बा खबर असरदार/साहब के भाग्य में भंवरी

  • हरीश फतेह चंदानी
भाग्य में भंवरी

साहब के भाग्य में भंवरी
2010 बैच के एक आईएएस अधिकारी के बारे में कहा जाता है कि उनके भाग्य में भंवरी लगी हुई है।  यानी वे एक जगह टिक नहीं पाते हैं। ये साहब कलेक्टर की कुर्सी से पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में प्रबंध संचालक पद पर पहुंचे हैं। साहब के यहां पहुंचते ही कयास लगाए जाने लगे हैं कि अब उनकी पारी कितनी लंबी होगी। उनके पिछले कार्यकाल में तो जहां भी रहे दो साल के अंदर ही अपनी पारी खत्म कर निकल गए। ऐसे में साहब की नई जवाबदेही को लेकर उनके मातहत चिंतित हैं क्योंकि कंपनी के कामकाज को समझने में ही कई माह का वक्त गुजर जाता है। ऐसे में साहब जब प्रबंधन को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे तब तक ऐसा न हो कि उनकी विदाई की बेला आ जाए। बता दें कि साहब के कामकाज के तौर तरीके काबिले तारीफ हैं, इसलिए चाहने वाले भी उन्हें लंबे वक्त तक कंपनी की सेवा में लगाने का प्रयास कर रहे हैं। गौरतलब है कि साहब को जून 2017 में हरदा का कलेक्टर नियुक्त किया गया और वे यहां अगस्त 2018 तक पदस्थ रहे। इसके बाद उन्होंने मंडला के कलेक्टर की जिम्मेदारी अगस्त 2018 से दिसंबर 2018 तक संभाली। जून 2019 में वे लेंड रिकॉर्ड में अतिरिक्त कमिश्नर बनाए गए। अप्रैल 2020 में उन्हें मप्र टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन का प्रबंध संचालक नियुक्त किया गया। इस पद पर वे मई 2020 तक कार्यरत रहे। मई 2020 में खंडवा का कलेक्टर नियुक्त किया गया। उन्होंने इस पद की जिम्मेदारी एक वर्ष 8 माह तक संभाली। अब देखना है साहब बिजली कंपनी में कितने दिन कुर्सी पर बैठते हैं।
दो अफसरों के बीच अधिकार की लड़ाई
प्रदेश में श्वेत क्रांति फैलाने वाले विभाग में इन दिनों दो अफसरों के बीच अधिकार की लड़ाई इस मुकाम पर पहुंच गई है कि इससे विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां यह बता दें कि यह लड़ाई 1989 बैच के आईएएस अधिकारी और 2008 बैच के प्रमोटी आईएएस के बीच हो रही है। सूत्र बताते हैं कि अघोषित तौर पर यह लड़ाई ठेकेदारों को लेकर हो रही है। जिस विभाग में यह लड़ाई हो रही है, वह है भोपाल दुग्ध संघ। दरअसल, यहां पदस्थ एक राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बने अधिकारी ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए विभागीय मंत्री से अनुमोदन कराकर एक अधिकारी का तबादला कर दिया था। लेकिन यह बात विभाग के अपर मुख्य सचिव को नागवार गुजरी। उन्होंने आव देखा न ताव और उक्त अधिकारी का तबादला आदेश निरस्त कर दिया। बताया जाता है कि छोटे साहब ने जिस अधिकारी का तबादला किया था उसमें विभागीय मंत्री की भी सहमति थी। बकायदा मंत्री जी ने नोटशीट पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन इस बात की भनक विभाग की निगरानी करने वाले अपर मुख्य सचिव को नहीं लगी। ऐसे में साहब को यह नागवार गुजरा। उन्होंने बिना सोचे-समझे उक्त तबादला आदेश को निरस्त कर दिया। बताया जाता है कि इस बात को मंत्रीजी ने भी दिल पर ले लिया है। सूत्रों का दावा है कि मौके की नजाकत को देखते हुए प्रमोटी आईएएस ने मंत्रीजी के साथ मिलकर बड़े साहब के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए बकायदा कुछ ठेकेदारों और कर्मचारियों को लामबंद किया जा रहा है। ताकि मुख्यमंत्री तक बड़े साहब की शिकायत की जा सके।
महारानी का खौफ
राजा-महाराजाओं का दौर भले ही खत्म हो गया है, लेकिन राजनीति में राजसी घरानों के ठाठ आज भी कायम है। प्रदेश की राजनीति में राजसी घरानों के जो लोग सक्रिय हैं, उन्हें अन्य नेताओं की अपेक्षा अधिक तवज्जो मिलती है। भाजपा की राजनीति में इस समय ग्वालियर राजघराने की अच्छी पैठ है। इसी घराने की एक महिला नेत्री प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। बचपन से खेलकूद में अव्वल रहने वालीं राजकुमारी आज महारानी के रूप में ख्यात हैं और उन्हें विभाग भी वही मिला है। महारानी भले ही सौम्य और शांत नजर आती हैं, लेकिन उनका खौफ अधिकारियों में इस कदर रहता है कि वे जहां भी जाती हैं अधिकारी सतर्क हो जाते हैं। ऐसा ही खौफ देवास के अधिकारियों में विगत दिनों देखने को मिला। देवास जिले में खिलाड़ियों के लिए श्रीमंत तुकोजीराव पवार स्पोर्ट्स पार्क में पहला खेल महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। खेल महोत्सव का शुभारंभ बतौर मंत्री महारानी को करना था। महारानी की आवभगत में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए कलेक्टर, निगमायुक्त सहित सभी अधिकारी पूरी तरह सतर्क दिखे। महारानी के खौफ के कारण अफसरों ने खिलाड़ियों के ठहरने और खाने की व्यवस्था भी उच्च कोटि की कर रखी है। फिर भी अधिकारियों को डर है कि थोड़ी सी कमी भी नजर आई तो महारानी का कोप भारी पड़ सकता है।
मैडम से बात करने में परहेज
राजधानी भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद से थानों की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि बड़े साहब थानेदारों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी बनवा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कुछ चुनिंदा पुलिस अधिकारियों को काम पर लगा रखा है। बताया जाता है कि ये अधिकारी थानेदारों को फोन लगाकर उनकी लोकेशन ट्रेस करते रहते हैं। लेकिन महिला थाना प्रभारियों को फोन लगाने से ये परहेज कर रहे हैं। जब इसकी पड़ताल की गई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। गौरतलब है कि राजधानी में दो थानों में महिला थाना प्रभारियों की पदस्थापना की गई है। उनमें से एक के कामकाज पर आए दिन सवाल खड़े होते हैं। हालात यह है कि इन थाना प्रभारियों से अधिकारी भी बात करने से डरते हैं। कोई निर्देश देना हो तो अधिकारी एक-दूसरे पर बात टालते नजर आते हैं कि साहब, आप बात कर लीजिए। इन महिला थाना प्रभारियों से बात करने में साहबों के डर की चर्चा पूरे महकमे में हो रही है। एक अधिकारी ने कहा कि खुद का आत्मसम्मान भी तो कुछ होता है। एक महिला थाना प्रभारी के बारे में उन्होंने बताया कि वह तो सैल्यूट भी नहीं मारती हैं। उनके सामने सीएसपी पहुंच जाएं या एएसपी कोई फर्क नहीं पड़ता। उक्त महिला थाना प्रभारी तो मनमर्जी से काम करती हैं। उन्हें किसी के आदेश, निर्देश से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसलिए जो चल रहा है चलने दीजिए।

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