बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/शास्त्री फिर मालवा प्रांत के संघचालक बने

डॉ. प्रकाश शास्त्री

शास्त्री फिर मालवा प्रांत के संघचालक बने
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मालवा प्रांत के संघ चालक के रूप में डॉ. प्रकाश शास्त्री फिर से जिम्मेदारी संभालेंगे, तो मालवा प्रांत के सह संपर्क प्रमुख मोढ़ को इंदौर विभाग के संघचालक की जिम्मेदारी दी गई है। यह निर्णय शाजापुर में हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तीन दिनी बैठक में लिया गया। बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के साथ नए पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर भी निर्णय लिए गए। बैठक में मालवा प्रांत के सह संपर्क प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे डॉ. मुकेश मोढ़ को अब इंदौर विभाग के संघचालक का दायित्व दिया गया है। इसके अलावा इंदौर विभाग के वर्तमान संघचालक शैलेंद्र महाजन को अब मालवा प्रांत का सह कुटुंब प्रबोधन प्रमुख बनाया गया है, तो इंदौर विभाग के संपर्क प्रमुख का दायित्व संभाल रहे विनय पिंगले को मालवा प्रांत का सह संपर्क प्रमुख बनाया गया है, जबकि श्रीनाथ गुप्ता, जो अभी प्रांत सह संपर्क प्रमुख की भूमिका में थे, उन्हें अब मालवा प्रांत का सह कार्यवाह बनाया गया है।

कांग्रेस के पूर्व विधायक पांचीलाल मेड़ा की बढ़ीं परेशानी
प्रदेश के धरमपुरी के कांग्रेस के पूर्व विधायक पांचीलाल मेड़ा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। धामनोद थाना पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर उनके सहित आधा दर्जन लोगों पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला धामनोद की रहने वाली  बताई जा रही है। उसने धामनोद थाने में मेड़ा सहित उनके समर्थकों पर जान से मारने की धमकी देने की शिकायत की थी। उसके आधार पर धामनोद पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया है। धामनोद थाना प्रभारी समीर पाटीदार ने बताया कि धामनोद के शासकीय अस्पताल से जानकारी मिली थी, कि  एक महिला ने मेड़ा के नाम से जहर खा लिया।  मामला लिव इन पार्टनरशिप से जुड़ा है।

लोकसभा की तैयारी में जुटे अब कमलनाथ
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के भोपाल आते ही कांग्रेस नेताओं नेे मुलाकात शुरू कर दी है। उनके सरकारी आवास पर कांग्रेस विधायकों और प्रत्याशियों ने मुलाकात की, जिनमें विधायक लखन घनघौरिया, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, दीपक जोशी और मनोज शुक्ला के  नाम शामिल हैं। बता दें कि हार के मंथन के दौरान कमलनाथ ने प्रत्याशियों से दो रिपोर्ट मांगी थी। दिल्ली से लौटते ही उन्होंने फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। आज भी  वे बंगले पर ही प्रत्याशियों से मुलाकात कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा में हार की रिपोर्ट के साथ-साथ लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति पर भी चर्चा की जा रही है। इस दौरान कांग्रेस नेताओं से लोकसभा चुनाव जीतने के फॉर्मूले पर चर्चा की जा रही है।

हजारों बाहरी मतदाता भी नहीं दिला पाए जीत
प्रदेश के चुनाव हार चुके एक मंत्री की रणनीति भी चुनाव में काम नही आयी। मंत्री जी ने अपनी जीत तय करने के लिए इस बार नई रणनीति तैयार की थी, जिसके तहत उनके द्वारा अपने प्रभाव वाले आसपास के विधानसभा क्षेत्रों के अपने समर्थकों के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराए गए थे। यह नाम हजारों में बताए जा रहे हैं। चुनाव हुआ तो इन समर्थकों ने वोट भी डाले, लेकिन इन समर्थकों के वोट भी जीत के हिसाब से कम पड़ गए। दरअसल मंत्री जी को लेकर लोगों में नाराजगी ऐसी थी, की लोगों ने सामने जयकारे लगाए और वोट विरोधी प्रत्याशी को डाल दिया। यह जरुर फायदा हुआ की मंत्री जी की हार का अंतर कम हो गया।  

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