- हरीश फतेहचंदानी
मैडम को भाया गांव
प्रदेश के एक आदिवासी जिले झाबुआ कलेक्टर रजनी सिंह इन दिनों गांवों के अधिक दौरे कर रही हैं। आए दिन मैडम जिले के किसी न किसी गांव का रुख कर लेती हैं। गांव में पेयजल, शिक्षा और आयुष्मान कार्ड बनाने पर अधिक ध्यान दे रही हैं। आलम यह है कि जिले के ग्रामीण इस बात का इंतजार करते रहते हैं कि कब मैडम का रूख हमारे गांव की ओर होगा। बता दें कि 2013 बैच की आईएएस अधिकारी मप्र की ही मूल निवासी हैं और इनकी पृष्ठभूमि भी ग्रामीण रही है। कलेक्टोरेट के अफसरों का कहना है मैडम का सबसे अधिक इंतजार शासकीय स्कूलों के बच्चों को होता है। दरअसल, मैडम जिस भी गांव का दौरा करती हैं, अगर वहां कोई स्कूल होता है तो वे उसमें बच्चों के बीच जरूर जाती हैं और उन्हें नैतिक शिक्षा के साथ स्कूली शिक्षा का भी पाठ पढ़ाती हैं। जिले के अफसरों का कहना है कि मैडम का मन गांवों में लग गया है।
हारकर भी जीत का अहसास
बड़ी-बड़ी चुनौतियों को मात देने वाले 2011 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी अपने कलेक्टरी वाले जिले में हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन साहब हार के बाद भी खुशी हैं। दरअसल, साहब के जिले में इन दिनों ग्रामीण स्तर पर आनंद उत्सव मनाया जा रहा है। ऐसे ही एक आयोजन में साहब पहुंचे तो वे वहां हो रहे खेलकूद कार्यक्रम को देखकर उत्साहित हो उठे। फिर क्या था आयोजकों ने साहब के उत्साह को देखते हुए उन्हें भी रस्साकसी प्रतियोगिता में जोर आजमाइश के लिए बुला लिया। ग्रामीणों के साथ भाग लेकर साहब ने खूब जोर आजमाइश की लेकिन उनकी टीम हार गई। साहब की टीम भले ही हार गई, लेकिन साहब का जोश देखकर लोगों में खुब ताली बजाई। साहब ने ग्रामीणजनों से कहा कि खेलों से ऊर्जा प्राप्त होती है और आनंद महसूस होता है। सभी ग्रामीणजनों को अपने कार्यों से हटकर इस तरह की गतिविधियां करना चाहिए।
साहब का संस्कार चर्चा में
2011 बैच के एक आईएएस अधिकारी अपनी सख्ती के कारण चर्चा में बने हुए हैं। दरअसल, साहब जब से महाकौशल क्षेत्र के एक बड़े जिले के कलेक्टर बने हैं वे फुलफार्म में हैं। रोजाना बैठक, वीसी और मौका मुआयना उनकी तत्परता का प्रमाण हैं। लेकिन दो महीने में ही अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी थक चुके हैं। साहब की ओर से दिए जाने वाले रोज के लक्ष्य और स्वयं की जिम्मेदारियां अफसरों को बोझ सी लगने लगी हैं। कुछ को साहब की शैली आहत कर रही है। बात-बात पर उनका यह कहना कि आप लोग करते क्या हो- अफसरों को मर्माहंत कर रहा है। कुछ अफसरों का कहना है कि साहब कई बार दूसरों की बात सुनने या समझने को तैयार नहीं होते, जिसकी वजह से चीजें प्रभावित हो रही हैं। छोटे कर्मचारियों या भृत्यों के सामने लगाई जाने वाली फटकार अधिकारियों को सबसे ज्यादा दुख पहुंचा रही है। उम्मीद है साहब जल्द समझ सकेंगे कि उनके मातहत उनके अपने हैं और उनको ही सहेज कर उन्हें व्यवस्था को सुगम बनाना है।
कृष्णा को मिले भगवान
जिस तरह सूरदास को बिना आंख के भी भगवान दिखते थे, उसी तरह भजन गायक कृष्णा को उसके भगवान मिल गए हैं। कृष्णा के यह भगवान 2014 बैच के आईएएस अधिकारी कटनी कलेक्टर अवि प्रसाद हैं। उनके जिले में एक नन्हा गायक है जो आंखों से देख नहीं सकता.. बचपन से ही दिव्यांग कृष्णा के इलाज के लिए माता पिता ने काफी जतन किए पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। यह बात जब कलेक्टर साहब तक पहुंची तो उन्होंने पहले तो कृष्णा के भजन सुने, फिर उसकी आंखों के इलाज का इंतजाम कराया। जबलपुर से आई चिकित्सकों की टीम ने कृष्णा की आंखों का इलाज शुरू कर दिया है, विशेषज्ञों की टीम ने जांच कर बताया की उसके नेत्रों की रोशनी आ सकती है। यानी कृष्णा जल्द अपने भगवान को देख सकेगा।
कलेक्टर बने मोटिवेशनल गुरू
ग्वालियर-चंबल अंचल के शिवपुरी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह का एक नया रूप इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। दरअसल गत दिनों साहब सीएम राइस स्कूलों के शिक्षकों और लीडर्स की एक कार्यशाला में शामिल हुए और वहां अपनी स्पीच दी। 2010 बैच के प्रमोटी आईएएस अफसर की स्पीच सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। साहब ने अपनी स्पीच में कहा कि अंधेरा बहुत है पर दीपक आपको जलाना है, तभी अंधेरा हटेगा। आपको समस्या नहीं समाधान खोजना है। समाज में हमारे हाथ में कच्ची मिट्टी सौंपी है। इस मिट्टी से बर्तन बनाने और पकाने का कार्य शिक्षकों के हाथ में है। आप जो भी अच्छा या बुरा करोगे, वह सब समाज में सामने आएगा। साहब की स्पीच जितने देर चलती रही आयोजन स्थल पर पिन ड्रॉप साइलेंस रहा। साहब की स्पीच खत्म होते ही लोग बोल उठे साहब आप तो मोटिवेशन गुरू निकले। बताया जाता है कि जिले में अब लोग साहब को मोटिवेशन गुरु के रूप में आमंत्रित करने लगे हैं।