पुस्तक समीक्षा/चार देश चालीस कहानियां, जो मानसिक यात्रा में गुदगुदाती हैं

  • महेश दीक्षित
पुस्तक समीक्षा

यात्रा संस्मरण (वृतांत) लेखन हिन्दी साहित्य की प्रमुख विधा है। यात्रा संस्मरण लिखना बेहद कठिन होता है। इसके लिए हमें सुख-चैन को त्यागना पड़ता है। यात्रा संस्मरण को यात्रा के रोचक, रोमांचक और ज्ञानवर्धक अनुभवों का सांगोपांग वर्णन कह सकते हैं। जो आपने अनुभव किया, उसको पाठकों के साथ साझा करने का भाव, ताकि वे भी कुछ वैसा ही आनन्द ले सकें, जैसा लेखक ने अनुभव किया। इसके साथ में कुछ ऐसी मूलभूत और नई जानकारियां पा सकें, जो उनकी यात्रा को सरल और सुखद बनाएं। आकाशवाणी भोपाल में समाचार संपादक संजीव शर्मा की पुस्तक-चार देश, चालीस कहानियां पुस्तक के जरिये लोग जापान, अफ्रीकी देश युगांडा-रवांडा के साथ भारत के प्रमुख शहरों और पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा कर सकते हैं। संजीव की यह पुस्तक पर्यटन पे्रमियों के लिए प्यार भरा उपहार है। 164 पृष्ठों की इस पुस्तक में संजीव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संग जापान एवं पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के संग अफ्रीकी देश युगांडा-रवांडा (परदेश) यात्रा के अलावा भारत के प्रमुख शहर-प्रयाग, कानपुर, इलाहाबाद, श्योपुर, सौराष्ट्र, अहमदाबाद, गिरनार पहाड़ (जूनागढ़, गुजरात) और पूर्वोत्तर राज्य असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर की यात्रा (देश) के रोचक एवं अनूठे संस्मरण हैं। पुस्तक के जरिए लोग जापान, युगांडा-रवांडा के साथ भारत के प्रमुख शहरों की यात्रा का अलौकिक आनंद ले सकते हैं। जिन्हें उन्होंने बेहद रोचक और सरल शैली में लिपिबद्ध किया है। संजीव ने इस पुस्तक में जापान-युगांडा-रवांडा के साथ भारत के प्रमुख शहरों के दर्शनीय स्थलों के विस्तृत विवरण के साथ वहां की संस्कृति, अनुशासन, खानपान, अतिथि सत्कार, कमियां, होटल-परिवहन व्यवस्था और शापिंग सभी कुछ सरल शब्दावली में इस प्रकार संजोया है कि लोग तन से चाहे कहीं भी हों, धन से असमर्थ हों, पर मन से इन स्थलों की यात्रा कर ही आता है। यही मानसिक यात्रा पुस्तक की विशिष्टता भी है। संजीव इस पुस्तक में शब्दों के माध्यम से पाठक को जापान, युगांडा, रवांडा और भारत देश के तमाम शहरों के सौंदर्य और खासियतों का सीधा साक्षात्कार कराते हैं। जिसमें पाठक को ऐसा भान होता है कि लेखक नहीं, वह स्वयं यात्रा पर है। तीन दशक से ज्यादा समय तक पत्रकारिता में सक्रिय रहे संजीव का यह यात्रा संस्मरण पाठक के मस्तिष्क पटल पर अमिट छाप छोड़ने के साथ गाहे- बगाहे उनकी स्मृतियां गुदगुदाता है। यह यात्रा संस्मरण नई यात्राओं पर निकल पडऩे की प्रेरणा देता है। इसके साथ ही संजीव के कुछ संस्मरण ऐसे हैं, जो हमेशा साथ बने रहते हैं।
संजीव के कुछ संस्मरण
आर यू सिंपल वेजीटेरियन या हिन्दू वेजीटेरियन?
पीएम मोदी के साथ जापान यात्रा के दौरान कैथी पैसिफिक एयरलाइंस के विमान में खाना परोसते हुए एयर होस्टेस ने पूछा-यू आर वेजीटेरियन? मेरे हां कहते ही उसने तत्काल दूसरा सवाल दागा-विच टाइप ऑफ वेजीटेरियन..मीन्स सिंपल वेजिटेरियन या हिन्दू वेजीटेरियन? अपनी ढाई दशक की नौकरी में यह सवाल चौंकाने वाला था, क्योंकि अब तक तो शाकाहारी का एक ही प्रकार अपने को ज्ञात था। अब शाकाहार भी हिन्दू-मुस्लिम होता है, इसकी जानकारी जापान यात्रा के दौरान ही मिली।
जब पनीर समझकर सुअर सैंडविच खा गए एक बाइट वीर!
जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन को कवर करने जापान पहुंचे दुनियाभर के पत्रकारों के लिए ओसाका में बने इंटरनेशनल मीडिया सेंटर में एप्पल सैंडविच और पाइन-एप्पल पेटिस पर हाथ साफ करते हुए हमारे एक पत्रकार साथी ने पनीर क्रीम सैंडविच का बड़ा सा पीस मुंह में ठूंसते हुए कहा-बहुत ही जोरदार है, आप भी लीजिए। अपन ठहरे लकीर के फकीर…हर डिश को समझकर-पढकऱ खाने वाले, इसलिए उनकी सलाह पर अमल से पहले एक चक्कर लगाकर उस सैंडविच का नाम तलाशा तो उस पर लिखा था, उसका मतलब पूछने पर पता चला कि वह सैंडविच सुअर मांस का है। अब उन पत्रकार मित्र का हाल मत पूछिए क्योंकि तब तक वे आधी से ज्यादा सैंडविच हलक से नीचे उतार चुके थे और अब न उगलते बन रहा था और न ही निगलते।
इस सोच के साथ कैसे करेंगे हम जापान की बराबरी
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बढ़िया सूट-बूट पहने कोई व्यक्ति साइकिल चला रहा हो या कोई महिला साल-दो साल के बच्चे को लेकर साइकिल पर बाजार करने या ऑफिस जाने को निकली हो, वो बेखौफ-बिंदास-बेझिझक। हमारे देश में कोई ऐसा करेगा तो शायद दूसरे दिन अखबारों में उसकी फोटो छप जाए, लेकिन यह आम बात है। यकीनन जापानियों की छरहरी का राज भी यही है। ओसाका में मुझे तो कोई तोंद वाला और बेढब काया वाली महिला नजर नहीं आई।

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