सौरभ के मामले को दबा रहीं हैं जांच एजेंसियां : जीतू पटवारी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया है कि परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले को जांच एजेंसियां दबाने में जुटी हैं। सभी के बयान एक ही दिशा में आ रहे हैं। छापे में जब्त डायरियां कहां हैं और उनमें जिनके नाम हैं, उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं। इससे लोकायुक्त सहित अन्य एजेंसियों की जांच की विश्वसनीयता पर सवाल हैं। उन्होंने कहा कि सभी एजेंसियों को जांच की एक ही दिशा रखना चाहिए। पूर्व मंत्रियों की संलिप्तता को भी देखा जाना चाहिए। जब्त दस्तावेजों और डायरियों की भी जांच हो, तभी कथित हजारों करोड़ के परिवहन घोटाले के अजगर पकड़े जाएंगे। जांच एजेंसियों को चैकपोस्ट बंद होने के बाद भी अवैध वसूली की जो शिकायतें सामने आई हैं, न केवल उनकी जांच करनी चाहिए बल्कि टोल नाकों से अवैध वसूली पर भी नजर रखनी चाहिए।
अब असली अपराधियों को दंड दिलाने की परीक्षा जांच एजेंसियों के सामने: उमा
पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेत्री उमा भारती ने बुधवार को इंटरनेट मीडिया एक्स पर पोस्ट भेजकर असली अपराधियों को दंड दिलाने की बात कही है। उन्होंने लिखा चेक पोस्ट घोटाले के आरोपी पकड़े गए हैं। अगर जांच में कहीं यह साबित होता है कि इन्होंने अकेले ही यह घोटाले किए हैं तो फिर गहराई में जाने पर यह घोटाला एक गंभीर मसला हो सकता है। जों जांच एजेंसियां जांच में लगी हैं, उनकी दक्षता एवं निष्पक्षता पर लोगों को विश्वास है। इन एजेंसियों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है कि वह यह बात यहीं खत्म कर देते हैं या गहराई में जाकर के असली महाअपराधियों को पकड़ कर, प्रमाण जुटा कर उन्हें कठोरतम दंड दिला लेते हैं।
नहीं आए बयान देने विधायक पाठक के परिजनों की कंपनी के संचालक
हाउसिंग कारपरिशन इन्वेस्टमेंट समूह की जमीन और औने-पौने दाम में बेचने के मामले में विक्रेता और क्रेता कंपनियों के संचालक आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में बयान देने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। ईओडब्ल्यू ने बुधवार को संजय पाठक के परिजनों की हिस्सेदारी वाली कंपनी नायसा देवबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के दो संचालकों को बयान देने के लिए बुलाया था, पर उन्होंने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से आवेदन देकर अतिरिक्त समय मांगा है। कटनी व जबलपुर में 200 एकड़ जमीन खरीदी के मामले में उनसे पूछताछ की जानी थी। इसके पहले सोमवार को विक्रेता कंपनियों के तीन अधिकारियों को बयान देने के लिए बुलाया था, पर वही भी नहीं आए। मंगलवार को सिर्फ तीन लोगों के बयान हुए हैं। उल्लेखनीय है कि इस मामले में मिली एक शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू ने पिछले माह प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी।
डॉ. प्रांजल खरे से निरंतर सेवा लेना सीएमएचओ को पड़ रहा भारी
स्वास्थ्य विभाग ने बैरसिया अस्पताल के जिस डा. प्रांजल खरे के नियुक्ति आदेश को निरस्त किया है, उससे निरंतर सेवा लेना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रभाकर तिवारी को महंगा पड़ गया है। इसे आदेशों की अवहेलना मानते हुए विभाग ने नोटिस जारी किया है। जिसमें बड़ी नाराजगी जाहिर की गई है। विभाग के वरिष्ठ संयुक्त संचालक डा. राजू निदारिया ने यह नोटिस जारी किया है। इसमें उल्लेख किया गया कि बैरसिया सिविल अस्पताल में पदस्थ रहे डा. प्रांजल खरे की नियुक्ति निरस्त की गई है। विभाग द्वारा डा. प्रांजल खरे का निरस्ती आदेश जारी किए जाने के उपरांत भी आपके द्वारा नियम विरूद्ध संबंधित से निरंतर कार्य करवाया जा रहा है। इनका नियमित रूप से वेतन भी आहरण हो रहा है। आपके द्वारा त्रुटिपूर्ण जानकारी दिए जाने के कारण डा. प्रांजल खरे चिकित्सा अधिकारी का नाम नियुक्ति आदेश सूची में अंकित हुआ है। यह आदेशों की अवहेलना एवं वित्तीय अनियमितता की गई है।