नहीं, ये सब सामान्य सरकारी स्कूल हैं, लेकिन गांव वालों ने इनकी दीवार पर उर्दू स्कूल लिख दिया है और ये सब के सब इसी हिसाब से चल रहे हैं या चलाए जा रहे हैं। कहते हैं बात जब फैली और ऊपर तक गई तो सख्ती हुई। स्कूल के नाम के आगे लिखा हुआ उर्दू शब्द हटा दिया गया। कुछ दिन ऐसा चला फिर गांव वालों ने वापस स्कूल के नाम के आगे उर्दू जोड़ दिया। सरकारी अफसरों से गांव वालों ने साफ कह दिया है कि स्कूल तो हमारी मर्जी के अनुसार ही चलेगी वर्ना बंद कर दो।
यौन संबंधों से फैलने वाली बीमारी है मंकीपॉक्स? नई स्टडी ने चौंकाया
दुनिया भर में मंकीपॉक्स बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। 72 देशों में इसके कंफर्म मरीजों की संख्या करीब 15 हजार हो गई है। भारत में भी चार केस मिल चुके हैं। इसके ज्यादातर मरीज पुरुष और समलैंगिक हैं। ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या मंकीपॉक्स सेक्स के जरिए फैलने वाली बीमारी है? विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी इस बारे में पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता। हालांकि लंदन में हुई एक नई स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि मंकीपॉक्स के 95 फीसदी मामले यौन संबंधों से फैले हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ। टेड्रोस अधनोम घेब्रेसियस का कहना है कि मंकीपॉक्स का आउटब्रेक उन पुरुषों में ज्यादा हो रहा है, जो किसी पुरुष के साथ यौन संबंध बनाते हैं। इनमें भी खासकर उन पुरुषों में ये बीमारी ज्यादा फैल रही है, जिनके कई यौन पार्टनर होते हैं। हालांकि ये अभी साफ नहीं है कि ये बीमारी यौन संबंधों के जरिए फैलती है। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक के साथ ही कई हेल्थ एक्सपर्ट्स और संक्रामक रोग विशेषज्ञ भी मंकीपॉक्स को अभी रळऊ यानी यौन संचारित रोग मानने को पूरी तरह तैयार नहीं है।
एलन मस्क का गूगल के को-फाउंडर की पत्नी संग चल रहा अफेयर, चौंकाने वाला खुलासा
दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में से एक एलन मस्क अपने काम के अलावा अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी चर्चा में रहते हैं। अब मस्क के सीक्रेट अफेयर का खुलासा हुआ है। पता चला है कि एलन मस्क अब गूगल के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन की पत्नी से निकोल शनहान के साथ रिलेशन में हैं। बता दें कि गूगल के को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन ने कुछ महीने पहले निकोल शनहान से तलाक की अर्जी दी थी। अब वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट से पता चला है कि सर्गेई बि ने एलन मस्क के साथ अपनी पत्नी के अफेयर के बारे में पता लगने के बाद यह कदम उठाया था। रिपोर्ट के अनुसार एलन मस्क और सर्गेई ब्रिन लंबे समय तक दोस्त थे और ब्रिन ने ही साल 2008 में आर्थिक संकट के दौरान एलन मस्क की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला को डूबने से बचाया था। एलन मस्क और सर्गेई ब्रिन की दोस्त काफी गहरी थी और मस्क सिलिकॉन वैली स्थित ब्रिन के घर लगातार आते-जाते रहते थे। इसी दौरान मस्क और ब्रिन की पत्नी निकोल शनहान के बीच नजदीकियां बढ़ीं।