बिहाइंड द कर्टन/तरीके से दबाया पूर्व मंत्री सिंघार का मामला


– प्रणव बजाज

 उमंग सिंघार

तरीके से दबाया पूर्व मंत्री सिंघार का मामला
पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार पर अंबाला निवासी सोनिया भारद्वाज को खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला तरीके से दबा दिया गया है। सोनिया ने 16 मई को सिंघार के निजी मकान में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। बाद में पुलिस ने मौके से मिले सुसाइड नोट के आधार पर सिंघार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था। मौके से मिले सुसाइड नोट को राइटिंग एक्सपर्ट के पास भेजकर इसकी सत्यता जांचने की बात भी कही थी। उसके बाद कांग्रेस के आधा दर्जन विधायकों ने आईजी और डीजीपी से मुलाकात कर पूरे मामले में जांच की मांग की थी। कांग्रेस की ओर से पूरे मामले में आला अधिकारियों को जांच के लिए ज्ञापन पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। इसके बाद इस पूरे मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हनीट्रैप की सीडी को लेकर सियासत में खलबली मचा दी। इसके बाद अब न तो पुलिस को उमंग की गिरफ्तारी की जल्दबाजी है और न ही सुसाइड नोट की सत्यता जांचने राइटिंग एक्सपर्ट को भेजा गया है। बता दें कि पुलिस ने मृतका के बेटे आर्यन और उसकी मां कुंती देवी के बयान के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने का केस उमंग सिंघार पर दर्ज किया था। हालांकि बाद में आर्यन ने उमंग पर दर्ज केस को गलत बताया था।

जेवी बोले भाजपा में बढ़ रही गुटबाजी के लिए सिंधिया जिम्मेदार
पूर्व मंत्री व राघौगढ़ से विधायक जयवर्धन सिंह ने भाजपा में बढ़ रही गुटबाजी के लिए राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से सिंधिया भाजपा में आए हैं, तब से यहां गुटबाजी सामने आ रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गुना जिले में देखा जा रहा है, जहां सिंधिया को हराने वाले सांसद केपी सिंह यादव की उनकी ही पार्टी में सुनवाई नहीं हो रही है। यही नहीं जयवर्धन सिंह ने कहा कि इसी तरह से प्रदेश के कई वरिष्ठ भाजपा नेता भी सिंधिया से इसलिए खफा हैं कि वे उनकी वजह से मंत्री नहीं बन पाए।

क्यों हो रही है डिप्टी कलेक्टर मेघा तिवारी की तारीफ
प्रदेश में कोरोना महामारी के संकट काल में जहां मरीजों और उनके परिजनों को मदद के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। कोरोना कर्फ्यू के दौरान होटल रेस्टोरेंट सब बंद हैं। ऐसे में निवाड़ी जिले की सरकारी अस्पताल में पहुंचने वाले लोग खाने-पीने की वस्तुओं तक के लिए परेशान हो रहे थे। जब यह बात निवाड़ी में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर मेघा तिवारी के संज्ञान में आई तो वे खुद लोगों की मदद के लिए आगे आईं। उन्होंने बंद पड़े दीनदयाल रसोई केंद्र को अपने पैसे से न केवल चालू करवाया बल्कि मरीजों और उनके परिजनों को भोजन उपलब्ध करवाया। इसी रसोई केंद्र से बाद में कई क्षेत्रों में भोजन बांटने का काम किया। इसमें खास यह है कि मेघा तिवारी की मां ने भी अपने पास से पैसे देकर रसोइयों को चलते रहने के लिए मदद की है। बता दें कि निवाड़ी पिछड़ा हुआ जिला माना जाता है। लोगों की परेशानी बड़ी है। मेघा तिवारी के हौंसले को देखकर बाद में कई लोग उनके इस परोपकार से जुड़े और संकट की घड़ी में लोगों को मदद पहुँचाई जा रही है। कर्फ्यू के दौरान संकट के समय में लोगों की मदद करने पर मेघा की जमकर तारीफ हो रही है।

कमल नाथ ने पूर्व मंत्री एनपी प्रजापति को फिर दिखाया ठेंगा
मध्यप्रदेश विधानसभा की लोक लेखा समिति में सभापति नहीं बनाए जाने से समिति के सदस्य पद से इस्तीफे का दबाव बनाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने फिर ठेंगा दिखा दिया है। दरअसल पूर्व में जब विधान सभा सचिवालय ने कांग्रेस पार्टी के सहमति पत्र के आधार पर पूर्व मंत्री दिवंगत बृजेंद्र सिंह राठौर को सभापति पद पर नियुक्त कर दिया था तब इसके बाद एनपी ने जमकर दबाव बनाया था। वहीं पिछले दिनों राठौर के निधन से खाली सभापति का पर रिक्त हो गया था। अब कमलनाथ ने इस पद पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री पीसी शर्मा को नियुक्त कर दिया गया है। यानी प्रजापति को इस बार भी विधानसभा की लोक लेखा समिति में सभापति नहीं बनाए जाने पर निराशा ही हाथ लगी है।

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