- नगीन बारकिया
फ्री राशन के लिए वितरण प्रणाली पर नकेल जरूरी
सोमवार को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश देकर जहां कई धारणाओं को साफ किया वहीं सभी को मुफ्त वैक्सीन और गरीबों के लिए नवंबर तक अतिरिक्त फ्री राशन देने की घोषणा कर राहत पहुंचाने का कार्य किया। हालांकि राशन की घोषणा से जितनी खुशी जनता को नहीं हुई होगी उससे ज्यादा खुश वितरण प्रणाली में लगे लोग हुए होंगे। उनकी तो बांछे ही खिल उठी होंगी। वास्तव में फ्री राशन की योजना अच्छी होते हुए भी इसकी वितरण प्रणाली में भारी खामियां होने की वजह से सरकार की इस जनहितैषी योजना का लाभ वास्तविक हकदार तक पहुंचेगा इसमें संदेह है। कोविड-19 के समय पिछले साल भी ऐसी ही घोषणा की गई थी लेकिन उसका लाभ लेने वालों को सबने सड़कों पर भटकते हुए देखा था। सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर जब तक नकेल नहीं कसी जाएगी सरकार की योजनाओं को बत्ती लगती रहेगी। इन दुकानों पर या तो सामग्री नहीं होती है या फिर नहीं होने का बहाना बनाकर लौटा दिया जाता है। कभी दुकान का कंप्यूटर ही खराब हो जाता है। सरकार ने प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन देने की घोषणा की है लेकिन दुकानदार 5 किलो प्रति राशन कार्ड राशन बांटने का हिसाब बता देता है। कभी गल्ला पर्ची या कभी किसी नेता की पर्ची मंगाई जाती है। इस तरह चक्कर कटवाकर उपभोक्ता को घर बैठने को मजबूर कर दिया जाता है। कभी किसी अनाज की कमी बता दी जाती है तो कभी दुकान ही नहीं खुलती। अभी भी पिछले दो माह से कई दुकानों पर गेहूं उपलब्ध नहीं है और जनता की नाराजगी को दबाए रखने के लिए गेहूं की जगह बाजरा वितरित किया जा रहा है जिसे कोई खाता ही नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि जनता का खून चूसने वाली इस वितरण प्रणाली पर कड़ी लगाम लगाकर ही वितरण कार्य शुरू किया जाए। इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाए जिसके तहत स्टाक और वितरण का पूर्ण विवरण सार्वजनिक बोर्ड बनवाकर लगाया जाना अनिवार्य हो। यह व्यवस्था अभी भी है लेकिन कोई दुकानदार इसका पालन ही नहीं करता। कारगर यह होगा कि बोर्ड पर हेल्पलाइन नंबर भी दिया जाए जिससे उसकी शिकायत का तुरंत निवारण हो सके। यदि संभव हो तो इसे घर पहुंच सेवा बनाया जाए या आधार पर आधारित कर दिया जाए। साथ ही यदि अन्य योजनाओं की तरह अनाज के बदले इसकी राहत राशि जनता के खातों में सीधे जमा करा दी जाए तो यह अति उत्तम उपाय होगा।
अब छाया ब्लैक फंगस का कहर
कोरोना वायरस के बाद अब ब्लैक फंगस ने अपने पैर पसारने के संकेत दिए हैं। महामारी बनी फंगस अब तक देश के 28 राज्यों में फैल चुकी है। कुछ दिन पहले तक 26 राज्यों में 19 हजार के करीब मामले सामने आए थे लेकिन सोमवार को मंत्री समूह की उच्च स्तरीय बैठक में प्राप्त जानकारी के अनुसार 28 राज्यों में अब तक 28 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। हालांकि बैठक के दौरान अधिकारियों ने मौत को लेकर जानकारी सार्वजनिक नहीं की है जिसके चलते फंगस की वजह से अब तक देश में करीब 300 मरीजों की मौत होने की जानकारी दी जा रही है। बताया जाता है कि देश में 28,252 मरीज फंगस संक्रमित मिले हैं जिनमें से 86 फीसदी मरीज कोरोना संक्रमित रहे हैं। वहीं इन मरीजों में 62.3 फीसदी मधुमेह पहले से था। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 6,339 मामले अब तक मिल चुके हैं। वहीं गुजरात में 5,486 लोग फंगस के शिकार हुए।
इसरो ने बनाए तीन तरह के वेंटिलेटर
एक अच्छी खबर है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए हैं और इसके क्लीनिकल उपयोग के लिए उसने उद्योग को इसकी प्रौद्योगिकी स्थानांतरित करने की पेशकश की है। इसरो की यह पेशकश ऐसे समय में आई है जब देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है। कम लागत में बने पोर्टेबल वेंटिलेटर ‘प्राण’ (प्रोग्रामेबल रेस्पिरेटरी असिस्टेंस फॉर दी नीडी ऐड) का आधार एएमबीयू बैग (कृत्रिम तरीके से श्वसन देने संबंधी इकाई) को स्वचालित दाब में रखना है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रणाली में अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली है जिसमें वायु दबाव संवेदक, फ्लो संवेदक, ऑक्सीजन संवेदक आदि की व्यवस्था भी है। इसमें विशेषज्ञ वेंटिलेशन के प्रकार को चुन सकते हैं और टच स्क्रीन पैनल की मदद से मापदंड तय कर सकते हैं। इन वेंटिलेटर की मदद से ऑक्सीजन- वायु की जरूरत के हिसाब से बहाव को मनचाही गति से रोगी तक पहुंचाया जा सकता है। बिजली गुल होने की स्थिति में इसमें अतिरिक्त बैटरी की व्यवस्था भी की गई है।