- प्रणव बजाज
सॉफ्टवेयर ठीक कराने में आबकारी आयुक्त की रुचि नहीं
प्रदेश का आबकारी विभाग अधिकारियों की मनमर्जी से चलता है। शराब सिंडिकेट के साथ मिलीभगत कर की जा रही धांधली को रोकने के लिए विभाग ने वर्ष 2018 में सॉफ्टवेयर लगाकर ऑनलाइन टीपी की व्यवस्था बनाई थी। लेकिन हफ्ते भर बाद ही इसमें खामी बताकर इसे बंद कर दिया गया। तब से लगभग तीन साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन आबकारी विभाग का यह सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं हो पाया है। यही वजह है कि मैनुअल टीपी के जरिए होने वाली धांधली से प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। अकेले एक ट्रक से ही 28 लाख रुपए के आबकारी टैक्स की चपत लगती है। यदि रोज 25 ट्रक भी अवैध शराब निकले तो प्रतिदिन सात करोड़ की टैक्स चोरी होती है। इस हिसाब से एक माह में दो सौ दस करोड़ और साल भर में लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए के आबकारी राजस्व की चोरी होती है। खास बात है कि तात्कालिक मंत्रियों और प्रमुख सचिव स्तर के विभागीय अधिकारियों ने भी सरकार को हर महीने करोड़ों की चपत लगाने वाली इस मैनुअल व्यवस्था से आंखें फेरे रखी। वहीं वर्तमान आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे भी सॉफ्टवेयर ठीक कराने में रुचि नहीं ले रहे। नतीजा यह कि ऑनलाइन टीपी आज तक चालू नहीं हो पाई।
डॉ. हितेश बाजपेयी ने ब्यूरोक्रेट्स पर साधा निशाना
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी रहे डॉ हितेश वाजपेयी ने मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्थाओं को लेकर ब्यूरोक्रेट्स पर निशाना साधा है। उन्होंने हाल ही में हमीदिया अस्पताल में कोविड का इलाज कराने के बाद अपने अनुभव ट्वीट के माध्यम से शेयर किए हैं। साथ ही उन्होंने अस्पताल में व्यवस्थाओं को लेकर एक अध्ययन रिपोर्ट भी तैयार की है जिसे वे जल्द ही सत्ता और संगठन को सौंपेंगे। डॉक्टर बाजपेयी का कहना कि हमारे पास डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की बढ़िया टीम है लेकिन लगातार काम से थकान दिखने लगी है , इनकी सेहत व आराम की चिंता करना होगी। मेडिकल कॉलेजों को भी सैनिक परिसर की तरह ट्रीट करना होगा। मेडिकल स्टाफ की चिंता, स्वस्थ तन-मन और आर्थिक सामाजिक सुरक्षा उन्हें कोरोना, ब्लैक फंगस सहित अन्य सभी चुनौतियों से निपटने में ज्यादा सक्षम बनाएगी। डॉक्टर बाजपेयी के अनुसार अस्पतालों से ब्यूरोक्रेट्स का हस्तक्षेप दूर किया जाना चाहिए।
अनुभवी प्रो. सचिन चतुर्वेदी सुशासन संस्थान के उपाध्यक्ष नियुक्त
प्रदेश सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष पद पर प्रो. सचिन चतुर्वेदी की नियुक्ति की है। ज्ञात हो कि हाल ही में राज्य शासन द्वारा संस्थान में महानिदेशक का पद समाप्त कर उपाध्यक्ष का पद सृजित किया गया है। प्रो. चतुर्वेदी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई संस्थाओं में लंबे समय तक कार्य करने का अनुभव है। उन्होंने प्रमुख रूप से विश्व व्यापार संगठन में व्यापार और नवाचार संबंधों पर काम किया है। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व बैंक, यूएन एस्केप, यूनेस्को, आईयूसीएन और भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय इत्यादि में सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। प्रो. चतुर्वेदी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में बोर्ड ऑफ मेंबर्स के सदस्य भी हैं। वे एम्स्टर्डम विवि में विकासशील देश के फेलो तथा जर्मन विकास संस्थान में विजिटिंग स्कॉलर रह चुके हैं। सुशासन संस्थान में उपाध्यक्ष के तौर पर प्रो. चतुर्वेदी की नियुक्ति से प्रदेश को उनके अनुभवों का लाभ जरूर मिलेगा।