बिच्छू राउंडअप/मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर खिसका

मानव विकास सूचकांक

मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर खिसका
मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के मामले में भारत 2021 में 191 देशों की सूची में 132 वें स्थान पर रहा। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का एचडीआई मान 0.633 है। वर्ष 2020 में भारत 0.645 एचडीआइ मान के साथ 131वें स्थान पर रहा था। रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए जीवन प्रत्याशा में गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। भारत में जीवन प्रत्याशा 69.7 से घटकर 67.2 वर्ष हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव विकास सूचकांक राष्ट्र के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय का संकेतक होता है। यह वैश्विक गिरावट के अनुरूप है, जो दर्शाता है कि दुनिया भर में मानव विकास 32 वर्षों में पहली बार ठप हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट की बड़ी वजह जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट है, जो 2019 में 72.8 साल से घटकर 2021 में 71.4 साल हो गई। नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट अनसर्टेन टाइम्स, अनसेटल्ड लाइव्स: शेपिंग अवर फ्यूचर इन ए ट्रांसफार्मिंग व?र्ल्ड में अनिश्चितता की आशंकाएं जताई गई हैं।

एनजीटी ने महाराष्ट्र सरकार पर लगाया 12 हजार करोड़ का जुर्माना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर महाराष्ट्र सरकार पर 12 हजार करोड़ रुपये का जुमार्ना लगाया है। एनजीटी ने कहा कि राज्य ठोस व तरल कचरे के प्रबंधन में विफल रहा है। राज्य पर यह जुमार्ना एनजीटी की धारा-15 के तहत लगाया गया है। बता दें कि एनजीटी ने हाल में बंगाल सरकार पर भी 3,500 करोड़ रुपये का जुमार्ना लगाया था। ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कथित रूप से प्रबंधन नहीं करने पर उसने बंगाल को ये जुमार्ना भरने को कहा था। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ ने निर्देश पारित करते हुए कहा कि ठोस व तरल कचरे का प्रबंधन नहीं करने पर एनजीटी अधिनियम के तहत उपरोक्त जुमार्ना लगाना जरूरी है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि आदेश पारित करने के बावजूद पिछले आठ वर्षों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और पांच वर्षों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कोई ठोस परिणाम नहीं दिखे हैं। वैधानिक और निर्धारित समय सीमा समाप्त होने के बावजूद हालत जस की तस है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि दो महीने के भीतर एक अलग रिंग-फेन्सड खाते में महाराष्ट्र सरकार यह जुमार्ना राशि जमा करा सकती है।

हिजाब से नहीं की जा सकती सिखों की ‘पगड़ी और कृपाण’ की तुलना: सुप्रीम कोर्ट
हिजाब मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर 8 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने अपनी एक टिप्पणी में कहा कि सिखों की पगड़ी और कृपाण की तुलना हिजाब से नहीं की जा सकती। सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि 5 जजों की संविधान पीठ पहले ही यह तय कर चुकी है कि पगड़ी और कृपाण सिख धर्म का अनिवार्य हिस्सा हैं, ये दोनों चीजें सिखों की पहचान से जुड़ी हुई हैं। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा, सिख धर्म के 500 वर्षों के इतिहास और भारतीय संविधान के हिसाब से भी यह सर्वविदित तथ्य है कि सिखों के लिए पांच ककार जरूरी हैं। ऐसे में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने की तुलना, सिखों के धार्मिक चिह्नों से करना ठीक नहीं है। हिजाब मामले पर सुनवाई 12 सितंबर को भी जारी रहेगी। उस दिन याचिकाकर्ताओं की ओर से सलमान खुर्शीद दलीलें रखेंगे। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील निजाम पाशा की दलीलों को सुनने के बाद की।

सभी अंत्योदय कार्ड धारकों के निशुल्क इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे
राशन कार्ड धारकों की सुविधा को ध्यान में रखकर सरकार की तरफ से कई सुविधाएं   शुरू की गई हैं। अब सरकार ने एक और कदम बढ़ाते हुए अंत्योदय कार्ड रखने वाले सभी परिवारों के लिए एक और सुविधा अनिवार्य कर दी है। सरकार ने फैसला किया है कि सभी अंत्योदय कार्ड धारकों के निशुल्क इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे। इसके लिए जिले और तहसील स्तर पर विशेष अभियान भी चल रहा है। अभियान के तहत अंत्योदय कार्ड धारक परविार के सभी सदस्यों का आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार की तरफ से जन सुविधा केंद्रों पर भी यह सुविधा मुहैया कराई जा रही है। आप अपना राशन कार्ड दिखाकर जन सुविधा केंद्र पर आयुष्मान कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। यूपी की योगी सरकार ने अंत्योदय कार्ड धारकों के आयुष्मान कार्ड बनाने का आदेश दे रखा है। यह अभियान जिला स्तर पर चलाया जा रहा है। पहले इसके अंतिम तिथि जुलाई में थी।

Related Articles