यशोधरा ने किया चुनावी प्रचार से इंकार
प्रदेश में चुनावी माहौल के बीच मची सियासी उठापटक के बीच पूर्व मंत्री एवं भाजपा की वरिष्ठ नेता यशोधरा राजे सिंधिया ने कुर्सी को लेकर बड़ा बयान दिया है। मीडिया कर्मियों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सही बोलें तो कुर्सी किसी और की बन जाए, चेहरा कोई और हो जाए। उन्होंने कहा, यह भी एक दिशा दिखा देती है कि कुर्सी हमेशा नहीं रहेगी। एक अन्य सवाल के जवाब में यशोधरा ने कहा कि यदि मुझे प्रचार-प्रसार में निकलना होता तो मैं खुद के प्रचार-प्रसार में ही निकल आती, और मैं ही खुद ही चुनाव में खड़ी होती। गौरतलब है कि यशोधरा ने सेहत का हवाला देते हुए इस बार चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया था।
कांग्रेस ने दामोदर यादव को पार्टी से निकाला
चुनावी घमासान के बीच डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस पार्टी में नेताओं के निष्कासन का सिलसिला भी जारी है। प्रदेश कांग्रेस ने बुधवार को पार्टी के पिछड़ा वर्ग विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष रहे दामोदर यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया। गौरतलब है कि उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी होने बाद यादव अपने कई समर्थकों के साथ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पहुंचे थे। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने पीसीसी में तोडफ़ोड़ की थी। पोस्टर पर छपी कांग्रेस नेताओं को फोटो पर कालिख भी पोती थी। यादव सेवड़ा विधानसभा सीट से दावेदारी कर रहे थे।
मंत्री और नेताओं के गांव में प्रवेश पर रोक
विधानसभा चुनाव को लेकर जागरूकता अभियान चला कर मतदान करने की अपील की जा रही है। लेकिन दूसरी ओर उज्जैन के एक गांव में ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है। उन्होंने अपनी मांगें पूरी न होने तक मतदान न करने का फैसला किया है। साथ ही गांव के बाहर बोर्ड लगाया है, जिसमें लिखा है नेता व मंत्रियों का आना प्रतिबंधित है। परिसीमन व शराब की दुकान हटाने की प्रमुख मांग करते हुए 700 से अधिक ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया है। यह गांव उज्जैन-मक्सी रोड़ पर देवास जिले में स्थित डिंगरोदा गांव उज्जैन में तराना तहसील में आता है। यहां ग्रामीणों ने गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया है, जिसमें लिखा है कि ग्राम पंचायत डिंगरोदा पूर्ण रूप से चुनाव का बहिष्कार करता है। यहां किसी भी पार्टी के नेता व मंत्री का प्रवेश करना निषेध है- आज्ञा से समस्त ग्रामवासी।
कलेक्टरों को लगी कड़ी फटकार
चुनाव आयोग ने करीब दो दर्जन जिलों के कलेक्टरों, जिला निर्वाचन अधिकारियों के उस आदेश पर कड़ी फटकार लगाई है, जिसमें शराब कारोबारियों को करोड़ों रुपए की राशि ले आने-जाने की अनुमति दी गई थी। इसकी शिकायत के बाद आनन-फानन में कलेक्टरों ने गलती सुधारते हुए आदेश को वापस ले लिया। इस मामले में इंदौर को छोडक़र बाकी ज्यादातर बड़े जिले शामिल थे। हालांकि आयोग की फटकार के बाद फिर से सख्ती शुरू हो गई। दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान से पिछले डेढ़ महीने से नकदी और अन्य सामग्री परिवहन करने की सघन जांच पड़ताल की जा रही है। बिना किसी अनुमति और ठोस कारण के परिवहन करने की स्थिति में सीधे तौर पर जब्ती के बाद सख्त कार्रवाई की जा रही है।