- अरुण पटेल
कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ की उर्वरा रही धरा से रणनीति और मुद्दों को रेखांकित करते हुए कांग्रेस पूरे देश को यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि आखिर उसकी रणनीति है क्या और कैसे वह आम लोगों से जुड़ी नीतियों को आगे कर चुनावी बाजी मारेगी। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यहां से कांग्रेस एक प्रकार से अपने चुनावों की दिशा व दशा का आगाज करने वाली है। नवा रायपुर में 24, 25 और 26 फरवरी को कांग्रेस का राष्ट्रीय महाधिवेशन होने जा रहा है जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित देश भर के कांग्रेस के आला नेता व राज्यों के दिग्गज महारथियों सहित 12 हजार से अधिक कांग्रेसजन जुटेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अनुसार विचार, रणनीति और देश की दिशा निर्धारित करने के लिए जो मंथन महायज्ञ छत्तीसगढ़ में होने जा रहा है उससे भारत जोडऩे का संकल्प और अधिक मजबूत होगा। इस वर्ष मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक तथा तेलंगाना राज्यों में विधानसभा चुनाव होना हैं और इन सभी राज्यों में कांग्रेस एक मजबूत राजनीतिक ताकत भी है इसलिए उसका यह प्रयास होगा कि वह अपनी पार्टी के साथ ही उससे सहानुभूति रखने वाले मतदाताओं को भी यह समझाने की कोशिश करेगी कि वह पूरी ताकत व आमजन से जुड़े मुद्दों को लेकर चुनावी समर में सभी जगह उतरने वाली है।
इस महाधिवेशन जिसे कांग्रेस मंथन महायज्ञ की संज्ञा दे रही है उसकी तैयारियां तेज गति से प्रारंभ हो गयी हैं। केंद्रीय स्तर से आया आला नेताओं का एक दल जायजा लेते हुए आवश्यक दिशा निर्देश भी दे गया है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के 85वें प्रस्तावित राष्ट्रीय महाधिवेशन स्थल पर जो टेंट सिटी का निर्माण किया जाना है उसका भूमि पूजन मुख्यमंत्री बघेल कर चुके हैं। मेला ग्राउंड पर महाधिवेशन के लिए 13 से 14 हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक भव्य डोम बनाया जायेगा। गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कुछ मंत्रियों व कांग्रेस के पदाधिकारियों ने नवा रायपुर में टेंट लगाने वाली कम्पनी के प्रतिनिधियों से बातचीत कर उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिये। विधिवत भूमि पूजन भी किया गया। इसके बाद वहां टेंट आदि का काम तेज गति से आरंभ हो गया है। महाधिवेशन के आखिरी दिन एक आमसभा भी होगी, यह सभा पुरखौती मुक्तांगन से लगे खाली मैदान में होगी। कांग्रेस के इतिहास पर केंद्रित एक प्रदर्शनी भी लगाई जायेगी जिसमें कांग्रेस के इतिहास के साथ ही राज्य की भूपेश बघेल सरकार की उपलब्धियों और स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए स्टाल लगाये जायेंगे। साठ एकड़ में फैले मैदान में जहां महाधिवेशन होगा वहीं देश भर से आने वाले पदाधिकारियों की बैठकें भी इसी डोम में होंगी। महाधिवेशन में राजनीतिक, आर्थिक, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, कृषि, सामाजिक न्याय, शिक्षा तथा रोजगार के सम्बन्ध में चर्चा कर प्रस्ताव पारित होने की संभावना है। इस महाधिवेशन का असली मकसद देश भर खासकर चुनावी राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ऊर्जित करना और जो कार्यकर्ता शिथिल होकर घर बैठ गए हैं उन्हें सक्रिय कैसे किया जाये, इस रणनीति को अंतिम रुप देने की संभावना है। महाधिवेशन से निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का महत्व और कद कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में और अधिक बढ़ जायेगा, इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
कौन होगा भूपेश के मुकाबले भाजपा का चेहरा: एक तरफ जहां कांग्रेस छत्तीसगढ़ की धरा से अपनी जमीन पूरे देश में मजबूत करने का आगाज करने वाली है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी भी पूरी शिद्दत व ताकत के साथ फिर से अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए पूरी ताकत से सक्रिय हो गई है। जबसे प्रदेश प्रभारी के रुप में ओम प्रकाश माथुर ने कमान संभाली है भाजपा की सक्रियता न केवल बढ़ी है बल्कि आमजन को भी यह महसूस हो रहा है कि भाजपा पूरी ताकत से अपनी खोई जमीन को फिर से उर्वरा बनाने और पाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगी। वैसे तो भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही छत्तीसगढ़ फतेह करने की नीति पर चलेगी तथा उनका ही चेहरा आगे रखेगी। हालांकि अब फिर से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को अहमियत मिलने लगी है जिससे इस बात की भी अटकलें हैं कि यदि पुराने चावल पर ही दांव लगाना है तो फिर रमन सिंह से बेहतर उनके पास कोई दूसरा चेहरा नहीं है। लेकिन यदि सारे घर के बल्ब बदल डालने की नीति पर भाजपा चलती है तो फिर कुछ नये लोगों की उम्मीदों को भी पंख लग गये हैं और उनके नाम भी अंदरखाने चर्चित हैं। जहां तक जनमानस में लोकप्रियता का सवाल है डॉ. रमन सिंह के बाद बृजमोहन अग्रवाल सबसे आगे हैं। देखने वाली बात यही होगी कि भाजपा अंतत: इशारों इशारों में किसे चेहरा बनायेगी या फिर केवल मोदी के चेहरे पर ही अपनी सारी बिसात का दारोमदार रखेगी। भाजपा के अंदरखाने चल रही चर्चाओं के अनुसार इस बार पिछड़े वर्ग के मतदाताओं में अधिक सेंध लगाने के लिए भाजपा किसी कुर्मी नेता को आगे कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो फिर भाजपा के पास इन वर्गों के एक बड़े नेता रमेश बैस हैं जो इस समय झारखंड के राजभवन की शोभा बढ़ा रहे हैं। क्योंकि राज्यपालों के सक्रिय राजनीति में लौटकर बड़े पदों पर आने के कई उदाहरण रहे भी हैं। पिछड़े वर्ग के नेताओं में धर्मलाल कौशिक भी भाजपा के एक बड़े नेता हैं जो कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष जैसे पदों पर रह चुके हैं। हाल ही में नये चेहरों को आगे करने के लिए उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के पद से त्यागपत्र दे दिया था। अन्य नामों में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव और विजय बघेल आदि के नाम शामिल हैं।
(लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं)